रघुवंश कालिदास का महाकाव्य है। इसमें रघु के कुल में उत्पन्न राजाओं का वर्णन किया गया है। राजा दिलीप, रघु, दशरथ, राम, कुश और अतिथि की सहृदयता तथा वीरता के वर्णन अत्यंत कलात्मक सहज और हृदयस्पर्शी हैं। वे सभी राजा समाज में आदर्श स्थापित करने में सफल हुए थे। प्रभु श्री राम का रघुवंश महाकाव्य में विशेष रूप से वर्णन किया गया है। कालिदास ने राम के पूर्वज रघु और राम के बाद की पीढ़ी का भी आलोचनात्मक वर्णन किया है। महाकवि राजा दशरथ के पिता अज के विवाह प्रसंग में कहते हैं कि स्वयंवर में वर चुनने की प्रक्रिया में इन्दुमती जयमाला लिए राजाओं की पंक्ति के बीच से गुजर रही है। चलती हुई दीपशिखा की भाँति इन्दुमती जिस-जिस राजा के पास से गुजर जाती थी वह राजा प्रकाश के आगे बढ़ जाने पर अंधेरी अट्टालिकाओं की तरह कांतिहीन हो जाता था। कालिदास की इस चमत्कारमयी उपमा से प्रभावित होकर संस्कृत साहित्य के इतिहास में महाकवि कालिदास को दीपशिखा कालिदास की विशेषणमूलक संज्ञा से अलंकृत किया गया।
Gunjan Kamal
10-Apr-2022 12:00 PM
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