Anil Anup

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रुही

अनिल अनूप

रूही एक    अनाथ ,बेसहारा   लड़की थी जिसे उसी   की  चाची   ने    बोझ समझ कर    अपनी   आर्थिक  स्थिति को   ठीक   करने   की एवज   में    शहर लाकर   एक तवायफ   के कोठे पे बेच  दिया  . रूही    अभी   १६  वर्ष   की भी नहीं हुई  थी और खूब   पढना  चाहती थी  मगर उसके सभी अरमान धरे के धरे रह गए .हालत  की  मारी  वोह बच्ची     अब   एक दम   गुम-सुम सी हो गयी थी  .उसमें बाल -सुलभ   चंचलता  तो तब की ख़त्म  हो गयी थी जब उसके   माँ-बाप   गुज़र   गए थे, गॉव में  फैली    महामारी   की वजह से ।  रूही के चाचा  तो    जोरू के गुलाम   थे   भला -बुरा कुछ नहीं समझते थे जो बीवी कहे उसी को मानते थे ,उस  मासूम   व भोली-भाली   सी बच्ची   को तवायफ  के हवाले करके  और बदले में उसे अच्छी खासी मोटी      रकम लेकर वोह दोनों स्वार्थी और  बईमान लोग  किसी दुसरे शहर में   बस गए ,फिर उन्होंने कभी इसकी सुध  नहीं ली .

पन्ना बाई   बहुत   भली औरत थी भले ही

तवायफ  थी  उसने   इसे धंधा  नहीं करवाया   बल्कि   उसे   अपनी बेटी   बनाकर सबसे छुपा कर रखा  .    यूँ तो रूही को भी नाचने-गाने का शौक था. मगर  यहाँ जिस तरह का नाच -गाना ,भाव-भंगिमाए ,संवाद अदाएगी आदि   होता था   उसे पसंद नहीं था.  पन्ना   बाई ने उसे  पुरे १-१/२    साल   तक  इन सब से दूर रखा  . और फिर कुछ खास मेहमानों के सामने ही   उसे पेश  करने का तय किया . इन सब बातों की वजह थी रूही की खूबसूरती . रूही   भले   ही सावली  सी थी  मगर  बहुत सुंदर  थी  ,उसके नैन -नक्श    आकर्षक   थे   और सब   लड़कियों से अच्छा नाचती थी  और   आवाज़   भी मीठी थी ,इसीलिए गाती भी अच्छा थी .

रूही   ,पन्ना बाई   के लिए किसी अनमोल खजाने से कम नहीं  थी  ,रूही को इससे माँ जैसा प्यार मिल रहा  था इसीलिए    रूही   अब थोडा   खुश   रहने लगी थी . पन्ना बाई ने उसके लिए कोठे में ही  उसके पढने   के लिए मास्टर का इन्तेजाम कर दिया था. इसीलिए रूही ने  काफी कुछ पढना  -लिखना   सीख लिया था और अब उसे   मेट्रिक करके   आगे पढने का   सपना था . उसे अपनी इस मुह बोली माँ पर पूरा भरोसा था  इसीलिए  उसे विश्वास    था की   एक दिन   वोह यहाँ से निकल कर   एक बेहतर  और इज्ज़त की जिंदगी जियेगी.

