shweta soni

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नरबलि - आंतक की शुरुआत

हे शुद्र देव मेरी तीसरी बलि स्वीकार करें ! वो रहस्यमयी व्यक्ति उस बालक के सर को हाथ में लेकर मूर्ति के समक्ष रख ! हाथ जोड़कर तेज आवाज में कह रहा था | उस भयानक जंगल में रहस्यमयी व्यक्ति की आवाज गूंज रही थी और उस आवाज़ को सुनने वाला वहां कोई नहीं था | 


उस रहस्यमयी व्यक्ति आँख बंद कर हाथ जोड़कर कर वहीं खड़ा रहा | तभी मूर्ति में कुछ हलचल हुई , उस मूर्ति ने अपनी आँखें खोल दी थी और अपना एक हाथ बढ़ा कर बालक के सर को अपने में समाहित कर लिया | फिर उस मूर्ति की नजर रहस्यमयी व्यक्ति पर पड़ी | वो अब भी सिर झुकाये आंख बंद कर के खड़ा था |


आंखे खोलो राव ! सम्मोहन करने वाली आवाज़ सुनकर वो व्यक्ति अपने आंखे खोल देता है | और सिर झुकाये ही शुद्र देव को प्रणाम करता है |  उसमे इतना साहस नहीं है कि अपने अराध्य को आंखे उठा कर देख सके | 


वो रहस्यमयी व्यक्ति जिसका नाम राव हैं अपने इष्ट को संबोधित करते हुए कहता है - हे शुद्र देव ! पीढ़ी दर पीढ़ी मेरा परिवार आपकी सेवा कर रहा है  एंव  आपकी खोई हुई शक्तियों को वापस लाने के लिए ही विशेष ग्रह नक्षत्र में जन्म लिये बालकों की बलि दे रहे हैं |


पहले मेरे पूर्वज द्वारा ये कार्य किया जाता था | उनके म्रत्यु के पश्चात अब मेरा कर्तव्य हैं की मैं उनके अधूरे कार्य को पूरा करूं और अगर इस कार्य को करते हुए मेरे प्राण भी चलें जाये तो मैं खुशी से अपने प्राणों का त्याग कर दूंगा | 

इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी राव ! जीवित होती मूर्ति ने कहा - मेरे द्वारा किये अपराध के कारण मेरे गुरू ने मुझे श्राप दिया  और उस श्राप के प्रभाव से मैं शक्तिहीन होकर रह गया | 

अपने गुरू द्वारा त्याग देने के पश्चात मैंने उस जगह का त्याग कर दिया और यहां आ गया | मुझे अपनी खोई हुई शक्तियों को वापस पाना था | इसीलिए मैंने तांत्रिक विद्या की सबसे कठिन विद्या सीखने लगा और एक दिन मैंने उस शक्ति को प्राप्त भी कर लिया था | 

मैं पहले से अधिक शक्तिशाली बन गया था परंतु इतने से मैं संतुष्ट नहीं हुआ | मुझे जन्म और मृत्यु से परे होना था तभी मुझे अपने गुरू का ध्यान आया क्योंकि उनके पास एक ऐसी पांडुलिपि थी जो उनके गुरू ने उन्हें दी थी |  जिसे प्राप्त कर मैं काल को भी अपने वश में कर सकता था | 

इसीलिए समय ना गंवाते हुए  एक दिन मैं अपने गुरू ब्रम्हभट्ट जी के पास गया | सर्वप्रथम तो उन्होंने मुझे अपनी कुटिया में प्रवेश करने से मना कर दिया , पर मैंने भी हार नहीं मानी और वहीं कुटिया के बाहर ही मैं पड़ा रह कर अपने पूर्व में किये गये अपराध के लिए श्नमा मांगता रहा | लेकिन उन्होंने मुझे श्नमा नहीं किया फिर मैं वहीं आश्रम के बाहर ही रहने लगा | 

एक दिन बीता , दूसरा दिन बीता , मैं भूखे प्यासे उनकी कुटिया के बाहर ही पड़ा रहा |ऐसे करते हुए मुझे बहुत दिन हो गये थे , कि एक दिन  मूसलाधार वर्षा शुरू हो गई और मैं उस वर्षा में भीगने लगा |  भारी बारिश में भीगते रहने के कारण मैं मूर्छित हो गया या यूं कहूं की मूर्छित होने का दिखावा किया था क्योंकि मैं इन सबसे ऊपर उठ चुका था | 
मुझे तेज बारिश , गर्मी या कोई भी मौसम हो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता | ये सिर्फ उस पांडुलिपि को पाने के लिए मेरी योजना का एक हिस्सा भर था | 

मुझे मूर्छित अवस्था में देखकर आश्रम के कुछ लोगों ने मुझे आश्रम में ले आये और मुझे होश में लाने की कोशिश करने लगे कुछ समय बाद जब मैं होश में आने का दिखावा किया तो गुरू ब्रम्हभट्ट को अपने सामने पाया | 

            

गुरू ब्रम्हभट्ट मेरे पास ही विराजमान थे मैंने उन्हें देखते ही उनके चरणों में गिर पड़ा और श्नमा याचना करने लगा | मेरे श्नमा मांगने पर उन्होने मुझे श्नमा कर आश्रम में ही रहने दिया ! उस समय मेरे चेहरे पर एक कुटील मुस्कान आ गई जिसे किसी ने नहीं देखा , अब मेरा एक ही मकसद था कि किसी भी तरह मैं उस पांडूलिपि को प्राप्त करूं जिसे गुरू ब्रम्हभट्ट के गुरू आचार्य सदाशिव जी की हस्तलिखित थी | 


