विलुप्त होते पक्षी -लेखनी प्रतियोगिता -17-Apr-2022
इंद्रधनुष से पंख फैलाये
खुले गगन में उड़ते जाते
रंग-बिरंगे प्यारे-प्यारे पक्षी
प्रकृति में चार चाँद लगाते।
खोती जा रही है कहीं चहक
निरंतर कटते जा रहे जंगल
बढ़ता है जनसंख्या का स्तर
मानव देखता बस अपना मंगल।
सुन्दर-सी घरेलू चिड़िया गौरैया
रहती जो शीतल पेड़ों की छैया
जब साठ फीसदी हो गयी विलुप्त
मानवता छोड़ मानव रहा सुप्त।
जब सुनाई न दी आँगन में चीं-चीं
मानव को हुआ गलती का अहसास
कर नेचर फोरेवर सोसाइटी का गठन
संरक्षण हेतु किया ये प्रथम प्रयास।
रंगत लाया अथक प्रयास मानव का
विलुप्तता दर होने लगी कुछ कम
लगी रोक पेड़-पौधे को काटने पर
लगा पक्षियों का मिटेगा अब गम।
देकर पक्षी को प्रेम और दाना-पानी
आओ हम सब अपना फर्ज निभाएं
प्रकृति ने दिया हमें बहुत अब तक
अब हम प्रकृति की सुंदरता लौटाएं।
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
नोएडा, उत्तरप्रदेश
Shnaya
19-Apr-2022 04:40 PM
Very nice 👍🏼
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Simran Bhagat
18-Apr-2022 05:07 PM
Nice
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Punam verma
18-Apr-2022 09:00 AM
Nice
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