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मर्डर एक प्रेम कहानी (सीजन-2) ep4

पिछले एपिसोड में हमने देखा कि राज का गाना किसी ने वायरल कर दिया और अनुज को बहुत गुस्सा आया वो जानता था ये किसने किया था, अनुज उसके पास जाता है तो पता चला कि उसी के कहने पर अनुज ने राज की हत्या कर दी। और विक्रम और अंजलि भी बॉम्बे पहुंच गए। अनुज के घर कोई आया था जिसे देखकर अनुज के होश उड़ गए

अब आगे

अनुज ने जैसे ही देखा दरवाजे पर कोई आया है तो वो हैरान हो गया। और उसी हैरानी में बोला

अनुज- अरे इंस्पेक्टर साहब, आप....यहाँ वो भी सुबह सुबह
विक्रम-   """"कैसी सुबह, कैसी शाम
               """" हम तो करते रहते है अपना काम
              """"बेहतर है आप मुझे इंस्पेक्टर ना बोले
           """"आपका दोस्त हूँ हुजूर ले लीजिए नाम"""
अनुज- ताली बजाते हुए……वाह आप फिल्मो में क्यो ट्राय नही करते

   "शीला और नीता हैरानी से देख रहे थे"
अनुज- नीता……ये है तुम्हारे नए बॉस...विक्रम
नीता- सेल्यूट सर्
विक्रम- ड्रेश नही पहनी है, ना अपने ना मैंने..…आपको सिखाया नही क्या, की सेल्यूट वर्दी का करते है इंसान का नही।
नीता- (डरते हुए) सॉरी सर
विक्रम- (हँसते हुए) डर क्यो रहे हो,
अनुज- आइए बैठिये हुजूर, स्वागत है आपका।

(विक्रम बैठता है)

अनुज- क्या लेंगे चाय, कॉफी, ठंडा
विक्रम- जी शुक्रिया, बस एक गिलास पानी पियूँगा, वो भी आप लाएंगे खुद तो ही पियूँगा।
अनुज- ये क्या बात बनी, चलो ठीक है मैं लेके आता हूँ।

(अनुज पानी लाता है विक्रम चारो ओर नजर घूमते हुए घर को देखता है और वहाँ खड़ी नीता से कहता है)
विक्रम- घर तो लाजवाब है। इतना बड़ा, सो कूल...।
नीता- थैंक्स
शिला- तो आपको मेरा ऑटोग्राफ चाहिए या मैं जाऊ...(मजाक करते हुए बोली,)
विक्रम- अपनी जेब से डायरी निकालते हुए। जी आया हूँ तो ले लेता हूँ ना जाने फिर मौका मिले या नही, वैसे अभी जा कहाँ रही है आप।
शिला- (ऑटोग्राफ देते हुए बोली) एक फोटोशूट है, बस वही...
विक्रम- जी, थेंक्स ऑटोग्राफ के लिए एंड ऑल द बेस्ट फोटोशूट के लिए।

(अनुज कांच के गिलास में पानी लाता है जबकि उनके घर मे दो नौकरानियाँ है)

नीता- आपने पानी अनुज से क्यो मंगाया सर, कुछ समझ नही आया।
विक्रम- अगर छोटी छोटी बात समझ आती आपकी तो शुक्ल जी के नही आपके बदले में यहाँ आता।
नीता- बात और घुमा दी , मेरी समझ मे ये बात भी नही आई।
विक्रम- (पानी पीते हुए) वो सब छोड़ो, आपके समझ से परे है, मगर आपको जरूर सिखा दूँगा,
अनुज- गए आप राज के घर,क्या लगता है।
विक्रम- नही अभी कहाँ, आज सुबह ही पहुंचा यहॉँ।
अनुज- तो कब जाओगे जब सब सबूत मिट जाएंगे।
विक्रम-  अच्छा याद दिलाया, क्या पता सबूत ही मिट जाए, मुझे जाना होगा।
(विक्रम उठकर जाने लगता है,)
अनुज- माफ कीजिये , शायद आप गिलास वापस करना भूल गए।
विक्रम- (अपनी हाथ की तरफ देखते हुए) जी नही,  ये मैं अपनी और आपकी पहली मुलाकात को यादगार बनाने ले जा रहा हूँ। मुझे शौक है कि कुछ निशानी रखु अपने पास ।
अनुज- अजीब शौक है । पहले बता दिए होते, कुछ खास तोहफा रखते आपके लिए।
विक्रम- जी नही,
       """"खास की मुझे नही आश है।
       """"दोषी पकड़ना मेरा प्रयाश है।
        """"जाने कहाँ छिपाया लाश है।
        """""ये एक अनसुलझा राज है
        """""शायद कोई अपना धोखेबाज है।

