Lekhika Ranchi

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-कालिदास


मालविकाग्निमित्रम्-6 
 
 पञ्चम अङ्क

राजा को धारिणी का यह संदेश मिलता है कि अशोक वृक्ष से पुष्प पुष्पित हो चुके है। अतः वे रक्त शोक के पास पहुंचे वहां उनकी प्रतीक्षा कर रही है। उधर राजा के पास यह भी समाचार आता है कि उनकी सेना ने विदर्भ नरेश यज्ञसेन को परास्त कर माधवसेन को मुक्त करा लिया है।

    परभृत कलव्याहारेषु त्वमात्तरतिर्मधु, नयसि, विदिशातीराद्यानेष्वङ्ग इवाङ्ग । 
    विजयकारिणामालानत्वं गतः प्रबलस्य ते, वरद!वरदारोधोवृक्षैः सहावनतो रिपुः ॥

राजा और विदूषका रक्ताशोक देखने प्रमदवन जाते है। मालविका वहां वैवाहिक वेष में सजी हुई है व रानी के बिल्कुल समीप खड़ी है। साथ ही में परिब्राजिका कौशिकी तथा परिजनों से युक्त धारिणी राजा के दर्शन के लिए आतुर है। उसी समय राजा अग्निमित्र के पिता पुष्यमित्र का भेजा हुआ दूत वहां आया, जिसने बताया कि राजकुमार वसुमित्र (अग्निमित्र का पुत्र) ने यज्ञाश्व की बड़ी बहादुरी से रक्षा कर ली है। राजा ने धारिणी की प्रशंसा में कहा की आपके पुत्र विजयी होकर वापस लौटे हैं अतैव आप वीरमाता के नाम से जानी जाओगी। यह समाचार सुनकर सभी बहुत प्रसन्न हुए। धारिणी ये समाचार इरावती को भी बताने को कहती है तदन्तर वो राजा से कहती है कि आपने मुझे प्रिय समाचार सुनाया है अतः आप तदनुरूप पारितोषिक स्वीकार करें। उसके पश्चात उसी समय उपहार में भेजी गई दो शिल्प कन्याएं वहाँ उपस्थित की गयी, जिनमें से एक ने मालविका को पहचान लिया और कहा कि यह तो राजकुमारी है उन कन्याओं ने परिव्राजिका को भी पहचान लिया। यह सब देखकर राजा आश्चर्य चकित हुए और सविस्तार जानने की इच्छा प्रकट की। उनक न्याओं ने तथा परिव्राजिका ने पूरी घटना को विस्तार से राजा को बताया।

    अप्याकरसमुत्पन्ना मणिजातिरसंस्कृता। 
    जातपेरूण कल्याणि! न हि संयोगमर्हति॥

मालविका और अपने अज्ञातवास के औचित्य को सिद्ध करती हुई परिव्राजिका ने बताया कि जिस समय मालविका के पिता जीवित थे उसी समय एक सिद्ध पुरूष ने बताया था कि मालविका एक वर्ष तक दासी का काम करने के बाद योग्य पति प्राप्त कर सकेगी। इसलिए मालविका को दासी के रूप में रहते देखकर वह चुप थी। वास्तविकता की जानकारी हो जाने पर उसे दासी कर्म कहीं और करना पड़ता जो उचित नहीं था। इसके पश्चात रानी धारिणी, इरावती की तथा परिव्राजिका, कौशिकी की अनुमति लेकर मालविका का विवाह राजा से करा देती हैं।

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1 Comments

Gunjan Kamal

10-Apr-2022 12:05 PM

👌👏🙏🏻

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