अपने हिस्से की खुशी भाग 2
अपने हिस्से की खुशी भाग २
बच्चों और पति के जाने ले बाद दोनो सहेलियां घर में अकेली थीं।आज आरती को वापस कानपुर जाना था
आरती ने माधुरी से पूछा-- तुम व्हाटसअप पर हो।
माधुरी--नहीं यार इतना समय कहाँ रहता है। मैं तो केवल
कॉल करती हूँ और रिसीव करती हूं।
अरे यार इतना महंगा स्मार्टफोन है तुम्हारा ! इसका कुछ तो उपयोग करो!
घर के कामों से समय ही नहीं मिलता है और इतना थक जाती हूं कि फिर किसी और काम में मन नहीं लगता है। माधुरी ने सपाट सा जवाब दिया।
आरती ने उसका फोन मांगा तो उसने अपना फोन पकड़ा दिया।
आरती ने उससे पासवर्ड पूछकर वट्सप इंस्टॉल कर दिया । कालेज की घनिष्ट दोस्तों का नम्बर सेवUH करके एक फ्रेंड्स ग्रुप बनाती है।
वह माधुरी से कहती है--" अब हम आपस में एकसाथ बाते कर लेंगे और कभी कभी वीडियो चैटिंग भी करेंगे। "
लेकिन माधुरी ने इस विषय में कोई उत्साह नहीं दिखाया।
आरती जिस उत्साह के साथ अपने दोस्त से मिलने आई थी उसका सारा उत्साह खत्म हो चुका था ।
वह बुझे मन से अपने घर वापस जा रही थी।
कानपुर पहुंच कर आरती अपनी नौकरी में व्यस्त हो गई।
दुनियां में कोरोना बीमारी धीरे धीरे बढ़ रही थी।
सरकार अपने देश के नागरिकों को इस बीमारी से बचे रहने के लिए हर संभव प्रयास कर रही थी। सरकार नागरिकों से घर में रहने का आह्वान कर रही थी। इसी प्रयास का एक कदम था लॉकडाउन।
सभी लोग अपने घरों में रहने को विवश थे। लोग घर के काम मिलजुल कर कर रहे थे। अपने शौक को पूरा करने का यह सुनहरा अवसर था। बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस चलने लगीं। अधिकतर कम्पनियों के कर्मचारियों को भी घर से काम करने की छूट मिली हुई थी।
संक्रमण को मद्देनजर रखतेहुए काम वाली बाइयों को भी छुट्टी दे दी गई थी। पति विनय और बच्चे घर के कामों में माधुरी की मदद करने लगे थे। इस उसका काम भी जल्दी खत्म हो जाता था और अब वह ज्यादा थकती भी नहीं थी ।अब वह कभी कभी वट्सप चलाने लगी।
उसे अपने फोन में कई नई नई चीजें देखने को मिली जिसके बारे में उससे पता नहीं था यदि उसे कुछ समझ में नहीं आता था तो वह अपने पति और बच्चों से पूछ लेती थी। बाद में तो वह खुद ही बहुत कुछ सीख गई। आखिरकार वह एक शिक्षित महिला जो थी । कहते हैं "विद्या धन वह धन है जो कभी व्यर्थ नहीं जाता है" ।
उसने देखा कि उसकी क़ई सहेलियां तरह तरह के व्यंजन बनाकर वट्सप ,फ़ेसबुकपर डालते थे। ये देखकर माधुरी भी तरह तरह के पकवान बनाने लगी और ग्रुप में भेजकर सहेलियों की तारीफें बटोरने लगी।
एक दिन आरती ने ग्रुप वीडियो कॉलिंग करके सभी सहेलियों को एकसाथ ऑनलाइन इकठ्ठा किया और खूब बातें की।आज माधुरी बहुत खुश थी।उसे अपने सहेलियों से बातें करके बहुत अच्छा लग रहा था । आज बातों ही बातों में उसने सहेलियों को एक कविता सुनाया ,जिसकी बहुत वाहवाही हुई।
अब माधुरी व्यंजनों को बनाकर ऊब रही थी। स्वादिष्ट व्यंजन में तेल मसाले से स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां भी शुरू होने लगी थी उसका और उसके पति का वजन भी बढ़ने लगा था अतः अब उसे व्यंजन बनाने में भी कोई रुचि नहीं रही थी । रोज का सामान्य खाना ही सबसे बेहतर रहता है।
रिश्तेदारों और सहेलियों से फोन पर घंटो इधर उधर की बातें करते करते भी थक जाती। हाँ उसे अब सोशल मीडिया में एक्टिव रहकर बहुत मज़ा आने लगा था। वह अपनी सहेलियों से चैटिंग करते हुए कुछ कविताएँ सुनाती जो कभी कालेज में लिखे थे।
उसकी सहेलियां उससे कहने लगीं कि तुम अपनी रचनाएँ लिखकर किसी साहित्यिक वेबसाइट पर भेजो ! लेकिन माधुरी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया ।कुछ समय और बीता।कोरोना एक महामारी का रूप ले चुका था अतः सरकार और स्वास्थ्य विभाग लोगों को अपने घरों के अंदर ही रहने की हिदायत दे रहे थे ।
पति और बच्चे माधुरी का घर के कामों में सहयोग कर ही रहे थे इसलिए माधुरी के पास अब समय की कोई कमी नहीं थी घर के काम भी जल्दी से निपट जाते।
क्रमशः
स्नेहलता पाण्डेयI'स्नेह'
Arman
27-Nov-2021 12:04 AM
Nice
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Zeba Islam
21-Nov-2021 06:01 PM
Nice
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