हेल्मेट
हेल्मेट
ट्रिंग-ट्रिंग ट्रिंग-ट्रिंग!!!
"लो आ गयी मेरी सौतन! रविवार को भी चैन नहीं है। सवेरे सवेरे दिल जलाने आ गयी।"
"अरे मोबाइल जल्दी दो। देखें तो कौन मर गया।"
" सतीश साइट 2 , है कोई। देखो। ये लो, पकड़ो अपना मोबाइल।"
"हेलो सतीश, बोल बेटा!चाभी! बस,बस दो मिनट में आया।"
"पहले नाश्ता करलो फिर जाना।"
"अरे यूँ गया और यूँ आया। 2 किलोमीटर भी तो नहीं है। स्टोरकीपर कहीं चला गया है तो दूसरी चाभी देना है।"
"लो बाइक की चाभी और ये लो हेल्मेट।"
"अरे दो मिनट में आ रहा हूं और तुम ज्ञान देने लगी। केवल चाभी लेकर आशीष निकल पड़ा।
" अना, जा जा। बेटा,पापा को हेल्मेट दे आ। तुझे तो मना नहीं करेंगे न!"
"पापा हेल्मेट! कहते हुए अना भागी। पर ओह्ह!सॉरी मम्मा! पापा निकल गए।"
"तेरे पापा भी न,एक नम्बर के ढक्कन हैं। मेरी कोई बात नहीं मानते। पराँठा बनाती हूँ। तब तक तो आ ही जायेंगे।"
"मम्मा! किसी का फोन आ रहा है? ये देखो।"
"हेलो, हेलो! कौन?"
"हेलो मैडम, पटेल सर्कल पर किसी बाइक वाले का एक्सीडेंट हो गया है। उसके सर में बहुत चोट लगी है। उसके मोबाइल में सबसे पहला आपका ही नम्बर था।"
"हे भगवान, बस मैं अभी आयी। और स्कूटी लेकर भागी।"
"मम्मा, हेल्मेट!