अजय

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पल

(बकवास)
बस ....
यूँ ही ...... !!!

" तेरे बारे मेँ जब सोचा नही था ,
मैँ तनहा था मगर इतना नही था "

12:30 AM
बैकग्राउन्ड मेँ ये गजल चल रही है । मैँ अकेला हूँ और single malt scotch whiskey का शायद तीसरा जाम है और फिर एक automated process की तरह मेरे ख्याल तुम्हारी यादोँ को run करने लगे ।
बड़ी हिम्मत के बाद मैने तुम्हारा आखिरी खत निकाला । हमेशा की तरह आखिरी line तक नही पहुँच पाया । आँखे भर आयी 
" तुम कभी खुश रहोगे मेरी तरह तुम्हे और कोई नही चाहेगा "
यहीँ तक ...
मैँ चुपचाप सुनता गया और अनायास ही मेरा सर झुक गया । guilt (अपराध बोध ) से निकलने का कोई रास्ता नही है सिवाय इसके कि उसको स्वीकार कर लेना । इसीलिये शायद मेरे जेहन नेँ इस बात को स्वीकार कर लिया है ।

1:30 AM
अभी भी वो ही गजल चल रही है । और अभी भी वो खत मेरे दायेँ हाथ मेँ है । बायेँ हाथ मेँ शायद छठवाँ जाम है ।

2:00 AM
कौन सोचता है इतना । glass नीचे रखा और दिमाग खाली करने को 
खड़गपुर की walk से अच्छा और क्या होगा दबे पाँव room से बाहर निकला हूँ डगमगाते कदमोँ से धीरे चला तो पता नही कितनी दूरी पे एक बेँच मिला उसपे बैठ गया हूँ !

4:00 AM
वापस room मेँ आ गया हूँ और वो ही गजल चल रही है । लैपटाप पर .....

" तेरे बारे मेँ जब सोचा नही था ,
मैँ तनहा था मगर 
इतना नही था .... "

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6 Comments

Nitish bhardwaj

05-Jul-2021 08:22 PM

वाह

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अजय

06-Jul-2021 09:08 AM

शुक्रिया 😊

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शानदार जानदार 👌👌👌👌

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अजय

06-Jul-2021 09:08 AM

शुक्रिया😊

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Ravi Goyal

05-Jul-2021 07:33 PM

Bahut khoob 👌👌

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अजय

06-Jul-2021 09:09 AM

शुक्रिया😊

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