इस सर्ग में इन्द्र और तारक की सेनाओं के युद्ध का भीषण रूप वर्णित है। युद्धभूमि में पैदल योद्धा पैदल से, घुड़सवार योद्धा घुड़सवार से तथा हाथी पर सवार योद्धा हाथी सवार से भयंकर युद्ध कर रहे थे। युद्धभूमि में रुधिर की नदी बह रही थी। युद्धक्षेत्र का वीभत्स वर्णन कालिदास की लेखनी ने अद्भुत कुशलता के साथ किया है। योद्धा परस्पर शत्रुभाव से वीरता के साथ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो रहे थे। कहीं-कहीं तो कबन्ध तक परस्पर युद्धरत थे। महावतों से रहित हाथी मदमस्त होकर युद्ध क्षेत्र में योद्धाओं को मर्दित करते हुए भ्रमण कर रहे थे। इस प्रकार सम्पूर्ण सर्ग में देव सेना तथा दैत्य सेना का भीषण युद्ध चलता रहता है। तारकासुर स्वयं युद्ध करने हेतु इन्द्र के सम्मुख आकर खड़ा हो जाता है। इसी दृश्य के साथ सर्ग की समाप्ति हो जाती है।
Gunjan Kamal
11-Apr-2022 03:58 PM
Very nice
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