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नागफेनी


नागफेनी--8अंतिम भाग

अब  सामने का ऐसा दृश्य था की चारों ओर  बहुत अधिक घनघोर जंगल  थे।
बीच में विकराल होती नदी और नदी के दोनों तरफ ऊंचे ऊंचे चट्टान।
ये चट्टान भी तराश कर ऐसे रखे गए थे जैसे किसी ने एक के ऊपर एक कर रख दिया हो।रंगत भी एकदम सफेद दूधिया।

नदी अब गहरी होती जा रही थी।और रास्ते उतने ही संकरे। दोनो तरफ खड़े चट्टानों के बीच आराम से एक व्यक्ति के भी चलने लायक जगह नहीं थी।
ऊपर से लगातार जल नीचे गिरता जा रहा था।तेज हवाओं के कारण ऊपर चट्टानों से गिरता जल अब इनपर पड़ने लगा था।

  ओएमजी ...इतना भी ठंडा पानी भी हो सकता है..!!वे लोग ठंढ से कांपने लगे थे।
अब उन्हें समझ आया कि  सब के सब उस तिलिस्म वन में  फँस गए थे।
सफेद मार्बल के चिकने चिकने चट्टान, जिनपर सूर्य की किरणें फिसल रही थीं।उन्हीं में से रहस्यमय तरीक़े से पानी नीचे गिर रहा था।
आगे कोई रास्ता भी नहीं रह गया था।पीछे मुड़ना संभव ही नहीं था।सँकरी गलियों जैसे रास्ते पूरी तरह से जल से भर गए थे।

अमनः राज, अब आगे नहीं बढ़ सकते, पीछे पानी का स्तर बहुत बढ़ता जा रहा है।

राजः देख आगे कहीं से ऊपर चढ़ने का कोई रास्ता भी है क्या!!

अमनः पता नहीं..आगे तो कुछ दिख ही नहीं रहा है,सिवाय पानी के।

विकासः अगर रास्ता नहीं हुआ तो हम सबकी जलसमाधि बन जाएगी यहां पर।

अमनः अपना मोबाइल..,मोबाइल निकाल,  फोन लगा...!!चिल्लाते हुए राज बोला।

अर्..रे..मोबाइल मेरा नहीं है..!--अमन।

विकासःअरे मेरा मोबाइल भी गायब है!

और मेरा भी--राज।

और मेरा भी --मानव।

ऊपर का गिरता पानी बहुत तेज शोर कर रहा था।
उसी समय बहुत तेज हवाएं बहने लगती हैं और बादल भी गड़गड़ाने लगते हैं। ऐसा लग रहा था कि बहुत तेज आँधियों के साथ बारिश भी शुरू हो जाएगी।

ये लोग ऊपर सिर उठाकर देखते हैं तो आसमान बिल्कुल साफ था।
अब सबके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती है।

बिन बादल ये गड़गडाहट कैसी?
तभी इतनी तेज आँधियाँ चलने लगती हैं कि ये सभी दोस्त अपना संतुलन  खो देते हैं और पानी में गिर जाते हैं।

लगातार पानी के नीचे डूबते हुए अचानक पानी के भीतर उन्हें एक पत्थरों की सीढियां दिखने लगती है।
तरीकें से पत्थरों को काटकर बनाई हुई सीढियां।

सभी डर जाते हैं,परवे सभी बिना सोचे समझे उसमें चढ जाते हैं।

,,ओह..!!ये हम कहाँ आ गए..!!
ये तो कोई और ही जगह थी।अभी जो देखा था,उससे बिल्कुल अलग थी ।
यहां भी सफेद संगमरमर की चट्टानें सजाकर बिछाईं हुई थी।और चारों तरफ  हरे हरे घासों के मैदान।पूरी ओर सुंदर हरियाली पसरी हुई थी।

पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध कर देनेवाला था।ताजगी की बहार बह रही थी।
जिस आदमखोर नदी से बचकर यहां आ पहुंचे थे,वह एक बिल्कुल पतली धार के रूप में नीचे गिर रही थी।

चारों एक दूसरे का मुँह देखने लगे।सब आश्चर्यचकित थे।
...ऐसा..भी हो सकता है...!!
,,अब यहां से वापस जाने का रास्ता.. 
.....वापस कैसे जाएंगे..!!सबके चेहरे उड़े हुए थे।
चारों इधरउधर देखने लगे।
वे जबतक संभल पाते अचानक घुंघरुओं की आवाजें आने लगी।
ये सभी चौंक गए।पायल,घुंघरू ,ढोल मृदंग सबके साथ नृत्य की आवाज...
छम..छम..छम..!!
ऐसा लग रहा था मानों कोई कुशल नृत्यांगना नृत्य कर रही हो।
वह स्थान एक अत्यंत विशाल शिलाखंड था। चारों तरफ नजर घुमा घुमा कर चारों मित्रों ने देखा पर कोई नजर ही नहीं आ रहा था।
किसी अनजानी आशंका से सबका दिल बुरी तरह से धड़क रहा था।
न जाने कौन सामने आ जाए।
चारों वहीं पर एक पत्थर के पास छिपकर खड़े थे।
चारोंतरफ सपाट मैदान था,छुपने लायक कोई जगह भी नहीं थी।
नृत्य इतना खूबसूरत था कि सभी उसमें खो गए।उन्हें सुधबुध भी नहीं रहा..

