मेघदूतम् कालिदास का गीति काव्य है कथा का प्रारंभ इस प्रकार होता है कि कुबेर की राजधानी अलकापुरी में एक यक्ष की नियुक्ति यक्षराज कुबेर की प्रातःकालीन पूजा के लिए प्रतिदिन मानसरोवर से स्वर्ण कमल लाने के लिए की गयी थी। यक्ष के अपनी पत्नी के प्रति अत्यधिक अनुराग के कारण समय पर पुष्प नहीं पहुँचा पाया। कुबेर को यह सहन नहीं हो सका और उन्होंने क्रोध में उसे एक वर्ष के लिए देश से निकाल दिया। विरह-पीडित निर्वासित यक्ष मेघ से अनुरोध करता है कि वह उसका संदेश लेकर उसकी प्रेमिका तक अलकापुरी ले जाये। वह मेघ को रिझाने के लिये रास्ते में पड़ने वाले सभी अनुपम दृश्यों का वर्णन करता है। मेघदूत में कालिदास ने उज्जयिनी के सौंदर्य का अद्भुत वर्णन किया है। यद्यपि यह छोटा-सा काव्य-ग्रन्थ है किन्तु इसके माध्यम से प्रेमी के विरह का जो वर्णन उन्होंने किया है उसका उदाहरण अन्यत्र मिलना असंभव है।
Gunjan Kamal
10-Apr-2022 12:01 PM
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