इस सर्ग में कुमार कार्तिकेय की बाललीला का नैसर्गिक वर्णन है। इन्द्रादि देवताओं की प्रार्थना पर गंगा ने स्त्री का रूप धारण कर बालक को स्तनपान कराया। वह बालक क्षण-प्रतिक्षण बढ़ने लगा। इस तेजस्वी बालक को प्राप्त करने के लिए गंगा, अग्निदेव तथा छः ड्डत्तिकाओं के मधय कलह होने लगा। उसी समय महादेव अपनी प्रिया पार्वती के साथ विमान पर आरूढ़ उस स्थान पर पहुँचे। उस दिव्य बालक को देखकर पार्वती ने महादेव से उसकी माता का नाम पूँछा। महादेव ने पार्वती को बताया, कि देवि! तुम्हीं इसकी माता हो। महादेव की आज्ञा से पार्वती विमान से उतरीं तथा बालक को अपनी गोद में उठा लिया। उस समय इन्द्रादि देवों ने करबद्ध होकर शिव-पार्वती को प्रणाम किया। उस बालक को अपने साथ लेकर विमानारूढ़ होकर शिव-पार्वती कैलाश शिखर पर चले गये। कैलाश शिखर पर भगवान शिव ने अपने गणों से कुमार का जन्मोत्सव मनाने के लिए कहा। बड़ी धूमधाम से कुमार कार्तिकेय का जन्मोत्सव मनाया गया। यक्षों, विद्याधरों एवं किन्नरों की स्त्र्यिों ने कुमार के जन्मोत्सव में प्रसन्नतापूर्वक भाग लिया। कुमार अपनी बाल-लीलाओं से शिव-पार्वती को आनन्दित करता हुआ दिन- प्रतिदिन बढ़ने लगा।
Gunjan Kamal
11-Apr-2022 03:57 PM
Very nice
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