चलिए किताबों की ओर
किताबों के प्रति आकर्षण मानव जीवन का स्वभाव है ।अपनी पढ़ने की अभिरुचि को जीवंत बनाने के लिए वह किताबों की ओर खींचा जाता है। आज के इस तेजी से बदलते हुए परिवेश में लोगों के दिनचर्या और स्वभाव में भी तेजी से परिवर्तन देखा जा रहा है। अधिकतर लोग सोशल मीडिया पर अपना समय बिताते हैं। कुछ न कुछ ऐसा करते रहते हैं जिससे उनकी सक्रियता मीडिया में जाहिर होती रहे। कुछ हद तक तो यह ठीक है पर अत्यधिक उपयोग से कई तरह की नई नई बीमारियां देखने को मिल रही है।वो एक भ्रम में जी रहे हैंजो मिथ्या है। वास्तव में वह अपनों से दूर होता जा रहा है ।
जब आपको अपने सृजनात्मक प्रतिभा के प्रस्फुटन का आभास होने लगता है तब आप किताबों की ओर चल पड़ते हैं ।किताब पढ़ने से आपकी मनोवैज्ञानिक सोच, निर्णय करने की क्षमता बढ़ने लगती है। सृजन करने के लिए "जिज्ञासा" बहुत जरूरी है और इसकी पिपासा ही हमें किताबों की ओर ले जाती है। किताब पढ़ने की आदत जयों- ज्यों विकसित होगी त्यों-त्यों सामाजिक जीवन में सामंजस्य बिठाने में सरलता आएगी। आपको पढ़ते देख कर आने वाली पीढ़ी भी सन्मार्ग की ओर चलेगी और इस तरह पढ़ने की प्रवृत्ति नई पीढ़ी में विकसित होगी। बच्चे घर के बड़ों से सीखते हैं और उनका अनुकरण करते हैं इसलिए बच्चों को सही मार्ग पर लाने के लिए किताब की ओर चले।
Miss Lipsa
01-Sep-2021 10:21 AM
Fantastic
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Author sid
27-Jan-2021 02:06 PM
Thank you mam .
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علما
27-Jan-2021 09:54 AM
👍
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