एक अनजान राह
सँभलकर कर चलते रहे उम्र भर
हम अनजानी राहों पर..
पैर लड़खड़ाए वहीं
जहाँ राहें जानी पहचानी थी..
यूँही चलते हुए कभी अनजानी सी राहों पर
किसी अनजाने से राही का साथ मिला..
मंज़िल हमारी एक न थी फिर भी
हमसफ़र सा एहसास मिला
कुछ दूर साथ चले,फिर राहें
जुदा हो गईं किसी मोड़ पर
दोनों अपने रास्ते चल दिये
साथ छोड़ कर..
दिल का दिल से रिश्ता ही ऐसा है,
वो मुसाफिर दूर हो के भी भुलाया नहीं जाता..
जो राहें उस तक जाएं वहीं चुनू मैं
अनजानी राहों पर हमसे जाया नहीं जाता
Ravi Goyal
30-Jun-2021 08:27 AM
Bahut achhe 👌👌
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Aliya khan
29-Jun-2021 11:02 PM
बेहतरीन
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Pinky singh
29-Jun-2021 07:51 PM
बेहतरीन
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