अनुज- मुझे तुममे एक दोस्त नजर आने लगा है।
विक्रम- (मन ही मन मे) "ये बात तो राज ने शास्त्री जी से कही थी पहली मुलाकात में"
अनुज- क्या सोच में डूब गए ।क्यो मुझसे दोस्ती नही कर सकते (हाथ मिलाने के बहाने अनुज ने जानबूझकर वो गिलास विक्रम के हाथ से फिसला दिया, अनुज समझ गया था गिलास ले जाने में इसकी कोई चाल है।)

  (विक्रम के हाथ से कांच के गिलास गिरा और चकना चूर हो गया।)

अनुज- ओह सॉरी! ये क्या हो गया।
विक्रम- सॉरी गलती मेरी है।
अनुज- नही मैंने जबरदस्ती आपसे हाथ मिलाया , गलती मेरी है।
विक्रम - कोई नही हम दोनों की गलती है, अच्छा अभी मैं चलता हूँ। नीता की ओर इशारा करते हुए, नमस्ते भाभी जी, मिलते है फिर कभी।
अनुज- ओके डिअर, "खुशी हुई आपसे मिलकर"
विक्रम-  मुझे भी।

(विक्रम चले गया)

अब विक्रम राज के घर गया, वहाँ पहले से पुलिसकर्मी मौजूद थे जो विक्रम के आने का इंतजार कर रहे थे।
विक्रम आया और कुछ बारीकियां देखने लगा जैसे कि, लाश को राज के कमरे से पीछे पीछे के दरवाजे तक घसीटकर लाया गया था मगर दरवाजे से आगे कैसे ले गए,  पीछे गेट के बाहर कोई गाड़ी नही आई, क्योकि गाड़ी आती तो निशान पड़ते और मान लिया निशान मिटा दिया गया है तो किस चीज से,शायद पानी डाल दिया हो ।
दूसरी खास बात ये थी, जब राज पर जो गोली चलाई थी उस गोली का निशान दीवार पर था लेकिन कमरे में कोई गोली नही मिली, इसका मतलब कातिल ने गोली मारकर पहले गोली को ढूंढा होगा, फिर लाश ठिकाने लगाई,
और उसकी गोली ढूंढने तक राज एक ही जगह कैसे रह सकता है ना भागने की कोशिश की न ही कातिल पर कोई हमला किया, इससे साफ जाहिर होता है गोली चलाने से पहले राज को बेहोश किया गया कोई नशीली चीज खिलाकर।
आखिरी ध्यान देने वाली बात, जब नशीली दवा ही खिलानी थी तो जहर क्यो नही खिलाया। इसका मतलब कातिल गुमराह करना चाहता था, और राज का मर्डर जानबूझकर ऐसे किया जैसे कोई बाहर का आदमी ने किया हो,क्योकि अजनबी जहर नही खिला सकता गोली मार सकता है।

विक्रम ने जब बारीकी से छानबीन की और सारी तस्वीरो में कैद करते हुए फ़ोटो क्लिक किये तो कुछ फिंगर प्रिंट भी बरामद किए।

तीन अलग अलग फिंगर प्रिंट वहाँ मीले, जिनकी जांच करने पर पाया
और उनसे पूछताछ की
शिला- मैं राज के खून के दो दिन पहले गयी थी शाम 8 बजे को,

2 nov 2019  (ध्यान दे राज की हत्या 4 nov को हुई थी)

