कुमारसंभवम् में शिव-पार्वती की प्रेमकथा व उनके विवाह की कहानी है, इसमें कार्तिकेय के जन्म और कुमार कार्तिकेय द्वारा असुर तारक के वध का विस्तृत विवरण है। कुमारसंभवम् की कथा का आरंभ हिमालय के वर्णन से होता है। हिमालय का विवाह पितरों की मानसी कन्या मैना से हुआ था। पार्वती ने इसी दंपत्ति के घर में जन्म लिया। एक दिन नारद वहाँ आये और पार्वती को देखकर कहा कि वह शिव की पत्नी बनेगी। द्वितीय सर्ग में तारकासुर के अत्याचार से दुखी देवता इंद्र को नेता बना कर ब्रह्मा के पास पहुँचते हैं। ब्रह्मा उनके दुख का कारण जानकर भविष्यवाणी करते हैं कि तारक को महादेव का पुत्र ही मार सकेगा। इसके लिए इंद्र काम का आह्वान करते हैं। काम शिव और पार्वती के मन में कामना जागृत करते हैं उनका विवाह होता है कार्तिकेय का जन्म होता है और तारकासुर का वध। ऐसा कहा जाता है कि कालिदास इस ग्रंथ को पूरा नहीं कर सके थे। परवर्ती युग के किसी महाकवि ने आठवें सर्ग के आगे की कथा तारकासुर वध तक सत्रह सर्गों में पूरी की है। इन परवर्ती नौ सर्गों में काव्य का स्तर पर्याप्त ऊँचा है, किंतु कालिदास के काव्य-स्तर तक नहीं उठ सका है।
Gunjan Kamal
10-Apr-2022 12:00 PM
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