पन्नाबाई   के कुछ   खास   मेहमान  आये तो उसने   रूही को ही आगे किया   अपना प्रभाव ज़माने हेतु. उसने रूही को सजा -संवार   के उनके   सामने बैठा   दिया   और एक   अच्छी   सी   ग़ज़ल   गाने  की पेशकश   की.   रूही   की   मीठी आवाज़  और दिलकश    अदाएगी   ने मेहमानों को मंत्रमुग्ध   कर दिया और खूब   नजराने भी दिए   और तारीफें  कीं.   उसी   दिन   एक    सुंदर  व सजीला सा   नोजवान   ,जिसकी   उम्र   २०- २१   वर्ष   होगी  वहीँ   से गुज़र रहा था  उसे भी इस  मीठी व जादूभरी आवाज़   ने   आकर्षित   किया  और उस आकर्षण   में  वोह   पन्ना बाई के कोठे पर खीचा चला आया. पन्ना बाई ने उसका भी स्वागत लिया क्योंकि  वोह एक बड़े उद्योग पति   का सबसे छोटा बेटा था ,जो की   एक शायर   था  मगर   घर वालों की उपेक्षा   का पात्र   था  .अक्सर   जब हताश हो जाता तो यहाँ आ आता ,  नाम था    कमल .  उसे   पहले तो कभी यह आवाज़ नहीं सुनी  और जब उसने रूही को देखा   तो   उसपर  मोहित हुए बिना न रह सका.बाकी मेहमान तो चले गए  तो कमल  ने पन्ना बाई के सामने रूही से मिलने की इच्छा ज़ाहिर   की  .पन्ना बाई ने इज़ाज़त  दे दी  और उसे रूही के कमरे में भेज दिया . दोनों के बीच   हलकी -फुलकी जान -पहचान   हुई   और  वोह रोज़ उससे   मिलने आने लगा .  वो रूही को पसंद करने लगा था   और रूही भी  पसंद करने लगी .दोनों में पक्की दोस्ती हो गयी ,कभी तो वोह उसे कहीं घुमाने ले जाता,या कभी कोई न कोई तोहफा लेकर आता .  उसे एक दिन मालूम पड़ा रूही को पढने का शौक है तो उसक लिए पढने के लिए अपनी शाएरी की पुस्तके  और अन्य अच्छी  -अच्छी किताबें  भेंट   कीं . कमल   अब रूही को अच्छी तरह जान गया था उसकी पसंद ,नापसंद ,ख्याल ,भावना शौक  आदि सब .  रूही   भी   कमल   को जानने लग गई .वोह रोज़ उसका इंतज़ार   करती रहती,जिस दिन नहीं आता उस दिन शिकायत   करती, रूठ  जाती तो कमल उसे अपनी  कोई  मुहोबत भरी शायरी       या ग़ज़ल   सुनाकर         मनाता. और वोह मान जाती ,उन दोनों की दोस्ती अब   प्यार में   बदलने लगी थी .

एक दिन   कमल   के   पिता  को पता लगता है की उनका छोटा बेटा   कोठे पे जाता है तो गुस्से से पागल हो गए और उसे अपनी जायदाद   से अलग करदिया.   कमल भी अपनी खुद्दारी   की वजह से    सब कुछ छोड़ कर आ जाता  है  .वोह   उस दिन बहुत परेशां सा हो जाता है घर और जायदाद तो छोड़ दी अब गुज़र बसर कैसे हो ,शायरी और ग़ज़लों में इतनी आमदनी तो नहीं होती की अपना घर बसा सके  ,इसी कशमकश में और   अपना गम  भुलाने कोवोह शराब का   सहारा   लेता है  ,रूही उसकी हालत समझ लेती है और उसे अपने कमरे में ले आती है . वोह उसे बहलाने   की कोशिश करती है  वोह   अपने आप को   अंदर से टुटा हुआ सा महसूस करता है   वो रात उसके लिए बड़ी तकलीफ दायक   गुजरती  हैऐसे में लाज़मी है की कोई  टूटे हुए व हरे हुए इंसान को अगर उसे सही समझने वाला कोई  साथी मिल जाये तो अपने आप को उस साथी के समक्ष समर्पण दे देता है  औरइसी वजह से    दोनों  भावनायों  में बह  जाते हैं.

अगली सुभाह जब कमल सो कर उठता है तो उसका नशा उत्तर  चूका होता है वोह   रूही को दुढ़ता   है तो   की रूही एक कोने में बेठेरोते हुए पाता है  ,उसके दिल को धक्का लगता है ,अपनी   भूल पर शर्मिंदा भी होता है  और उसे माफ़ी मांगने लगता है फिर उसे महसूस होता है की वोह रूही के साथ जो उसने अनजाने में ही सही लेकिन गलत किया है इसकी भर पाई कैसे भी हो उसे पूरी करनी चाहिए. और वैसे भी से सच्चे दिल दे प्यार करता है उसे इसका हमेशां के लिए हाथ थामने के लिए उसे हिचकना नहीं चाहिए भले ही यह दुनिया कुछ भी कहे ,परिवार तो पहले  ही छोड़ दिया तो अब डर किसका! कमल   उसके सामने यह वायेदा करता है की वोह उससे शादी करेगा .उसका  साथ अब वोह जिंदगी भर नहीं छोड़ेगा . रूही की आँखों से ख़ुशी के आंसू बहने लगते है तो कमल उसके आंसू अपने हाथों   से पोंछ कर उसे अपने गले से लगा लेता है.

