तलाश
मैं निकला था ढूंढने किसी को
मैंने सोचा तलाश उसे
सड़कों पर कर लूं
ढूंढ लू उसे मैं
गलियों में
चौबारे में
बाजारों में
उसे झोपड़ी में भी ढूंढा
अट्टालिकाओ मैं भी तलाशा
कोशिश शुरू कर दी मैंने
उसे ढूंढने की
जो बरसों बरसों
तक मुझे ना मिल पाया
कहीं ना मिल पाया
मैं थक हार गया
अपनी तलाश बंद की
बैठा आंखें बंद करके
अपनी सांसों को संभाला
कुछ पलों में मैं मुझ में खो गया
और अचानक
वह मिल गया मुझे
मुझ में ही
वह मिला मुझे
जिसकी तलाश में
मैं कहां-कहां नहीं गया।
क्या तुम्हें भी तलाश है
किसी ऐसे की ही।
Shaba
02-Jul-2021 06:33 AM
जी हनीफ साहब! हमें भी तलाश थी। अब आपकी लेखनी की तारीफ कर सकें, इतनी हैसियत नहीं हुई।😇
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मनोज कुमार "MJ"
01-Jul-2021 10:17 PM
Bahut Behtreen sir❤️❤️ Lekhny pr aapka swagat h
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अजय
01-Jul-2021 07:38 PM
बेहतरीन सर....... 👌👌
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