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बता!!



कैसे चमकेगा!
मोहब्बत का सितारा तेरा
बता?
इतनी आस लगी है तुझे
ऐसे ही
नहीं जानता क्यों, बेवजह
ये तय है, छलेगा ही
अमावस्या का चाँद है!
निकलेगा कैसे?
तेरा आसमाँ
जमीं तेरी, 
थमे हुए है जिसके इंतज़ार में
कैसे नजर आएगा
वो छलिया है!
यही तो काम है उसका!
घर होगा तेरे दिल में उसका
निचोड़ लेगा रक्त की
हरेक बून्द को,
करके अधमरा तुम्हें
छोड़ जाएगा अनंतकाल तक
तड़पने के लिए
इस अनकहे दर्द की आग में
ठिठुरने के लिए!
क्या वाकई!
तुम नहीं समझते? 
अरे हाँ! वो वही हैं
झुलसते रहोगे सारी उम्र तुम
बर्फीली सांसों को खींचते
गले में जम जाएगी आवाज!
कोई खंजर मीठा सा
धंस जाएगा सीने में
देगा दर्द हल्का-हल्का
हर जख्म हरा..
क्योंकि अब कोई मोहब्बत 
नहीं करता यहां!
सब छलते हैं.. 
खेलते हैं दिल से, 
अरमानों से
अनाड़ियों से!
ये शौक है खिलाड़ियों का
जिन्हें चौराहे पर बैठकर प्रेम की भीख मांगते देखे हो
एकदिन ठोकर मार जाएगा तुम्हें,
क्योंकि
 तुम अभी नादान हो
समझो इस बात को कि
क्यों कोई फिक्र करेगा?
यूँ ही!
यहां कोई घाटे का सौदागर नहीं
बिक जाओगे तुम भी!
पर क्या?
तुम्हें अब भी यकीन है 
वो लौटेगा!
अच्छा मजाक हैं!
 साफ आसमान से बादल बरसेगा क्या?
 तुम बैठे हुए हो
 बेसब्र! 
 जिसके इंतेज़ार में;
 वो अमावस्या का चांद है..!
 कभी निकलेगा क्या?

#MJ 
©मनोज कुमार "MJ"





 

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12 Comments

Nitish bhardwaj

30-Jun-2021 08:13 PM

वाह भाई बहुत खूब

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धन्यवाद

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Mukesh Duhan

30-Jun-2021 08:13 PM

बहुत सुंदर जी

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धन्यवाद जी

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Renu Singh"Radhe "

30-Jun-2021 07:45 PM

बहुत खूब

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धन्यवाद

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