Farida

Add To collaction

तमाशबीन

तमाशबीन 

 
 वह अपने सीधेपन से असंतुष्ट होकर , करवट बदल , नया चेहरा अख्तियार कर रहा है । जब नॉर्मल आदमी था तब वह भीड़ का हिस्सा हुआ करता था , लेकिन अब भीड़ का हिस्सा नहीं है ।

चरित्र में उग आये टेढ़ेपन की वजह से भीड़ में अलग, अपनी तरह का वह अकेला व्यक्ति है।

पिछले कई दिनों से वह कूड़े-करकट का एक पहाड़ खड़ा करने में लगा हुआ था जो आज पूरा हो गया।

उसके मुताबिक पहाड़ बहुत ऊँचा बना था। हाथ में एक झंडा लेकर उस पर चढ़ गया।

कुछ लोग उसकी तरफ ताकने लगे। उसे देख कर लोगों के चेहरे पर सवालिया निशान उभरने लगे। धीरे-धीरे लोग सवाल बन गये।

शलाका पुरूष .... मिथक पुरूष, ढोंगी इत्यादि अलग-अलग तरह के नामों से सम्बोधित कर, कुछ-कुछ कह, सवाल बने लोग अब अपने-अपने भीतर की तमाम गन्दगी उलीच रहे थे।

   1
0 Comments