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कवि की कल्पना - लेखनी प्रतियोगिता -19-Apr-2022


बड़ी विस्तृत है कवि की कल्पना की उड़ान
शब्दों में जिसको मुश्किल है देना सम्मान 
कल्पना और यथार्थ का बेजोड़ समन्वय
जगा समाज को करता कर्म में तन्मय।

सामने हो चाहें समाज का भ्रष्टाचार
दुखी मानव दर्द से कर रहा चीत्कार
व्यथित हो मन देखकर गरीब-लाचार 
कवि की कल्पना से कोई ना पाए पार।

मानव को सच्चाई का आइना दिखाता
उचित और अनुचित का भेद समझाता
असंभव कार्य को संभव कर दिखाता
कल्पना का ऐसा अद्भुत रूप सजाता।

सद्भाव हो या निर्ममता न उससे छिप पाते
अन्याय उजागर कर समाज के सामने लाते
ओझल महापुरुषों का महान रूप दिखाते
कल्पना से संसार के कोने-कोने पहुँच जाते।

 डॉ.अर्पिता अग्रवाल
नोएडा, उत्तरप्रदेश

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30 Comments

Anam ansari

21-Apr-2022 09:55 PM

Good 👍

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Swati chourasia

20-Apr-2022 04:19 PM

Very beautiful 👌

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Seema Priyadarshini sahay

20-Apr-2022 03:29 PM

वाह बहुत ही खूबसूरत

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