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मर्डर एक प्रेम कहानी (सीजन-2) ep7

पिछले एपिसोड में आपने देखा- शिला किटनेप हो जाती है,किटनेपर की पहचान राजीव के रूप में होती है जबकि राजीव को राज ने चार साल पहले मारा था, विक्रम ने शिला को विश्वास दिलाया था वो उसे बचा लेगा मगर वो भी दुश्मनों की गोली की चपेट में आ गया और हॉस्पिटल ले जाया गया।
अनुज जिंदा था और उसने कारण बताया कि उसने राज को अपनी बेटी रावी को बचाने के लिए मारा था, जब अनुज के हत्यारे होने की खबर टीवी में आई और राजीव के जिंदा होने की खबर आई तो बॉम्बे शहर में नाकाबंदी होने लगी थी जिससे अनुज और शिला को जिंदा छोड़ना राजीव को ठीक नही लगा और उसने उनको मारने के तैयारी करते हुए आखरी ख्वाहिश पूछी( शायद मजाक में पूछा)

अब आगे-

(राजीव उनसे पूछता है)
राजीव- कोई  आखरी ख्वाहिश...।

एक गरजती आवाज आई " तेरी है कोई ख्वाहिश तू बता"

सबने देखा कि ये कौन बोला,

सबके सब हक्के बक्के रह गए।

सबसे ज्यादा हक्का बक्का था राजीव,

शिला के चेहरे पर अचानक एक अचरज भरी खुशी थी।

दरवाजे के पास वही राज खड़ा था जिसकी मौत की खबरे सुनकर दुनिया रो रही थी,

राजीव- ये जिंदा कैसे बच गया।
राज- तू भी तो बच गया, मैने पूछा तुझसे।

अब राज धीरे धीरे चलकर राजीव की तरफ आया, राज  बिल्कुल भी डरा हुआ नही था,
राजीव के गुंडे राज पर लपके, और धोके से राज को जकड़ लिया, गुंडे चार राज अकेला था, और राजीव  ने बन्दूक तानी थी शिला पर और अनुज पर।
कमरे का नजारा कुछ ऐसा था , शिला को यकीन नही हो रहा था कि राज जिंदा है,
राजीव- ये बात कुछ जमी नही। ये जिंदा कैसे बच गया?
राज- बार बार एक ही सवाल, (अब अनुज की तरफ को बोला) क्या बात आप धोका देने में मास्टर निकले पहले मुझे धोका देकर इसके कहने पर मुझे मारने आये और फिर....

फिर.………

अनुज अपनी बेटी को बचाने के लिए किसी भी हद से गुजरने को तैयार था। वो बंदूक में तीन गोलियां लिए राज के घर पर पहुंचा, शाम का समय था राज एक गाने के रिकॉर्डिंग करके घर आया ही था, राज की घर की घंटी बजी , राज ने दरवाजा खोला तो राज ने पाया अनुज खड़ा है, दो दिन पहले भी अनुज इसी तरह आया था, "आप अचानक बिना बताए यहाँ" ये सुनकर नाराज हो गया था इसलिए आज राज ने बिना कोई सवाल किए उसे अंदर आने को कहा।
राज- आओ आओ, अंदर आओ।
अनुज- आज नही पूछोगे, अचानक क्यो आये।
राज- आप भी ना दिल पर ले लेते हो, बैठो आपके लिए कुछ लेके आता हूँ।
अनुज- राज..…प्लीज मुझे कुछ नही चाहिए, जो चाहिए वो मैं बिना पूछे ले लूँगा, और लेने ही आया हूँ।
राज- अरे तू यार है मेरा, मेरी जान भी ले ले प्यार से, मैं खुशी खुशी दे दूँगा।
अनुज- तुझे कैसे पता ।

(राज ने बस डाइलोग मारा था, उसे क्या पता ये सच मे जान लेने आया है)
राज- क्या पता है मुझे? (नादानी से पूछा)
अनुज- यही की मैं तेरी जान लेने आया हूँ।
राज- (राज को फिर मजाक सुझा) अरे दोस्त वो नही जो जान देता है, दोस्त वो है जो पानी मे गिरा आँसू पहचान लेता है,
अनुज- प्लीज, ऐसी वैसी बात मत कर, तू मुझे लेने नही देगा जान
राज- (आंखे बंद करते हुए) ले लेजा मेरी जान।

(अनुज उसके सिर पर बंदूक रख देता है।)
(राज को महसूस हुआ कुछ सिर पर लगाया है, लेकिन राज के लिए ये सब मजाक था, उसे लगा शायद अनुज ने उंगली रखी हो या कंघी रखी हो।)

अनुज- मैं मजबूर हूँ राज मुझे माफ़ कर देना।

(फिर राज को खटखट सुनाई दी और महसूस हुआ कि अनुज सच मे गोली चला रहा है तो राज ने आंखे खोली अनुज ने जैसे ही घोड़ा दबाया राज ने अपने हाथ से उसका हाथ हिला दिया, और गोली दीवार पर जा लगी। )