पन्ना बाई   को   जब   यह पता चलता है की  कमल की अपने बाप से अनबन हो गयी है तो उसकी भी नजरें बदल जाती है. वो कमल   का अपमान   करती है और   उसका कोठे में आना जाना   बंद  करने  को कहती है तो साफ़ लफ़्ज़ों में कह देता की वोह और रूही एक दुसरे के हो चुकेहैं और एक दुसरे से बहुत प्यार करतें हैं और उसने   रूही से   शादी करके उसके साथ घर बसाने  का निश्चय किया   है ,सुनकर पन्ना बायीं बहुत जोर से हंसती है ,उसकी खिल्ली उड़ाती है मगर जब वोह उसे   अपनी कसमें दिलवाता तो उसे यकीं हो जाता है  और वोह  उसके सामने यह शर्त रखती है'' ठीक है! ५०,००० दे जायो और रूही को ले जायो ''.   कमल    उसके सामने   २   महीने  की मोहलत मांगता है और उससे यह वायेदा लेकर जाता है  की वोह रूही का ख्याल रखेगी ,उसकी हिफाज़त करेगी और उससे धंदा   नहीं करवाएगी क्योंकि अब रूही  उसकी होने वाली पत्नी है . कमल के जाने की बात सुनकर रूही दुखीऔर परेशान होने लगती है तो कमल पहले तो रूही को   अपने पहले प्यार की निशानी के तौर   परसोने की  अंगूठी   पहना   देता है .मगर जब इससे भी तसल्ली   नहीं होती तो  अपने   ही   पेन   से  अपने अंगूठे  को चुभो   देता है जिससे खून आने लगता है .रूही यह सब देखकर घबरा जाती है और दवा   और पट्टी   करने के लिए ज्यों   ही मुडती   है कमल    उसकी बांह    पकड़ के   उसी   खून से भरे अंगूठे   से उसकी मांग भर देता है. रूही भाव आवेश   में   उसे अपना पति मान  कर उसके चरण -स्पर्श करने   के लिए झुकती है  और कमल उसे ऐसा करने से रोक कर  फिर गले से लगा लेता है . और उसे पत्र -व्यवहार   करते रहने का वायदा  भी करके   जाता है.  और साथ यह  भी यकीं दिला कर जाता है की जैसे ही उसे अच्छी    सी नौकरी   मिलेगी वोह आकर अपनी प्यारी रूही को इस नरक से ज़रूर निकाल   ले जायेगा. इसी   विश्वास    के साथ कमल     मुंबई    आकर   नौकरी ढूढने   के संघर्ष में जुट जाता है.

इधर   कमल   को   गए अभी कुछ दिन ही   हुए  थे   मगर रूही को वोह भी कई वर्षों के बराबर लग रहे थे फिर भी अपने इश्वर को याद करते हुए उसपर भरोसा करते उसके दिन कट रहे थे. उसका सारा समय कमल का इंतज़ार करने, उसे याद करने में ,उसकी दी हुई भेंट देखने में ,और किताबी पढने में कट जाता ,मगर रातको वोह बड़ी बेचैन रहती ,करवटों में रात गुजारती नींद ही नहीं आती ,और अगर आती तो बुरे ख्वाब  उसे  चोंककर   जगा देते.   उन दोनों के बीच पत्रों  द्वारा   संपर्क तो   अभी तक बना हुआ था  ,इसी तरह  दो महीने गुज़र  गए .