आश्रम में मैंनै सबका विश्वास प्राप्त कर लिया था लेकिन ब्रम्हभट्ट के प्रिय शिष्य की नजर हम पर सदैव थी इस कारण हमे कुछ वक्त लग गया हमारी योजना को पूर्ण करने में पर जल्द ही वो अवसर हमें प्राप्त हो गया और मैं उस कमरे में पहुंचा जहां प्रवेश करना निषेध था | मैंने अपनी शक्तियों का प्रयोग कर उस पांडुलिपि को प्राप्त कर लिया और उसे पढ़ने ही वाला था तभी वहां गुरू ब्रम्हभट्ट आ गये | 

ब्रम्हभट्ट गुस्से में - तुम यहां क्या कर रहे हो कौशल ! क्या तुम्हें ये ग्यात नहीं की  यहां आना मना हैं ? 

मैं गुरू ब्रम्हभट्ट को अचानक सामने पाकर घबरा गया फिर भी अपने को संयत करते हुए कहा - श्नमा करें गुरू देव!मैं भूल वश यहां आ गया था | 

गुरू ब्रम्हभट्ट ने अत्यधिक क्रोधित होते हुए कहा - अनजाने में की गई गलती भूल होती हैं परंतु जिसे जानबूझ कर करा जाये वो अपराध होता है......और अपराध करने वाले को श्नमा नहीं दंड मिलना चाहिए | 

मैं कुटिलता से मुस्कुराते हुए - अगर आप को सब ग्यात हो ही गया है तो यही सही ! मैं जिस उद्देश्य से यहां आया था वो पूरा हो गया है , अब मैं यहां से जा रहा हूँ | 


ब्रम्हभट्ट - नीच , नराधम तुने अपने गुरू के साथ छल किया है , तुम्हें ये भान भी नहीं है जिस पांडुलिपि को तुम चुरा के ले जा रहे हो वो मनुष्यों के लिए कितना घातक है | वापस करो पांडुलिपि को इससे शायद मैं तुम्हें श्नमा कर सकूं | 

मैं - मैंने ये पांडुलिपि आपको वापस करने के लिए नहीं चुराई है आचार्य ! आप मुझे यहां से शांति से जाने दे अन्यथा !!!! मुझे गुरू की हत्या करनी पड़ेगी | 

लेकिन गुरू ब्रम्हभट्ट  मुझे आश्रम से बाहर जाने नहीं दे थे उन्होंने मुझे अपने मंत्रो से रोकने की कोशिश की परंतु उनके मंत्र मुझे रोक नहीं पाये | मैं उनके मंत्रो को निष्फल कर दिया और अपने गुरू पर अत्यधिक शक्तिशाली मंत्रो का प्रयोग किया जिसे उनकी शरीर सह नहीं पाया और वो जमीन पर गिर पड़े | मेरे लिए इतना समय पर्याप्त था वहां से जाने के लिए | 

मैं शीघ्र अतिशीघ्र आश्रम से बाहर आ गया और अपने स्थान में वापस लौट आया और पांडुलिपि को पढ़ने के लिए विशेष तिथि पर उसकी पूजा की और जैसे ही पूजा के पश्चात मैंने उस पांडुलिपि को पढ़ने लगा | तभी मुझे अहसास हुआ जैसे मैं पाषाड़ में परिवर्तित हो रहा हूँ , मैं तुरंत अपने स्थान से उठ गया तबतक बहुत देर हो गई थी और मैं पूरी तरह से पाषाड़ में परिवर्तित हो चुका था | सिर्फ मेरी आँखों को छोड़ कर के तभी 

मैंने देखा की वो पांडुलिपि अचानक से अपने स्थान से ऊपर उठ कर हवा में उड़ने लगी और उसमें से एक प्रकाश पुंज निकली और उस प्रकाश पुंज ने कहना शुरू किया !!!


गुरू सदाशिव जी ने पांडुलिपि की रक्षा के लिए मेरा निर्माण किया था | कोई भी मनुष्य चाहे वो साधारण हो या असाधारण शक्तियों से सम्पन्न ही क्यों ना हो ,जब तक विचार एंव मनुष्य जाति के लिए परोपकार की भावना ना हो | इस पांडुलिपि को स्पर्श नहीं कर सकता , अगर कोई दुष्ट प्रव्रत्ति का मनुष्य इस पवित्र पांडुलिपि को पाना चाहेगा वो तत्काल पाषाण की प्रतिमा में परिवर्तित हो जायेगा | 


और उसका वंशज ही उस पाषाण बने व्यक्ति को पुनः उसके पूर्व रूप में ला सकता है | इतना कह कर वो प्रकाश पुंज अंतर्ध्यान हो गया और उसके साथ ही वो पांडुलिपि भी लुप्त हो गई | 


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6 Comments

Sandhya Prakash

19-Apr-2022 12:45 PM

Bahut khoob

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Shrishti pandey

16-Apr-2022 08:24 AM

Very nice

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Seema Priyadarshini sahay

15-Apr-2022 01:45 AM

बहुत खूबसूरत

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shweta soni

15-Apr-2022 04:23 PM

धन्यवाद 😊

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