*8368323740* *बाली पहलवान*
*माँ*
माँ तो होती है ममता का आँचल ,
माँ की ममता होता अविकारी है ।
ईश्वर भी हल्के पड़ते पलड़े पर ,
माँ का पलड़ा बहुत ही भारी है ।।
कहने को तो सब कोई ही कहते ,
लेकिन है वैसी आज माँ कहाँ ?
बेटे बेटी हेतु माँ अविकारी होती ,
अन्यों हेतु पालती है विकार जहाँ ।।
बेटे बेटी तो बच्चे होते हैं उनके ,
सास ससुर भी बच्चे बन जाते हैं ।
पति भी तो होता उन्हीं के बच्चे ,
फिर विकार हम क्यों वहाँ पाते हैं ।।
माँ तो होती है बहुत भोली प्यारी ,
माँ तो बन जाती सब हेतु ही माँ ।
वह घर स्वर्ग से सुन्दर बन जाता ,
वैसा प्रेम बरसानेवाली ही कहाँ ?
पति का भाई भी है सगा ही होता ,
फिर क्यों होता भाईयों में मतभेद ।
उनके बच्चे तो होते बहुत ही दूर ,
प्यार टुटने बिखरने का होता खेद ।।
माँ का मायने ही तो यही है होता ,
सबको मिलाकर चला ले परिवार।
कोई सदस्य कभी न टूटे व बिखरे,
बरसा दे सबपर जो अपना प्यार।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना ।
Punam verma
08-Apr-2022 08:10 AM
Nice
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Abhinav ji
07-Apr-2022 11:58 PM
Nice👍
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Gunjan Kamal
07-Apr-2022 11:26 PM
शानदार प्रस्तुति 👌👌
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