पन्ना बाई ने     २    महीने तो   कमल  से  किये गए वायदे का मान रखा ,जितनी  वोह मोहलत मांग कर   गया था मगर अब तक उसका    ना अत्ता न पत्ता .  पन्ना बाई की नियत डावांडोल होने लगी .  उसने   रूही को   पहले तो   भावनात्मक दबाव डालना शुरू किया , फिर उसे मानसिक कष्ट देने लगी  .रूही ,जिसके   मन मस्तिष्क  में   अब तक  जो छवि इस मुह -बोली माँ की बैठे हुई थी ,  उसका देवी सवरूप ,वोह भरोसा ,  वोह   ममता  सब   चकना चूर होने लगा.  . वोह  मासूम .भोली सी लड़की अब   अपने आप को फिर से असहाए   महसूस करने लगी .  क्योंकि   अब पन्ना बाई   उस पर कभी कभी हाथ भी उठा देती . और   उसका अपमान करते हुए यह कहती की अब ''तू  मैली हो ही गयी है तो   इस धंदे में   आने अब नखरे कैसे !   वोह नहीं आने वाला ,तेरा कमल , बहुत आये  और गए ,और झूठे वादे  भी किये  मगर  किसी  की डोली नहीं उठी  यहाँ से और   तू क्या निराली है.  अब भूल जा उसे  ''  .   फिर   रूही ने दुःख और गुस्से  से कहा  की वोह  क्या था जो तुम मुझसे अब तक कर रही थी वोह प्यार वोह दुलार ,क्या यह सब  नाटक था ?.''   पन्ना बाई ने कहा''हाँ!'' उसमें मेरा स्वार्थ छुपा था  ,में तेरी देखभाल   उसी तरह कर रही थी की जैसे  एक बलि के बकरे की की  जाती  है  ,अब तू बलि का बकरा बन ने के लिए तैयार   हो जा. समाज में तेरे लिए कोई जगह नहीं , माँ-बाप भी   नहीं ,अरे ! जब तेरे   सगे चाचा-चाची तेरे अपने ना हुए तो तू  मुझसे क्या उम्मीद करती है  ,तू निरी मुर्ख है आज कल कोई किसी का नहीं है ,वोह देखा न ! तेरा यार कमल ,आया क्या !   बड़ावायदा  करके गया था ना ,क्या हुआ उसके वायेदा  का . अरे आवारा भवर था  भावनात्मक ड्रामा करके तेरा रस लेकर चला गया. तू तवायफ  है येही तेरी नियति है और यही तेरी तकदीर भी. अब ऊँचे ऊँचे ख्वाब मत देख ,आसमान  में मत उड़ ज़मीं पर रह , वरना बहुत पछताएगी , सपने   टूट   जाते है   तो  तेरे  जैसे   मुरख  और पागल इंसान ज़मीं पर आकर गिर ते है और धुल में मिल जाते है ,समझी!

रूही के पैरों   तले ज़मीं  खिसक  गयी . उस    मासूम   की आँखें   आश्चर्य से  खुली की खुली रह गयी .पन्ना बाई उसे जली कटी सुना कर चली गयी और रूही यह कहते रही ''कमल ज़रूर आयेंगे ,तुम देखना !कमल ज़रूर आयेंगे !''वो पहले तो खूब रोई फिर अपनी नादानी पर हंसी भी . यह सोचकर दुनिया तो ऐसी ही है  अब  तक  अपने जीवन के सफ़र में कितनी मुश्किलों का सामना किया, कई तरह से गिरे हुए लोग  मिले मगर इस पन्ना बाई जैसा रंग -सियार नहीं मिला था ,यह भी अनुभव मिल गया. कमल के बारे में भी उसके मन में नकारात्मक  ख्याल आते थे ,क्या करे उसके सामने हालात  ही ऐसे थे  .इंतज़ार करने के   सिवा उसके सामने कोई रास्ता नहीं था ,अब तो  बहुत दिन से कोई ख़त   भी नहीं आया .यह ख्याल आता तो वोह और भी   डर जाती और अपनेईश्वर से उसकी सलामती   की दुआ करने लग  जाती.

रूही   को इसी तरह  अपनी  तकदीर से लड़ते,हालत से लड़ते  और अपनी   दिमागी  कशमकश  में गुज़रते   साल ६ महीने गुज़र गए   मगर उसने   अपने   उसूलों से समझोता नहीं किया ,अपने पति के प्रति एक निष्ठां का भाव लिए उसने अपना दामन  मैला नहीं होने दिया ,वोह टूट गयी मगर बिखरी नहीं . पन्ना बाई ने उस पर कई तरह के ज़ुल्म किये ,कभी लोहे क सलाखों से पिटा   ,कई कई दिन भूखा रखा ,कई तरह के दबाव भी डाले मगर  उसने   हर  अत्याचार का डट  कर मुकाबला किया.

