Add To collaction

तलाश

मैं निकला था ढूंढने किसी को

मैंने सोचा तलाश उसे 
सड़कों पर कर लूं
 ढूंढ लू उसे मैं 
गलियों में
 चौबारे में 
बाजारों में
उसे झोपड़ी में भी ढूंढा
 अट्टालिकाओ मैं भी तलाशा 
 कोशिश शुरू कर दी मैंने 
उसे ढूंढने की
 जो बरसों बरसों
 तक मुझे ना मिल पाया
 कहीं ना मिल पाया
 मैं थक हार गया
 अपनी तलाश बंद की
 बैठा आंखें बंद करके
  अपनी सांसों को संभाला
 कुछ पलों में मैं मुझ में खो गया 
और अचानक
 वह मिल गया मुझे 
मुझ में ही 
वह मिला मुझे
जिसकी तलाश में 
मैं कहां-कहां नहीं गया।
 क्या तुम्हें भी तलाश है
 किसी ऐसे की ही।

   8
7 Comments

Shaba

02-Jul-2021 06:33 AM

जी हनीफ साहब! हमें भी तलाश थी। अब आपकी लेखनी की तारीफ कर सकें, इतनी हैसियत नहीं हुई।😇

Reply

Bahut Behtreen sir❤️❤️ Lekhny pr aapka swagat h

Reply

अजय

01-Jul-2021 07:38 PM

बेहतरीन सर....... 👌👌

Reply