राज ने दरवाजा खोला
राज- शिला तुम
शिला- हाँ मैं……(अंदर जाकर सोफे में बैठती हुई)
राज- लेकिन इस वक़्त……अभी तो तुम्हे घर मे होना चाहिए ना।
शिला- हाँ……लेकिन मैं यहाँ क्यो आ गयी यही सोच रहे हो न।
राज- बिल्कुल यही सोच रहा हूँ। और ये क्या है हाथ मे किसी को गिफ्ट देना है क्या।
शिला- नही किसी ने मुझे गिफ्ट दिया है, एक छोटा सा तोहफा, परपोज़ भी किया।
राज- क्या बात है। तो तुमने हाँ भी कर दी होगी।
शिला- क्यो नही करनी चाहिए थी।
राज- बिल्कुल करनी चाहिए थी,
शिला- तो तुम्हे क्या लगता है "हाँ" किया या "नही" किया होगा मैंने।
राज- गिफ्ट हाथ मे है, अफ़गोस हाँ किया होगा।
शिला- (शिला राज चिढ़ाने आयी थी और राज का नही चिढ़ना उसे बुरा लगा, ) सोचती हूँ बोला है, उसने एक हफ्ते का टाइम दिया है, मैन उसे बोला कि  मैं राज को पसंद करती हूँ,
राज- ये तो तुमने मुझे भी कई बार बोल दिया, उसने कौन सी बड़ी बात है,
शिला- उसने मुझे बोला है कि अगर राज तुम्हारा न रहा तो तुम मेरी तो हो जाओगी।
राज- अच्छा लेकिन, तुम तो जानती हो मैं तुम्हारा नही हूँ। मैंने अपनी जिंदगी दिव्या के नाम लिखी है, मुझे किसी और के साथ देखकर उसे बुरा लगेगा।
शिला- क्या मैं कभी दिव्या की जगह नही ले सकती,
राज- सच बोलू तो आजकल मैं कोशिश में हूँ, की उसकी जगह आपको दूँ। दिल मे आपके लिए वही इज्जत, वही जज्बात, वही एहसास जागने लगे है, मगर मुझे एक बात सताती है।
शिला- क्या ,
राज- जब भी मैं किसी के करीब गया हूँ. भगवान ने खुद आकर मुझसे उसे दूर कर दिया, पहले संजना के लिए पागल था तो राजीव को जरिया बनाया, फिर दिव्या के करीब होने लगा तो संजना मेरे करीब आने लगी जिससे मैने दिव्या से दूरी बना ली, और फिर दिव्या दूर ही हो गयी। अब मेरा भरोसा खुद की खुशियों से उठ गया है।
शिला- मुझे कुछ नही होगा न हमारे इस रिश्ते को मुझपर भरोसा करो (शिला राज के और करीब बैठकर उसके हाथ थामते हुए बोली)
राज- शिला तुम समझने की कोशिश करो,मैं तुमसे कुछ दिन का वक़्त चाहता हूँ, मैं अपना फैसला बताऊंगा, उम्मीद है आपका दिल नही तोडूंगा
शिला- (राज के सीने से सिर को लगा लेती है) कितना वक्त चाहिए आपको, आज आपने इंतजार करने को बोला है, इस उम्मीद में की आप मेरा दिल नही तोड़ोगे में पूरी जिंदगी इंतजार कर सकती हूँ।
राज-
     """"उम्मीदों का दिया बुझने नही दूँगा
     """"मैं जल्दी ही कोई फैसला लूँगा
      """"उम्मीद ये भी है कि
    """"जो आप सूनना चाहती हो वही कहूँगा"
शिला- आपपर खुद से ज्यादा भरोसा है। न जाने क्यो
राज- ये तो मैं भी नही जानता , चलो अब आप घर जाओ आपकी मम्मी पापा इंतजार कर रहे होंगे
शिला- (राज के गाल पे एक किश करते हुए) ओके बाय, ख्याल रखना अपना, लव यू। प्लीज जल्दी फैसला लेना
राज- (अपने गाल को पोछते हुए)- ओके बाय
                 
                    *******

शिला- उसका फैसला सुनते, उससे पहले किस्मत ने अपना फैसला सुना दिया, बड़ी मुश्किल से एक उम्मीद जागी थी मेरे मन मे।
विक्रम- आप उसे जानती हो जिसने आपको परपोज़ किया था,क्या उससे मुझे मिला सकते हो।
शिला- मेरे लिए वो अजनबी है, अनजान है क्योकि सिर्फ एक बार ही मिला था नाम नही पता मगर शक्ल देखकर पहचान सकती हूँ।
विक्रम- ठीक है आपकी जरूरत पड़े तो जरूर बताएंगे, अपना ख्याल रखना ।
शिला- जी जरूर बुला लीजिये,