एक   दिन   पन्ना बाई   के   कोठे  पर कुछ शेख लोग आये  ,अब  इतनी बड़ी मालदार पार्टी  को देख कर पन्ना बाई का मन ललचा गया  उसने   रूही   को   ही ज़बरदस्ती   उनकी आव भगत में लगा दिया ,उसे नाचने -गाने पर मजबूर भी  किया .यहाँ तक तो सब ठीक था मगर नाच  -गाना ख़त्म  होने पर जब पन्ना बाई के इशारे पर वो शेख   उसे कमरे में ले जाने   हेतु उसकी बांह  पकड़ने   लगा तो  वोह   उसने एक खिंच कर झन्नाटे दार  थप्पड़ मारा और   वहां  से  तेज़ी से भाग   गयी . ,उसे सबने  पकड़ने की   कोशिश  की    मगर वोह किसी की हाथ नहीं आई  औरजीने से भागती हुई जब  निचे    आने  लगी तो लड़ खड़ा कर गिरने   लगी तो किसी की मज़बूत बाँहों ने उसे संभाला. रूही ने चौक कर देखा  तो उसका   कमल था. उसे राहतमिली और वोह उसकी बाँहों में बेहोश हो गयी.

कमल   ने रूही की यह हालत देखी तो सब कुछ समझ गया  और उसके गुस्से का चढ़ गया उसने पन्ना बाई को ढेर सारी गलियां   निकाली ,उसे बुरा भला बोला और उसके मुंह    पर रूपए    फेंक कर अपनी  रूही को टेक्सी में   डाल कर   उसे अपने घर   ले जाने लगा तो उसने  देखा   रूही के मुंह  से   खून   निकल रहा है  ,कमल एक दम घबरा जाता है  और टेक्सी ड्राईवर  को  टेक्सी हॉस्पिटल की तरफ ले जाने के लिए कहता है  .टेक्सी  द्रेवर तेज़ गाड़ी चलाकर उन दोनों को हॉस्पिटल पहुंचा देता है और कमल तुरंत उसे हॉस्पिटल के  emergence   वार्ड में भर्ती कर देता  है  .डोक्टर उसे   I .C .U  में भेज देता है और उसका इलाज शुरू होजाता है  और कमल ICU   के  दरवाज़े   पर बनी      छोटी सी खिड़की से  उसे देखता है   आंसुओं   से भीगी   हुई    पलकों   से .                                           

कमल   अपने  आप को लगातार   कोस रहा था  और  कहे जा रहा   था  ,''   यह मेरी गलती है ,गलती क्या मेरी नादानी  है क्यों   मैंने   एक बाजारू औरत पर भरोसा किया ?  क्यों अपनी रूही को अपने साथ नहीं ले के गया  ? काश मैं उसे साथ ले जाता तो यह दिन तो ना देखना पड़ता मुझे. नौकरी   की तलाश   में जो भी संघर्ष किये  ,साथ मिलकर  ही करलेते ,कम से कम साथ  तो होते . मगर रूही तो कहती थी की पन्ना बाई ने   उसे अपनी बेटी बनाया है  ,तो क्या कोई अपनी बेटी के साथ  ऐसा करता है ? अह !   मैं भी कितना नादाँ हूँ  ! भला   इन गिरी हुई औरतो का कोई धर्म ईमान होताहै ? सच ही कह है किसी ने औरत ही औरत की दुश्मन होती है ,भले ही यह औरत भी मज़बूरी में ही तवायफ बनी होगी मगर इसका   ईमान अब मैला हो चूका है ,   इसका ज़मीर सो चूका है.  जाने कितनी मासूम और मजबूर   औरतों ,लड़कियों और बच्चियों     को इसने    बर्बाद कर के रख्खा है .मेरी रूही  पर भी उसने जाने कैसे -कैसे सितम किये होंगे ,क्या   मैं इसे   ऐसी    हालत में छोड़कर गया था ?  कितनी कमज़ोर सी हो गयी है चेहरा   भी उतर गया,  वोह रूप ,वोह सिंगार,  वोह उमंग  वोह हंसी  सब इसके  जीवन  से गायब सा  हो गया जैसे.

