Lekhika Ranchi

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-कालिदास

मालविकाग्निमित्रम् 
 
 मालविकाग्निमित्रम कालिदास की पहली रचना है, जिसमें राजा अग्निमित्र की कहानी है जो अपने निर्वासित सेवक की पुत्री मालविका से प्रेम करने लगता है जब उसकी पत्नी को इसका पता चलता है तब वह मालविका को कारागार में डाल देती है, परन्तु संयोग से मालविका एक राजकुमारी होती है और उनके प्रेम-संबंध को स्वीकार कर लिया जाता है। कालिदास ने अपने नाटक ‘मालविकाग्निमित्र’ में अत्यन्त मनोहर नृत्य-अभिनय का उल्लेख किया है। वह चित्र अपने में इतना प्रभावशाली, रमणीय और सरस है कि समूचे तत्कालीन साहित्य में अप्रतिम माना जाता है। नाटक में दो नृत्याचार्यों में अपनी कला निपुणता के सम्बन्ध में झगड़ा होता है और यह निश्चित होता है कि दोनों अपनी-अपनी शिष्याओं का नृत्य-अभिनय दिखाएँ और अपक्षपातपूर्ण निर्णय के लिए जानी जानेवाली विदुषी, भगवती कौशिकी निर्णय करेंगी कि दोनों में कौन श्रेष्ठ है? दोनों आचार्य तैयार होते है, मृदंग बज उठता है, प्रेक्षागृह में दर्शकगण यथास्थान बैठ जाते हैं और प्रतियोगिता प्रारंभ होती है। इस प्रकार के दृश्य का पूर्ववर्ती साहित्य में कहीं उल्लेख नहीं हुआ है जबकि परवर्ती फ़िल्मों और धारावाहिकों में इससे प्रेरणा लेकर आज भी यह दृश्य प्रस्तुत किया जाता है।

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1 Comments

Gunjan Kamal

10-Apr-2022 11:59 AM

👌👏🙏🏻

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