क्षणिकाएं–२

क्षणिकाएं–२

(१)

रोज़ रोज़ मांगने का किस्सा ख़तम किया
एक दिन खुदा से मैंने सब्र मांग लिया।।

(२)

रात बोझिल है, चांद मद्धम है
एक तारे के टूट जाने का गम है।
बेकल तुम हो, तनहा हम हैं
फिर भी बात करने को शब्द कम हैं।।

(३)

उम्र इस प्यार के जजबे को मिटा न पाएगी
उछल के हलक में जी होगा
जब भी वो सामने नजर आएगी।।

आभार – नवीन पहल – २४.०४.२०२२ 🙏🌹💐

# नॉन स्टॉप 2022


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9 Comments

Shrishti pandey

01-May-2022 09:47 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

25-Apr-2022 03:17 PM

अद्भुत।आप कविताओं में भी माहिर हैं।👌👌

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Punam verma

24-Apr-2022 09:46 PM

Very nice

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