अब बारी थी अगले व्यक्ति की जिससे फिंगरप्रिंट जिससे मैच हुए थे।

अनुज ने बताया

1 nov. 2019

राज- अरे तुम, यहाँ इस वक़्त
अनुज- दोपहर हो रही है , कौन सा रात हो रही है।
राज- मेरा मतलब , बिना बताए।
अनुज- दोस्त के घर आने के लिए पूछना पड़ेगा।
राज- नही मेरा मतलब ये नही था।
अनुज- क्या था आपका मतलब, चलो ठीक है अब से पूछ के आऊंगा।
राज- अरे, नाराज क्यो होते है, प्लीज बैठो

                   ********

मैं नही बैठा और नाराज होकर आ गया लेकिन मैं सचमुच नाराज नही था उसके अगले दिन हम फिर बाहर मिले, वो तब भी सॉरी बोल रहा था मैंने उसे गले लगाते हुए कहा कि मैं मजाक कर रहा था,
फिर हमने जन्नते की पोस्टर फोटोग्राफी की जिसमे आलिया भट्ट  और अपने गुरु महेश भट्ट जी के साथ भी तस्वीरे ली जो राज ने पोस्ट भी की थी ट्वीटर पर,
उसके बाद हमारी मुलाकात नही हुई और जब उसकी डेथ की खबर आई तो मैं भागे भागे उसके घर गया, और वह न्यूज रिपोर्टर और पुलिस भी मौजूद थी।

विक्रम- तो आप चंडीगढ़ क्या करने आये जबकि लाश मिली नही थी।
अनुज- राज अक्सर शास्त्री जी की तारीफ किया करता था, मुझे पता चला कि शास्त्री को दिल का दौरा पड़ा है तो मैन तय किया कि एक बार उनसे मिलूंगा, क्या पता कब क्या हो जाये।
विक्रम- ओके धन्यवाद।, अब मैं चलता हूँ।
अनुज- लेकिन आप तो बोल रहे थे, तीन फिंगर प्रिंट मीले है, तीसरा कौन है।
विक्रम- वो तुम्हे नही बता सकता, बस पांच मिनट में वहाँ पहुंच जाऊँगा, आप दोनों नही हो तो यकीनन वही खूनी है।

(कहते हुए विक्रम वहाँ से चले गया।)

अनुज- (बड़बड़ाया,) लेकिन मेरे अलावा तो वहाँ कोई आया नही, ये कैसे हो सकता है, कही वो साहब ने किसी को भेजा तो नही बाद में………नही ये नही हो सकता।

मैं फोन भी नही कर सकता उसे, इस हालत में मिलने भी नही जा सकता, एक काम करता हूँ विक्रम का पीछा करता हूँ ये जा कहाँ रहा है।

अनुज विक्रम का पीछा करने लगता है। विक्रम एक घर के बाहर अपनी गाड़ी रोकता है और दरवाजे की घंटी बजाता है। अनुज दूर से गाड़ी से ही देख रहा होता है।
फिर अनुज अपनी गाड़ी में छिपाई बंदूक अपने पास रख लेता है और गाड़ी में ही रखी नकली दाढ़ी सेट लगाता है और पगड़ी पहन लेता है जिससे उसे कोई पहचान ना सके  और उस घर की तरफ चल पड़ता है जहाँ विक्रम घुस था, अनुज को शक था कही कोई साहब का आदमी पकड़ा ना जाये, इससे पहले की वो पकड़ में आये उसे उड़ा दूँगा।

अनुज ने दरवाजे की घंटी बजाई और इंतजार किया दरवाजा खुलने का………

आगे...पढ़ें अगले एपिसोड में क्या होगा, क्या अनुज का शक सही है, क्या अनुज उस सबूत या गवाह को मिटाने में होगा कामयाब या खुद भी पकड़ा जाएगा।






  


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4 Comments

Abhinav ji

23-Aug-2022 07:47 AM

Nice

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🤫

27-Apr-2022 08:40 PM

Omg अब आगे क्या ,,, पढ़ कर बताते जल्द ही

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Renu

25-Apr-2022 12:03 AM

👍👍

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