हे भगवान्   ! बस एक बार मेरी   रूही को   जीवन -दान दे दो ,मैं  कसम खाता   हूँ तुम्हारे  सामने ,की उसे हमेशा खुश रहूँगा. उसके   जीवन से सारे गम इतने दूर कर दूंगा की वोह इसकी   और आने का रास्ता   ही भूल जायेंगे . एक बार ,बस एक बार मुझ पर यह मेहरबानी कर दो , मेरी रूही को जिंदगी  दे दो ,फिर में अपनी पूरी जिंदगी में तुमसे कुछ नहीं मांगूंगा . यह मेरा वायदा  है तुमसे , बस मुझे ,मेरी रूही लौटा दो .मेरी रूही लौटा दो भगवान् !  अगर तुमने ऐसा नही किया तो तुम्हारी इसी चौखट  पर अपना सर पटक -पटक कर जान दे दूंगा. ''

excuse me  ,sir ! ''  नर्स ने   पुकारा  तो   कमल झट से उठकर   खड़ा हो गया  और पूछने लगा  ,''   हां !   हां ! बताये ना   मेरी रूही ठ ठ   ठीक   ह   है   ना ! ''  नर्स   ने कहा  '' आपकी पत्नी   खतरे से   बाहर है   और आपका   नाम पुकार रही है  .'' सुनते   ही   कमल   की  ख़ुशी की कोई सीमा ना रही नर्स    का धन्यवाद करके  वोह    ICU   की तरफ दौड़ के  गया और  झट से    अंदर दाखिल हुआ  .  रूही   हलकी हलकी   होश   में आ रही थी  .  कमल उसके पास गया और उसका हाथ  अपने हाथों में ले लिया और पुकारा  ''रूही !  रूही  !   होश में आयो ,  भगवान् के वास्ते होश में आओ ,देखो तुम्हारा कमल तुम्हारे पास है''  रूही  ने धीरे  से अपनी आँखें खोली और मुह एक तरफ करके सिसकने लगी तो  कमल ने उसे उठाकर बाँहों  में ले लिया  और रोने लगा. कुछ देर दोनों गले लगके घंटो रोते रहे ,फिर डोक्टर ने आकर समझाया '' देखिये !   मिस्टर कमल ! आपकी पत्नी अभी अभी ठीक हुई है ,इस तरह रोएगी  तो इनकी तबियत फिर बिगड़ सकती है ,इसीलिए please !  खुद भई संभलिये और इन्हें भई संभालिये '' तो कमल  ने रोना बंद करके रूही के अनसो पोंछे और कहा '' बस रूही बस ! और मत रो ,में सब समझता हूँ ''  रूही ने कुछ कहने की कोशिश की तो बीच में ही रोक दिया ,'' ना   !न! तुम कुछ मत कहो ,तुम्हारी हालत   से पता चल गया की तुम पर क्या क्या गुजरी है सच !  बहुत शर्मिंदा  हूँ मैं, यह सब मेरी वजह से हुआ , मुझे माफ़ कर दो ,  एक नोकरी पाने संघर्ष में  ऐसा फंसा की मत  पूछोकी मुझ पर क्या गुजरी की तुम्हें एक ख़त भई ना दाल सका उन दिनों.      भगवान का शुक्रिया करना चाहूँगा     ,जिसने मेरी रूही को मुझे वापिस लौटा दिया वर्ना जाने मेरा क्या हाल होता ! या तो मर जाता या पागल हो जाता'' रूही  को अपना हाथ उसके मुह पर रख दी है उसेरोकने को   तो कमल ने उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया  और फिर कहा  ,'' अच्छा ठीक है अब ऐसा नहीं कहूँ गा , चलो छोड़ो अब यह रोना -धोना और गिला शिकवा ,अब जो हो गया सो हो गया उसे एक बुरा सपना समझ के भूल जाते है और आगे की और चलते है ,ठीक है!  ''   रूही ने जवाब  में मुस्कुराकर हां   में सर हिला दिया  तो कमल भई उसकी तरफ देख कर प्यार से मुस्कुराया  और फिर कहा ,'' हां ! बस इसी तरह मुस्कुराती हो सदा ,मेरी जिंदगी में उजाले होते रहे ,तुम्हारी मुस्कान से ,तुम्हारे माथे की इस बिंदिया से , तुम्हारी खुशबु से मेरे जेवण की बगिया महकती रहे और इस के लिए   तुम्हें एक काम करना होगा ''   रूही ने धेरे से पुचा ,''और वोह क्या ,''   ''तुम्हें   मुझसे    शादी   करनी पड़ेगी ,   बोलो ! करोगी ना मुझसे शादी ! '' कमल ने बड़े  प्यार से और दिलकुश अंदाज़   में उससे पूछा.  रूही   ने    हां    कह कर शर्मा के नज़रें नीची कर ली  .  कमल   ने  फिर खुश होकर कहा ,'' तुम्हें मालूम  है !  काफी मेहनत करने के बाद मुझे बहुत अच्छी नौकरी मिल गयी है  ,  अब हम  मुंबई    में    जाकर settle होंगे  मुझे कंपनी की तरफ से घर भी मिल गया  है  और हम बड़ी ख़ुशी -ख़ुशी रहेंगे . मैं    एक एक करके  , तुम्हारे और मेरे, दोनों के सपने  सच करूँगा .     सबसे ज़रूरी   पहला काम है  तुम्हें   आगे   पढ़ाने का  ,तुम्हें   पढने का बहुत शौक है ना  ,मैं    तुम्हारा यह सपना पूरा करूँगा ,  डोक्टर साहब   शाम  तक यहाँ से discharge   कर देंगे  तो हम   घर   के लिए रवाना   होंगे रूही    को शाम   को   हॉस्पिटल   से जैसे  ही छुट्टी मिली ,कमल उसे लेकर अपने किसी दोस्त के यहाँ लेकर गया ,कमल   का दोस्त अजित सिटी कोर्ट   में वकील था उसने इन दोनों के आने से पहले   कागजात     तैयार   करके रखे थे  उसे भी साथ   चलना था  eye -Vitus के रूप में .  बस फिर  वोह   इन दोनों को  लेकर कोर्ट   लेकर गया  और जज   के सामने   इन दोनों  ने register   पर   दस्तखत   किये एक दुसरे के गले में वर माला डाली जज   ने  तुरंत ही  शादी निबंधन कार्ड  भी   बनवा के दे दिया.