उस वातावरण में  मंत्रमुग्ध होकर खो गए थे।
किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि पता लगाएं कि आवाज आ कहाँ से रही है।

उसी समय राज की नजर एक ओर पड़तीहै और वह डरकर जोर से चिल्ला उठता है।

वहां वही उड़नतश्तरी रखी हुई थी,जिसे उनलोगों ने पिछली रात  उड़ते हुए देखा था।

पत्थरों का हैलिपैड जैसा बना हुआ था,जिसमें वह उड़नतश्तरी खड़ी थी।

राजः अरे देखो..उधर उड़नतश्तरी...!!अभी तो नहीं था..अचानक कैसे आ गया!!

विकासः अरे यार सब भागो यहां से नहीं तो हम अंतरिक्ष में कहीं गुम न हो जाएं।

राजः नहीं,एकदम चुपचाप बैठे रहो नहीं तो हमपर कोईभी जानलेवा  रे भी छोड़ी जा सकती हैं।

अमनः नहीं  नहीं  हमें यहां से निकलने का सोचना चाहिए..!!

मानवः चारों तरफ या तो चट्टानें हैं,या जलधाराएं...
कोई रास्ता तो मुझे नजर नहीं आ रहा है।

उधर नृत्य संगीत की आवाज तेज होती जा रही थी..।अब उनकी आवाज़ कानों में चुभने लगती हैं।

मानव और अमन दोनो इस तरह से उठते हैं मानों किसी के वश में आ गए हों।
आगे जाते अमन और मानव दोनो को रोकने के लिए विकास और राज दौड़कर पकड़ना चाहते हैं,लेकिन उसी समय उड़नतश्तरी से निकला अदृश्य रे इन्हें  इतना जोरदार झटका देता है कि ये लोग अपना संतुलन खो देते हैं  और ये चारों ऊपर पहाड़ी से नीचे गिरने लगते हैं।

**
रात्रिः2:00बजेः
गेस्टहाउस मेंः
अजय नींद में सोया हुआ था।अचानक नींद टूटती है तो फिर वह  फ्रेश होने के लिए उठता है।अपने मोबाइल ऑन कर टाइम  देखता है-2:00बज रहे थे।

कमरे में अंधेरा ही था।बहुत हल्की रोशनी फैली हुई थी।

उसी समय रिया का फोन अजय के पास आता है।
नीति मैम का फोन अविनाश सर के पास आता है।
दोनों एक ही प्रश्न पूछते हैं--राज,विकास,मानव और अमन  तुम सब लोग इतने जोर जोर से क्यों चिल्ला रहे हो?

अजय चौंक जाता है।..नहीं..मैम...यहां तो कोई नहीं चिल्लाया। सबलोग सो रहे हैं। 
अविनाश सर का भी यही जवाब था कि वह तो शाँति से सो रहे थे।
आवाज सुनकर शोभित सर भी उठकर बैठ गए।
जब कमरे में लाइट ऑन किया तो उन चारों लड़कों के बिस्तर खाली थे।

अजय बहुत जोर से हड़बड़ाया।,,अ..ओ..नो..!!,कहाँ गए सब..!!

यही हाल अविनाश सर और शोभित सर का भी था।
अब तक सारी लड़कियाँ ,मैमऔर सर एक कमरे मे आ गए थे।

किसी को समझ मे ही नहीं आ रहा था,कि इतनी रात गए बच्चे आखिर गए कहाँ!!
अचानक मैम की नजर टेबल पर पड़तीहै--अरे मोबाइल तो यहां चार्ज हो रहा है..!!
और ये चारोँ  अपना मोबाइल चार्जिंग पर लगाकर कहाँ चले गए।

नीति मैमः सबसे पहले मोबाइल चेक करो।

मोबाइल चेक होते ही सारी कहानियां खुल गईं।
व्हाट्सएप पर उन चारों के दूसरे दिन का प्लान...कैसे चुपचाप बसई, नागफेनी और सर्पगंधा नदी का रहस्य ढूढना है।

शोभित सर--ह्मम...,,ये कल का तय प्लान है,पर आज इतनी रात बच्चे गए कहां?

अजयः हमलोग तो यहीं थे,पर कब क्या हुआ पता नहीं।

अविनाश सरःहमारे  बच्चे असुरक्षित हैं,उन्हें हमारे मदद की जरुरत है।

नीति मैमः अभी मैंने उनकी आवाज सुनी थीःबचाओ...हमें ..बचाओ..!!

