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दामन

दामन
    ✍️श्याम सुन्दर बंसल
माँ तेरा दामन थामे चलना सीखा है
माँ तेरे आचल के तले पलना सीखा है
कभी आँसू की धारा बहने न दी तुमने
माँ तुमसे बेसहारे का दामन थामना सीखा है।

तु जो यो दुर है न मुझसे
मैं तो खफा हो चुका हूँ खुद से
सोचता हूं खुद को आजादी दे दू
और जुदा कर दू खुद को तुम्हारी यादों से

देख न माँ तेरा बेटा आज काबिल हो चुका है
 हर एक सपना अपना पुरा कर चुका है
तु अब तो माफ कर दे मुझको
तुने क्यो अब तक मुझको अपने दामन से दूर रखा है।

पता है माँ रो देता हूँ तेरी यादों में
तो पास जो नहीं है मेरे
तेरे लिए तो सारी दुनिया जित जाए
अगर पास होकर दामन थाम कर साथ चले मेरे

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7 Comments

लाजवाब 👌👌

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Renu Singh"Radhe "

02-Jul-2021 11:41 AM

बहुत सुंदर रचना

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Pawan kumar chauhan

02-Jul-2021 11:32 AM

Adbhut Bs second paragraph ki pahli line me यो की जगह यु होता और लास्ट वाली मे तो की जगह तू या तुम तो और अच्छा होता😊😊..

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