लेखनी प्रतियोगिता -13-Apr-2022 ए चाँद तू मेरे साथ चल
शीर्षक = ए चाँद मेरे साथ चल
आज करवाचौथ था संध्या ने व्रत रखा था अपने पति सूरज के लिए बदकिस्मती से सूरज इस साल भी उसके साथ नही था जिसे देख वो अपना व्रत खोल सके । सूरज इस साल भी बॉर्डर पर तैनात था और अपने देश की रक्षा कर रहा था ।
संध्या और सूरज का पांच साल का बेटा अमन जो की उस दिन घर में ही था और अपनी माँ को इस तरह खुश और सजता सवरता देख खुश हो रहा था किन्तु संध्या के चेहरे पर एक उदासी थी क्यूंकि करवाचौथ हर सुहागन के लिए एक बड़े त्यौहार से कम नही होता जिसमे वो अपने पति के हाथो से जल पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं और अपने पति की लम्बी उम्र और सेहत की दुआ मांगती हैं।
लेकिन संध्या को इस बार भी अपने पति के फोटो को देख कर ही व्रत खोलना पड़ेगा । लेकिन वो खुश थी कि उस जैसी हज़ारो पत्नियां होंगी जिनके पति या तो बॉर्डर पर खड़े होंगे या फिर दूसरे शहरो और विदेशो में बैठे होंगे ताकि उनका घर आसानी से चल सके बिना किसी तकलीफ के।
अमन भी थोड़ा उदास था क्यूंकि उसका दोस्त चाँद जो कि गली में कबाड़ बीनता हैं उसका एक्सीडेंट हो गया था एक गाड़ी वाला उसे टक्कर मार गया था और अब वो अस्पताल में भर्ती था ।
उसकी माँ संध्या और दादी को उसका चाँद के साथ खेलना पसंद नही था क्यूंकि वो बहुत गन्दा रहता था और कबाड़ बीनता था । कही अमन भी उस जैसा ना बन जाए इसी डर से वो चाँद को अपने घर आने नही देती थी । अमन चोरी छिप कर चाँद से मिलने जाता और अपनी माँ के हाथ के बने परांठे भी चोरी से उस के पास ले जाता।
चाँद कि माँ उसे जन्म देने के दौरान चल बसी थी । कुछ साल चाँद कि परवरिश उसकी दादी ने कि और उसके जाने के बाद चाँद बिलकुल अकेला हो गया क्यूंकि उसका पिता शराबी था और आये दिन उसे मारता पीटता ।
धीरे धीरे दोपहर हो चली , संध्या को प्यास कि वजह से चककर आने लगे । उसकी सास ने उससे कहा कि जाकर आराम करले , लेकिन उसने एक ना मानी और कुछ ना कुछ करती रही ।
चाँद निकलने से दो घंटे पहले संध्या बेहोश हो कर फर्श पर गिर गयी जिसे देख अमन और उसकी दादी घबरा गए ।
"मना कर रही थी मैं इससे कि व्रत में इतना काम मत कर बिलावजह चक्कर आ जाएंगे " दादी ने संध्या को उठाते हुए कहा ।
अमन और उसकी दादी ने संध्या को बिस्तर पर लेटाया।
संध्या के होंठ सूख चुके थे पानी कि कमी कि वजह से।
"बेटा पानी पी लो तुम्हारी हालत ख़राब हो रही हैं, भगवान ना करे कि तुम्हे कुछ हो गया तो मैं अपने बेटे को क्या जवाब दूँगी जो तुम्हे और अमन को मेरे हवाले छोड़ कर वहा बॉर्डर पर सुकून से खड़ा दुश्मनों का मुकाबला कर रहा हैं " दादी ने कहा
" नही अम्मा जब तक चाँद नज़र नही आ जाता में व्रत नही खोलूंगी मेरे पति कि ज़िन्दगी का सवाल हैं कही उन्हें कुछ हो गया तब, मेरे व्रत तोड़ लेने कि वजह से तब मैं क्या करुँगी " संध्या ने पास बैठी सास से कहा
अमन पास खड़ा दोनों कि बाते सुन रहा था और उसने ये भी सुना कि वो दोनों किसी चाँद के निकलने का इंतज़ार कर रही हैं। उससे अपनी माँ कि हालत देखी नही जा रही थी वो दुआ कर रहा था कि चाँद कही से खुद चल कर आ जाए।
वो ये सोच ही रहा था कि तभी उसके पास एक विचार आता और वो तुरंत भाग कर बाहर कि तरफ जाता
"अमन बेटा कहा जा रहे हो " दादी ने भागते हुए अमन से पूछा
"दादी चाँद को लाने, उसे मेरे साथ चल कर यहाँ आना होगा नही तो मेरी माँ प्यास से मर जाएगी " अमन ने कहा और चला गया
"बेटा चाँद आसमानो पर होता हैं, तू कहा से लेने जा रहा हैं " संध्या ने कहा लेकिन जब तक वो जा चूका था
अमन भागते भागते एक जगह पंहुचा उसके अंदर गया ।
" अरे अमन तू यहाँ क्या कर रहा हैं? "बिस्तर पर लेटे चाँद ने पूछा ।
"चाँद तू मेरे साथ घर चल मेरी मम्मी को तू ही ठीक कर सकता हैं " अमन ने रोते हुए कहा
" अरे! अमन क्या हुआ तुम्हे तुम रो क्यू रहे हो, और तुम तो जानते ही हो तुम्हारी दादी और मम्मी मुझे पसंद नही करती हैं क्यूंकि मैं कचरा बीनता हूँ इस लिए मैं तुम्हारे घर नही चल सकता " चाँद ने कहा
अगर तू नही गया तो मेरी मम्मी प्यास से मर जाएंगी क्यूंकि वो कह रही थी कि चाँद को देख कर ही पानी पियूँगी।
इसलिए तू मेरे साथ चल , मैं तुझे अपने कांधे पर बैठा कर ले जाऊंगा मैं जानता हूँ तू अभी चल नही सकता । लेकिन अगर मम्मी को कुछ हो गया तो मैं मर जाऊंगा मैं उनके बिना नही रह सकता । अमन ने कहा
बेचारा अमन अपने दोस्त चाँद को चाँद समझ कर अपनी माँ के पास ले जाने के लिए आया था लड़कपन यही होता हैं शायद ।
वही चाँद भी बिस्तर से उठ कर बोला " मैं तैयार हूँ चलने के लिए अगर मुझे देख कर तेरी मम्मी पानी पी कर अपनी प्यास बुझा लेंगी और बच जाएंगी तो मैं तेरे साथ चलने को तैयार हूँ.
