उद्यान

उद्यान


भांति भांति के फूल खिले हैं

सुंदर इस उद्यान में

देखो बिखरे रंग अनेक
लेखनी के इस बागान में
जिधर भी गुजरो रंग अनोखा
हर तरफ नजर है आता
प्रेम का ये गुलदस्ता है
सबका मन हर्षाता
कोई लिख रहा छंद कवित्त
कोई हृदय की बोली
कोई कहे बात पते की
प्रेम सुधा मिल घोली
देख के रंग बिरंगे फूलों को
मन मेरा इतराए
मैं भी कह दूं अपने मन की
अब तो रहा न जाए
प्रेम मिल रहा प्रेम खिल रहा
मनुज मनुज संग मिलकर यारों
बना अपना अदभुत उद्यान।।

आभार – नवीन पहल – १७.०४.२०२२ ❣️❣️

# प्रतियोगिता ही

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13 Comments

Simran Bhagat

18-Apr-2022 05:08 PM

Good👍🏻👍🏻

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Shrishti pandey

18-Apr-2022 02:36 PM

Nice one

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Punam verma

18-Apr-2022 09:05 AM

Very nice

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