नरबलि - आंतक की शुरुआत 3
तुम मेरे ही वंशज हो राव ! इतना कह कर वो मानव रूपी मूरत चुप हो गई | वो रहस्यमयी व्यक्ति चौंक सा गया जब उसे ये पता चला कि वो वंशज है अपने अराध्य का !
असमंजस कि स्थिति में वो रहस्यमयी व्यक्ति शून्य को निहारे कुछ विचार कर रहा था कि उस अर्ध जीवित मूर्ति ने कहा - राव हम तुम्हारी स्थिति समझ रहे हैं परंतु अभी हम और कुछ नहीं बता पायेगें ! क्योंकि रात्रि का चौथा पहर बीतने ही वाला है और किसी भी समय भोर हो सकती हैं |
"अब तुम्हें यहां से जाना चाहिए राव "
वो रहस्यमयी व्यक्ति अपने विचारो से बाहर आकर आकाश की ओर देखता है | सच में सुबह होने वाली थी... उसने अर्ध जीवित मूर्ति को प्रणाम किया और उस जगह से कुछ दूर पीछे हट कर , रूक गया उसके पश्चात अपने हाथों को सामने कर एंव आंखों को बंद कर के कुछ मंत्र पढ़ता है |
मंत्रों के समाप्त होने के बाद उस रहस्यमयी व्यक्ति के हाथ में काले चांवल के दाने आ जाते हैं , जिसे वह उस मूर्ति के आस - पास पुन: मंत्रो का जाप करते हुए काले चांवल के दानों को डालने लगता है | पूरे चांवल को डालने के बाद उस रहस्यमयी व्यक्ति ने अपने अराध्य को प्रणाम करता है , कुछ ही समय के पश्चात ही वो मूर्ति और वो रक्त से सनी हुई जमीन लोप हो गई |
जैसे वहां कभी कुछ हुआ ही ना हो , वो रहस्यमयी व्यक्ति मुस्कुराते हुए उस जगह को देखकर कहता है - इस जगह को मंत्रो से बांध कर सुरक्षित कर दिया है अब
किसी को भी उस बालक का निर्जीव शरीर कहीं भी दिखाई नहीं देगा हा.. हा.. हा.. भयानक हंसी हंसते हुए वो व्यक्ति काला कपड़ा ओड़ के वहां से चला जाता है |
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वहीं दूसरी ओर गांव में अनुसुईसा काकी के यहां लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है , सब उन्हें धीरज बंधा रहे थे लेकिन अनुसुईसा काकी बेटे के गम अपनी सुधबुध खो बैठी थी | उसे किसी की भी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था और फर्क पड़ता भी कैसे उनके बेटे के गुम हो जाने का गम शायद ही कोई समझ सकता है |
हरीश और उसकी मित्र मंडली उन्हीं के घर बाहर थे और उनकी दयनीय हालत को देख रहे थे | ऐसा कब तक चलेगा , कब तक गांव वाले डर में जीते रहेंगे , इस गांव की ये तीसरी घटना है | हरीश ने गुस्से से कहा ! कुछ तो करना पड़ेगा यार ये सब और नहीं देखा जाता ! गजा ने हरीश की हां में हां मिलाते हुए कहा |
लेकिन हम करेंगे क्या और कैसे करेंगे ? नारद ने पूछा !
हरीश ने कहा - भगवान ने हमें दिमाग दिया है तो इसका इस्तेमाल भी करेंगे और उस इंसान या शैतान जो भी है उसका पता जरूर लगायेंगे | आज तक जो भी काम चाहे अच्छा हो या बुरा हमने मिलकर किया है लेकिन अब जो काम मैं करने जा रहा हूँ उसमें जान का खतरा है ! तो.....तुम तीनों अच्छे से सोच लो |
अबे इसमें सोचना क्या है ! आज तक जो भी किया है साथ मिलकर किया है तो इस काम में तुझे अकेला थोड़े छोड़ देंगे ! हम तीनों तेरे साथ हैं ! क्यों मुरली? गजा ने पूछा - इतनी देर से चुप बैठे मुरली ने कहा - गयी भैंस पानी में !!! सबने मुरली को घूरकर देखा तो उसने चुपचाप सहमति दे दी |
अभी चारों बातें ही कर रहे थे कि उन्होंने अपने सामने से आते मुखिया जी को देखा और चुप हो गये | मुखिया ने चारों लड़को को एक बार उपर से नीचे घूरकर देखा और अनुसुईसा काकी के घर के अंदर चले गये |
मुखिया के घूरकर देखने से तीनों दोस्त थोड़ा चौंक गये लेकिन बेचारे मुरली की हालत थोड़ी खराब हो गयी | गजा मुरली का मजाक उड़ाते हुए उसे छेड़ रहा था | तभी हरीश ने ध्यान दिया कि इतनी देर से रो रही अनुसुईसा काकी की रोने कि आवाज़ नहीं आ रही हैं |
क्रमशः
Sandhya Prakash
19-Apr-2022 12:46 PM
👍👍👍👍
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Punam verma
19-Apr-2022 11:24 AM
Very nice part
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Shrishti pandey
16-Apr-2022 08:28 AM
Bahut khoob kahani hai
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shweta soni
16-Apr-2022 11:38 AM
Thank u 😊
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