क्यूंकि माँ के बिना जीना आसान नही होता और मैं नही चाहता तू भी मेरी तरह अपनी माँ को खो दे। और वैसे भी तेरी मम्मी के हाथ के बने परांठे भी तो खाता था आज उन पराठो कि कीमत अदा करने का समय आ गया हैं।"
चाँद बिस्तर से नीचे उतरा उससे चला नही जा रहा था । लेकिन उसने चलने कि कोशिश कि। अमन ने अपनी माँ को बचाने के खातिर चाँद को अपने छोटे छोटे कंधो पर बैठाया और अस्पताल से निकल गया अस्पताल कि नर्स उनके पीछे भागी पर पकड़ ना सकी ।
अमन को सिर्फ अपनी माँ कि प्यास बुझा कर उसे बचाना था । ( दोनों ही नही जानते थे कि कौन से चाँद को देख कर व्रत खुलता हैं, बस दोनों ही निकल पड़े एक अपनी माँ को बचाने के लिए और दूसरा अपनी दोस्ती निभाने के लिए )
कभी रास्ते में अमन , चाँद को लेकर गिर जाता और दोनों को चोट आ जाती लेकिन दोनों रुके नही चोट खायी और अमन आखिर कार चाँद को लेकर घर पहुंच गया और दरवाज़े से ही चीखने लगा " माँ, दादी देखों मैं चाँद को अपने साथ चला कर ले आया अब तो माँ व्रत खोल लेगी चाँद को देख कर "
संध्या जो कि बिस्तर पर लेटी थी और उसकी सास उसका सर दबा रही थी। अमन और चाँद को ऐसी बुरी हालत में देख उठ खड़ी हुयी और बोली
" ये क्या हालत बना ली तूने अमन, और तुझसे कहा था ना कि इससे दूर रहा कर वरना ये तुझे भी अपनी तरह कचरा बीनना सिखा देगा "
" माँ देखों चाँद आ गया , ये अस्पताल में था जब इससे मेने कहा कि मेरी मम्मी प्यास से मर रही हैं और कह रही हैं कि जब तक चाँद नही आ जाता तब पानी नही पियूँगी वरना पापा को कुछ हो जाएगा, तब ये तुरंत मेरे साथ चलने को मान गया और बोला" तेरी मम्मी को कुछ नही होगा,
माँ क्या होती हैं ये मुझसे बेहतर कोइ नही जानता और बोला तेरी मम्मी के हाथ के पराठे भी तो नही खाय हैं बहुत दिनों से " सॉरी मम्मी आप जो खाना मुझे लंच में देती थी वो में चाँद को खिला देता था क्यूंकि ये भूखा होता था और आपके दिए पराठे खा कर ही अपनी भूख मिटाता था
अमन की बात सुन और चाँद को इस तरह बीमार हालत में होते हुए भी उसकी मदद को चले आने पर ना जाने क्यू संध्या की आँख में आंसू आ गए अपनी माँ की इतनी चिंता करते देख संध्या ने अमन को गले लगा लिया और चाँद को भी ।
उसे एहसास हो गया था की वो बड़े हो कर बच्चों में बेदभाव कर रहे थे और वो बच्चे नासमझ हो कर अपने आप को चाँद समझ कर बीमार हालत में उसका व्रत तोड़ने के लिए आ गए ।
वो उन्हें गले लगाए हुए थी की तभी पड़ोस की एक औरत ने आवाज़ लगा कर कहा संध्या चाँद निकल आया तू आकर व्रत खोल ले अपना।
ये सुन अमन बोला " मम्मी चाँद तो मेरे साथ चल कर खुद आया हैं तो ये काकी कोनसे चाँद की बात कर रही हैं "
उसकी बात सुन संध्या और उसकी सास को हसीं आ गयी और वो बोली " बेटा ये चाँद तुम्हारा दोस्त चाँद नही हैं जो तुम्हारे साथ कही भी चल सकता हैं, ये तो आसमान में निकलने वाला चाँद हैं जिसके दर्शन पा कर हर सुहागन अपने पति के हाथो से जल पीकर अपना व्रत खोलती हैं। ये तो खुद चल कर हर सुहागन की छत पर आ बैठता हैं इसे कही ले जाने की ज़रुरत नही बस थोड़ा इंतज़ार की आग में जलाता हैं करवाचौथ वाले दिन "
प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी
Reyaan
22-Apr-2022 03:36 AM
Very nice 👍🏼
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Abhinav ji
15-Apr-2022 08:35 AM
Nice
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Mohammed urooj khan
14-Apr-2022 09:02 AM
धन्यवाद आप सब का पढ़ कर सराहने के लिए
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