शादी करने के बाद दोनों मंदिर   गए और भगवन का भी आशीर्वाद लिया और उसके सामने एक दूसरे   कसमें खायी   और वायदा    किया  ,उमर भर साथ रहने का  , साथ निभाने का ,सुख और दुःख हो  ,चाहे   जो हालत हों , एक दुसरे के हमराज़  ,हमदर्द  ,हम नशीं और हम क़दम    बने रहने का वायदा. एक वायदा    रूहीने   भी  किसी से किया था  ,यास्मीन से    और कुछ    अपने जैसी मासूम लड़कियों से   की   वोह उन्हें भी   पन्ना बाई के कोठे से आज़ाद   करवाएगी .  और रूही ने अपने पति के सहयोग  से   और कुछ पुलिस    सरंक्षण    लेकर  अपना वायदा पूरा किया और उन्हें भी   इज्ज़त   की जिंदगी   जीने की प्रेरणा   देते हुए   लघु उद्योग  संकाए   से जोड़ा स्व रोज़गार  हेतु. कमल   और रूही फिर सुख से   अपना  जीवन यापन   करने लगे ,कमल  ने  अपनी नौकरी में खुद तो  मेहनत करके तरक्की   की तो की अपनी   रूही को भी खूब पढाया  .और फिर उसे घर में   ही   स्कूल   खोल दिया .   रूही एक   समझदार  ,कार्य कुशल  ,  सेहन शील और आज्ञाकारी पत्नी   एक अच्छी शिक्षक  साबित हुई और  कमल  एक   प्यार  करने  वाला ,वफादार , ईमानदार पति   साबित हुआ .  दोनों एक दुसरे  के पूरक बने हुए थे ,बिलकुल दो जिस्म एक जान की तरह . दोनों   के   प्रेम सम्बन्ध    की डोर   को और मज़बूत करने को एक साल   बाद     एक   नन्हा सा   फूल    भी    उनकी    जीवन  बगिया   को महकने आ गया.  और अब उनका दाम्पत्य   जीवन   अटूट   हो गया.

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1 Comments

Gunjan Kamal

15-Apr-2022 09:39 PM

शानदार प्रस्तुति 👌👌

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