प्रेम
ना प्रेम से ना अधिकार से
ना पिया के अनुराग से
नारी तुम बँधी हो
केवल अपने सपनो के संसार से
जीत से ना हार से
ना पल-पल रंग बदलती
इस दुनिया के व्यहवार से
नारी तुम बँधी हो
केवल अपने सपनो के संसार से
ना जुड़ाव से ना बिखराव से
ना जीवन के उतार चढा़व से
नारी तुम बँधी हो
केवल अपने सपनो के संसार से
ना अमीरी से ना ग़रीबी से
ना दुनिया से ना समाज से
नारी तुम बँधी हो
केवल अपने सपनो के संसार से
शहला जावेद
Aliya khan
02-Jul-2021 11:34 PM
बहुत ache
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Swati Charan Pahari
02-Jul-2021 08:33 PM
बहुत सुंदर
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मनीषा अग्रवाल
02-Jul-2021 07:23 PM
बढ़िया
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