लेखनी प्रतियोगिता -14-Apr-2022 मेरी खोज
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-मेरी खोज
एक रोज मेरे मन में आया,
चलो दिखाते हैं कागज की माया।
कागज से बनाई मैंने कश्ती
आई बरसात भर गया पानी
तेराया मैंने कश्ती को
बड़ा-बड़ा दरिया पार कर गई कश्ती
भवसागर पार कर गई कश्ती
एक रोज मेरे मन में आया,
चलो दिखाते हैं कागज की माया।
कागज से बनाई मैंने पंतग
उड़ी डोर को साथ में लेकर पतंग
ख्वाहिशों को लेकर उड़ी पतंग
आसमान छू लेने को उड़ी पतंग
एक रोज मेरे मन में आया,
चलो दिखाते हैं कागज की माया।
कागज से बनाया मैंने हवाई जहाज
मिली मुझे एक नई तलाश
लक्ष्य को ऊंचा उड़ने के दी हमें ताकत
मिली हमको एक मिसात
जिंदगी के हर पल का रखती है हिसाब
ऊंची उड़ान का हमेशा रखती है ख्वाब
एक रोज मेरे मन में आया
दिखाते हैं कागज की माया
कोरे कागज पर लिखा है हिसाब
साहब ने लिखा है अपना बयान
अब नहीं होगा कोई अन्याय
अब होगा सिर्फ इंसाफ
लिखा जाएगा एक नया मिसाल
रचा जाएगा एक इतिहास।
एक रोज मेरे मन में आया,
चलो दिखाते हैं कागज की माया।
Shrishti pandey
15-Apr-2022 09:33 AM
Nice
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Abhinav ji
15-Apr-2022 08:47 AM
Nice👍
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Swati chourasia
15-Apr-2022 07:24 AM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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