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शाम

आदरणीय मंच पटल को सादर अभिवादन और वंदन 🙏🙏


                शाम


मेरी ज़िंदगी की शाम तू
मेरी हर खुशी की शाम तू
बेखौफ रहता हूँ अगर
उसका बस एक ईनाम तू 
मेरी ज़िंदगी की शाम तू
1
न समझ सकूं बेताबियाँ
न समझ सकूं बे चैनियाँ
गुमनाम हूँ एक शाम में
ना समझ सकूं नादानियाँ
दिल से लगा तू करीब आ
दिल से लगा तू करीब आ
मेरी ज़िंदगी की शाम तू 
मेरी हर खुशी की शाम तू
2
मेरे दिल में हल्का दर्द है
तेरे प्यार का ही जुनून है
मैं उदास हूँ तेरे लिए
तेरा इश्क मेरा सुकून है
ज़रा पास आ खुद में छुपा
ज़रा पास आ खुद में छुपा
मेरी ज़िंदगी की शाम तू
मेरी हर खुशी की शाम तू
बे खौफ रहता हूँ अगर
इस का बस एक ईनाम तू

स्वरचित ग़ज़ल

               पण्डित विजय💋💋

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5 Comments

Niraj Pandey

06-Jul-2021 12:29 AM

वाह 👌

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Aliya khan

05-Jul-2021 04:36 PM

बेहतरीन

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नीलम शर्मा

05-Jul-2021 10:06 AM

वाह जी ,,,,लाज़वाब👌👌🙏

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