धोखा
चाचा जी जल्दी बाहर आइए, बिरजू भैया के घर से उनके चींखने, चिल्लाने और तड़पने की आवाज आ चाचा जी जल्दी बाहर आइए, बिरजू भैया के घर से उनके चींखने, चिल्लाने और तड़पने की आवाज आ रही है। लगता है उन्हें कुछ हो गया है ।चलिए, हम वहाँ जाकर देखते हैं।
"क्या हुआ है "?
दादाजी हड़बड़ा कर उठ गएऔर अपना कुर्ता पहनने लगे।मैं भी उनके साथ जाने की ज़िद करने लगी।उन्होंने माँ को आवाज़ लगाई-बहू रूचि को संभालो इसे मैं अभी अपने साथ नही ले जा सकता।मेरी तरफ देखते हुए उन्होंने कहा-"शाम में मैं तुम्हे गांव की सैर कराने ले चलूंगा"।
दादाजी के जाने के बाद माँ मुझे कुछ चिंतित लगी पर छोटी उम्र के कारण मेरी समझ में कुछ न आया और मैं शाम की सैर की बात सोच कर खुश हो बाहर खेलने चली गयी।
तब मेरी उम्र लगभग बारह साल की रही होगी। हर साल की तरह इस बार भी गर्मी की छुट्टीयों में हमसब गांव दादाजी के पास आए थे।मैं तो इन छुट्टीयों का पूरे साल इंतजार करती थी क्योंकि यही वो समय होता जब मुझे पढाई से छुटकरा मिल जाता था।गांव पहुँचते ही मेरी मनमानी शुरू हो जाती।शहर में जितनी पाबन्दी थी गांव में उतनी ही आज़ादी।
दादाजी दादी के देहांत के बाद बहुत अकेले हो गए थे।पापा ने बहुत बार कहा हमारे साथ शहर में रहने को पर वो न माने।उन्हें तो गांव की मिट्टी से इतना लगाव था कि वहाँ से दूर जाने की बात सोच कर उनकी आंखें भर आती ।आखिरकार पापा ने भी उनकी बात मान ली पर हाँ अब जब भी छुटियाँ होती हम गांव जाने लगे।मुझमें तो दादाजी की जान बसती थी।हर छोटी बड़ी फरमाईश पूरी करते । मैं तो अपने आप को बहुत ही लकी मानती हूँ जिसे इतना प्यार बचपन में मिला है।कई बार तो मेरी वजह से माँ को भी दादाजी की डांट सुननी पड़ती थी ।
उस दिन दादाजी बहुत देर से घर आए।उनके आते ही माँ ने कहा-"आज इतनी देर हो गयी आपको जल्दी खाना खा लेना चाहिए, दवाई खानी होती है,आप अपनी सेहत के प्रति लापरवाह मत रहिये"।
दादाजी ने माँ की बातों को अनसुना कर अपने कमरे में जाते जाते कहा-"आज मैं खाना नही खाऊंगा,भूख नही है"।
माँ उनके पीछे खाना लेकर कमरे में पहुँच खाने की ज़िद करने लगी।दादाजी को मैंने कभी इतना उदास नही देखा था।तबीयत का वास्ता दे कर माँ ने जैसे तैसे खाना खिलाया।खाते वक़्त ही उन्होंने बताया-दरअसल बिरजू की वजह से आने में देर ही गयी,वो अब इस दुनिया में न रहा।उसने आत्महत्या कर ली।
"क्यों, क्या वजह थी"?
उनके पड़ोस में रहनेवाले मोहन बाबू ने बताया कि कोई प्यार व्यार का चक्कर था।
"तो इसमें आत्महत्या करने की क्या ज़रूरत थी"?
बिरजू भैया तो बड़े ही दबंग थे।पूरे इलाके में उनके टक्कर का कोई दूसरा दारोगा न था फिर ये आत्महत्या?
इसी बात का तो अफ़सोस है।पूरी बात तो मालूम नही है पर लोग कह रहे थे की कुछ दिनों से गाँव के पास वाले गाँव की कोई नीची जाति की लड़की से उन्हें प्यार हो गया था।दोनों शादी करना चाहते थे पर बिरजू राजपूत था इसलिए घर वाले नीची जाति की लड़की को बहू नहीं बनाना चाहते थे।जब भी बिरजू नदी किनारे उससे मिलने जाता था तो उसकी छोटी बहन भी उसके साथ आती थी।अक्सर साथ में आने के कारण कब और कैसे उसे भी बिरजू से प्यार हो गया।अब तो दोनों बहन उससे शादी करने की ज़िद करने लगी।बिरजू जानता था कि ये संभव नही है फिर भी उसने अपने घरवालों को समझाने की कोशिश की पर जाति के साथ साथ अब तो दोनों बहनों के साथ शादी की बात थी घरवाले कैसे मानते? घरवाले ने तो उससे बोलना तक बंद कर दिया।आखिरकार थक हार कर तीनों ने मिल कर सलाह किया और इस नतीजे पर पहुँचे की जीतेजी एक न हो पाएं तो एक साथ मर कर एक हो जायेंगे।बिरजू इतना समझदार होने के बाद भी ऐसा कदम उठाएगा ऐसा किसी ने न सोचा था।आज उसने अपनेआप को कमरे में बंद करके ज़हर खा ली पर अंतिम पल बहुत तड़प रहा था।
बहू ये हमारी आत्मा है न जिस शरीर में रहती है न उसे छोड़ते समय बहुत दुखी होती है ,यही बिरजू के साथ भी हो रहा था।
जब हमसब वहाँ पहुँचे तो बहुत देर हो गयी थी।बिरजू हमें छोड़ कर चला गया था।उसने तो आत्महत्या करके अपनी कायरता का परिचय दे दिया था पर साथ मरने की कसम खानेवाली दोनों बहनों ने उसका साथ न दिया।आज बिरजू को ये भी नही मालूम की जिसके लिए उसने आत्महत्या की है उनलोगों न उसे धोखा दिया है।
बिरजू के पिता की हालत देखी न जा रही थी उसकी माँ का रो रो कर बुरा हाल था।बच्चों को ऐसा निर्णय लेने से पहले अपने मातापिता के बारे में ज़रूर सोचना चाहिए कहते कहते दादाजी की ऑंखें भर आयी।
मैं दरवाजे पर खड़ी उनकी बातें सुन रही थी पर मेरी समझ से परे थी पर उम्र बढ़ने के साथ हर बात की परख करनी आ ही जाती है।
अब जब भी मैं दादाजी के साथ गांव की सैर करने निकलती हूँ तो नुक्कड़ पर बिरजू भैया के घर से आती उनकी चींख वो तड़प महसूस करती हूँ।
Punam verma
29-Apr-2022 09:29 AM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
28-Apr-2022 09:21 PM
बहुत खूबसूरत
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Archita vndna
27-Apr-2022 11:28 AM
Khoobsurat kahani likhi h apne. Padh kr achcha lga
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