रिया और सागरिका भी कहती हैं कि वै लोग भी इस आवाज को सुनी थी।
,,नहीं हमें उनलोगों को खोजने जाना है...!!

शोभित सर और सभी लोग हामी भरते हैं।

नीचे रामदीन को बुलाया जाता है तो वह बोलता है
--साहब,गेट पर तो ताला लगा है।कोई बाहर कैसे जा सकता है?
शोभित सर--वो सब मुझे नहीं पता।पर गेट खोलो।हमें बाहर जाना है।

रामदीनः रात में जंगल जाना ठीक नहीं है साहब।

नीति मैमः तो क्या बच्चों को मरने छोड़ दें..हमें चलना ही होगा।

सभी अपने हाथों में टॉर्च,लालटेन और मोबाइल लेकर निकलने लगते हैं।
गेस्टहाउस में भी चारों तरफ सबलोग आवाज देते हुए सबलोग खोजने लगते हैं..जब वहां कोई भी नहीं मिलता तो 
ढूढते ढूढते वे लोग जंगल में चले आते हैं। अपने हाथों तालियां बजाते जोर जोर से आवाज लगाते हुए ढूंढ रहे थे।
असंख्य चमगादड़ों का झुंड,उल्लुओं का घुघुआने का शोर और अन्य जंगली जीवो की रहस्यमयी आवाजों से बसई ओतप्रोत था।
जहां दिन में भी डर लगता वहां रात में....!!

ढूढते हुए हल्की सुबह हो आई थी।अब वे लोगसर्पगंधा के उसी तट तक पहुंचे जहां गांववालों की देवामाई का मंदिर पत्थरों पर बना था।
वहीं पर चारों अमन,राज,मानव और विकास सारे  बेहोश पड़े थे।
उनके बदन तप रहे थे। शरीर पर भी बहुत अधिक छिले और कटे के घाव भी थे।पूरा शरीर बुखार और खून से लथपथ था।

,,अरे,इन्हें तो बुखार है।चलो इन्हें किसी तरह गेस्टहाउस ले चलते हैं।,,
..खून भी निकल रहा है..!!,,

,,अरे ये लोग इतनी रात गए यहां कैसे और क्यों आए..!!,,

,,कैसे और क्यों का आन्सर तो तब मिलेगा जब ये पूरीतरह से ठीक हो जाएंगे।,,शोभितसर ने कहा।

**
दूसरेदिन रात होते उन सभी का बुखार कम हो गया।उनके सारे इन्जरी की मरहमपट्टी कर दी गई थी।

चारों अपने अपने बिस्तर पर बैठकर सोच रहे थे कि कैसे नागफेनी की सबसे ऊंची पहाड़ी से नीचे गिरे थे और सिवाय मामूली चोटों के उन्हें और कुछ भी नहीं हुआ था।

देवामाई ने उन चारों को बचा दिया था।

जब बुखार कम हो गया तब तीनों टीचर्स ने उन सभी को बुलाया और कारण पूछा।
शोभित सरः तुमलोग इतनी रात में उस तिलिस्मी वन में क्या करने गए थे ?

पर जवाब तो किसी के पास नहीं था..उनको तो अब तक लग रहा था कि उन्होंने ये सारी घटना अपनी आँखों से देखी है।
कईएक बार उनलोगों ने अपने रिस्टवाच पर टाइम भी देखा था..दिन था..फिर रात कैसे..!!
हाथों ,पैरों के घाव,बदन दर्द की टीस सबकुछ एक पहेली बनकर रह गई थी।

अपनी आँखों से उड़नतश्तरी और वो रहस्यमय नृत्य..सब एक स्वप्न था..!!क्या था...
...न कुछ समझने को शेष था और न ही समझाने को..!!
कुदरत की माया कोई नहीं समझ सकता...!!

वह नृत्य संगीत और बाकी सारी घटनाएं एक प्रश्नचिह्न बनकर रह गईं हमेशा के लिए..!!और सारी यादें लेकर स्टूडेंट्स घर लौट आए।

और इसी तरह नागफेनी फिर से एक रहस्यमय  पहेली ही बनकर रह गया!
***
समाप्त
स्वरचित और मौलिक
सीमा प्रियदर्शिनी सहाय..✍️❤️


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कहानी पूर्णतः काल्पनिक और स्वरचित है।
इससे किसी भी स्थान,या घटना का कोई भी संबंध नहीं है।
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4 Comments

Art&culture

18-Apr-2022 10:06 PM

Kahani bahut achchi h padh kar bahut achcha laga. Very nicely written.

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Dr. Arpita Agrawal

15-Apr-2022 08:18 AM

बेहतरीन

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Zakirhusain Abbas Chougule

15-Apr-2022 07:10 AM

Nice

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