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एक बेनाम रिश्ता!

एक बेनाम रिश्ता!





'कुछ तो था उससे मेरा, हमेशा से! हालांकि मैं कभी उसे कह न सका पर वो जब भी मेरे आसपास होती मुझे बहुत सुकून मिलता था। मैं उसकी झील सी गहरी नीली आँखों में डूब जाना चाहता था! उसका होना ऐसा होता था मानो मेरी रूह को जैसे रेगिस्तान की भीषण तपिश में किसी पेड़ की ठंडी छाया मिल गयी हो, वो जब भी मेरे साथ होती मैं कभी भूलकर भी उदास नहीं हुआ। मुझे नहीं पता ये क्या था पर कुछ तो था जो मेरे समझ से बाहर का था। मैं कभी उससे कोई एक बात भी न कह सका, मैंने उसे कभी नहीं बताया कि उसके होने पर मुझे कितनी राहत मिलती है पर फिर भी, कुछ तो था जो मुझको-उससे जोड़े हुए था। शायद एक अंजान सा रिश्ता! कोई अदृश्य बंधन या कुछ और…..



मुझे अब भी बहुत अच्छे से याद है कि मैं कितना बेकायदा रहा करता था, और शर्ट की स्लीव्ज़, इनमें तो मैंने कभी बटन लगाया ही नहीं, टाई ऐसे जैसे कोई रस्सी लटका दी गयी हो। कपड़े तो ऐसे पहनता था जैसे गुंडे मवाली भी न पहनें। हाँ! टॉपर था तो क्या हुआ? मैं जंगली था। हाँ, अक्सर जंगली बोलकर चिढ़ाती थी वो! मैं कभी कायदे से न रहा पर स्कूल में एंट्री मारते ही उसकी धमकियां शुरू हो जाया करती थी, मैं सोचता था यार जिससे सब दूर भागते हैं, इतना डरते हैं उससे भी इस लड़की को डर नहीं लगता! पर धीरे धीरे मुझे उसकी डांट अच्छी लगने लगी, मुझे उसपर गुस्सा आने के बजाए उसकी मासूमियत पर प्यार आने लगा। वो कपड़े प्रेस करके न पहनने पर डांटती, स्लीव्ज़ मोड़े रहने पर डांटती, टाई सही से न लगाए होने पर डांटती, अब तो उसका ऐसा था कि बस हर चीज में डांट ही देती। पर मुझे उसपर गुस्सा नहीं आता था, उसके साथ होने से मैं अपने गुस्से पर काबू कर सकता था, उसके साथ होने से मैं खुद को खुश महसूस करता था। कुछ तो था जो महज उसके मेरे बीच जुड़ गया था बस वो दिखाई नहीं दे रहा था।


धीरे-धीरे मुझे उसकी आदत सी हो गयी, उसका डांटना चिढ़ाना सब मेरी दिनचर्या का हिस्सा हो गए, जिस दिन यह नहीं होता था उस दिन कुछ तो अधूरा सा लगता था। मैं उसके ख्यालों में खोने लगा था, धीरे-धीरे मुझे महसूस हुआ कि शायद मैं उससे प्यार करने लगा हूँ। पर मैं जानता था मैं नहीं कर सकता! मुझे मेरे कैरियर पर, उसके भविष्य पर दांव नहीं लगाना था इसलिए मुझे एक गलत फैसला लेना पड़ा।


सच कहूं तो यह एक बड़ी बेवकूफी थी, जिस दिन से मुझे एहसास हुआ कि मैं अब उसके बिन नहीं रह सकता मैंने ठान लिया था कि अब हम साथ-साथ नहीं रहेंगे। मैं खुद को तकलीफ दे सकता था मगर मेरी वजह से उसे नहीं जिसने मुझे बहुत कुछ दिया, तो फिर क्या था मिल गया मौका! एक छोटी सी बात पर हो गयी लड़ाई और उसने कहा कि तुम मुझसे कभी बात मत करना। और मैं, मैं तो बस यही चाहता था कि उसे ये एहसास न हो कि मैं भी उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रहा हूँ। बात करना छूट गया पर… पर अब भी एक ही क्लासरूम में रहना था, उसके साथ रहना शायद कोई सजा सी थी, मगर इसमे उसकी कोई गलती नहीं थी, मैं उसको खुश देखकर मुस्कुरा लिया करता था। यूँ ही बेवजह..! लोग तो पागल भी कहने लगे थे, टीचर्स परेशान होने लगे कि इसे क्या हुआ? 


मैं तो बुरी तरह मेंटली डिस्टर्ब हो चुका था, किताबों में भी बस वही दिखती थी, हर जगह जहां मैं भी मैं देखता बस वही नजर आती थी। शायद बात न करने से वो मुझपर और हावी होने लगी थी। मुझे बस उससे जल्दी से बहुत दूर होना था, मैं नहीं चाहता था कि उसे ये एहसास भी हो कि मैं उसे कितना चाहने लगा हूँ। हालांकि बहुत से गलत फैसले लिए उससे दूर हो गया, फिर कभी उससे कोई बात नहीं की। कभी लौटकर उसके पास नहीं गया मगर अब भी वो सारा पल याद आता है, अब लगता है मैंने बहुत सारे गलत फैसले लिए पर इसकी खुशी भी है कि मैंने कभी उसे दर्द नहीं दिया, अनजाने में ही सही पर.. मैंने जो किया वह सही नहीं था, जिसकी सजा मुझे मिलनी ही थी।  पर आज भी वो मुझे याद है.. मेरी यादों के धुंधले पन्ने पर उसके एहसास लिखे हैं। उसका मेरा एक ऐसा रिश्ता बना जिसका कोई नाम न था, यह एक बेनाम रिश्ता था, जो मुझे अब भी महसूस होता है। यहां मेरे सीने में…… और अब इसका कोई नाम न ही रहे तो बेहतर है।'


'एक बेनाम प्रेमी'



#MJ

©मनोज कुमार "MJ"



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16 Comments

अद्भुत कहानी

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Shukriya

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Vfyjgxbvxfg

03-Jul-2021 04:20 PM

Behad khoobsurat story

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बहुत शुक्रिया आपका

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.......

03-Jul-2021 12:00 PM

Heart touching

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शुक्रिया

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