लेखनी प्रतियोगिता -04-Apr-2022 किताब के पेज की तरह
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पग पग बिछे हैं कांटे एक सेज की तरह,
है जिंदगी के पन्ने,किताबों के पेज की तरह,
चुभते हैं कांटे पग में, हर एक कदम पर,
जीना तभी तो सीखेंगे, खुद अपने दम पर,
फूल है तो कांटे होना भी सत्य हैं,
सभी फर्ज निभाना भी एक कर्तव्य है,
मिलता नहीं सभी को, गुलिस्तां बहार का,
मिलता नहीं उपहार, हर किसी को प्यार का,
माली को देखिए सींचता है बगीचा,
करता है मोल भाव, जिसको वर्षों से सींचा
कर लेता है वो अपना सुना बगीचा,
कर मेहनत मशक्कत जिसने,पल पल था सींचा,
धागे के बिना भी क्या,बन सकती है माला,
है माला भी अधूरी, जिसको मिलता न शिवाला,
जीवन कठिन डगर है एक रेस की तरह,
पग पग बिछे हैं कांटे एक सेज की तरह।
संगीता वर्मा....✍️✍️💞
Seema Priyadarshini sahay
06-Apr-2022 03:58 PM
बहुत खूबसूरत
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Reyaan
06-Apr-2022 10:01 AM
👌👏🙏🏻
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Shnaya
06-Apr-2022 02:16 AM
Very nice
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