राज- पागल हो गए हो तुम, मैं मजाक समझ रहा था और तुम....
अनुज- (गुस्से में बोला लेकिन ये गुस्सा राज के लिए नही था) क्या करूँ मैं..हम्म....क्या करूँ।
राज- "ए दोस्त कर ले सितम हजारो कोई गम नही"
         "तू मजबूर है तो आजाद हम नही"
         " ले ले जान मेरी, मैं कुछ नही कहूँगा"
        " कोई कारण तो हो,
            "कम से कम ऊपर तो चैन से रहूंगा"

अनुज- (रोते हुए) - मेरी बेटी को बचा लो राज, मेरी बेटी उस दरिंदे के कब्जे में है।
राज- कौन है वो।
अनुज- पता नही, लेकिन तेरा दुश्मन है, कहता है उसकी मौत की खबर सुनकर ही मेरी बेटी को छोड़ेगा।
राज- मेरा दुश्मन...- नाम क्या बताया अपना
अनुज- नही बताया। मेरी बेटी रावी उसके कब्जे में है। और मैने कल सुबह तक कि मौहलत मांगी है।
राज- ठीक है। मार मुझे गोली,.....देख क्या रहा है मार ना...

(अनुज परेशान था उसे कुछ समझ नही आ रहा था। एक तरफ उसकी जान थी तो दूसरी तरफ उसकी दोस्त की जान।, और दोस्त भी ऐसा जो उसकी जान को बचाने अपनी जान देने को तैयार था)

अनुज- कोई और रास्ता नही है राज...
राज- "नही तू मुझे मार और अपनी बेटी को बचा ले"
अनुज- कोई तो रास्ता होगा,
राज- एक गोली चलाने से पहले बोलता, तो तुझे एक नही कई रास्ते बताता, अब मैं पछता रहा हूँ, तेरी मुश्किल से जुटाई हिम्मत को मैने पानी मे मिला दिया, काश तेरा हाथ नही हिलाया होता।
अनुज- रोते हुए राज के गले लग गया।
राज- सोचने दे,
(राज कुछ देर सोचने के बाद)
राज- तू जा अपने घर जाकर आराम से सो जा , कल सुबह मेरी मौत की खबर सुनेगा, टीवी में और फिर जाकर अपनी बेटी को वापस छुड़ा लेना और उनकी बोलती बंद कर लेना,
अनुज- नही राज। मैं इतना मतलबी नही हो सकता, एक पल के लिए जरूर भटक गया था, अगर वो मेरी बेटी है तो तू भी किसी का घर का बेटा है,  वो मेरे घर की रोशनी है तो तू भी तो किसी के घर का दीपक है,
राज- तू टेंशन मत ले, अपनी दोस्ती निभाऊंगा मैं, और अगर वो पूछे कैसे मारा तो उसे बोलना न्यूज देख मेरा सिर मत खा,
लेकिन एक बात और, वो अपना ठिकाना ना बदल दे तूने उसपर नजर रखनी है, ये बात तू जानता है और मैं जानता हूँ कि मैं जिंदा रहूंगा,और किसी को भनक नही लगनी चाहिए। शिला को भी नही।
अनुज- प्लीज, कोई गलत कदम मत उठाना, और मुझे माफ़ कर देना।

(अनुज वहाँ से चले गया, अब राज ने अपने हाथ की नस काट ली और दर्द से कराहते हुए एक ग्लास में खून इक्कठा किया, फिर खुद ही हाथ मे मरहम पट्टी की, राज जान गया था उसका दुश्मन सिर्फ राजीव है, और राज को पिछले कुछ दिन से महसूस हो रहा था कोई उसका पीछा कर रहा है, एक दो बार उसने राजीव का अस्पष्ट चेहरा देखा भी था, अब उसे यकीन आ गया था कि राजीव ही है जो उसे मारना चाहता है। राज ने अपने खून से फर्श पर पेंटिंग की जैसे कोई उसे मारकर रगड़ रहा है और रगड़ते हुए पिछे के दरवाजे तक ले गया है ,राज ये काम किसी लाल पदार्थ से भी कर सकता था मगर ब्लड टेस्ट होता है, जिससे जल्दी सब सामने आ जाता, राज कभी कच्ची गोटिया नही खेलता, फिर राज ने अनुज के आने के सारे सबूतों को मिटा दिया यहाँ तक कि उसके कार के पहिये के निशान भी, फिर गोली ढूंढी और  अपने पहने हुए कमीज में थोड़ा खून लगाकर वही फेंक दिया और खून का लथपथ गिलास को और गोली को किसी नाली में फेंक कर पिछे के दरवाजे  से बिना गाड़ी के भाग गया, )

दूसरे दिन सुबह अनुज ने न्यूज चलाई तो वो हैरान जरूर था, राज ने कुछ ऐसा ही रूम की हालत बनाई थी फिर अनुज एक्टिंग करते हुए उसके घर के पास पहुंचा और पुलिस और मीडिया पर भड़का और दोस्त की मौत पर दुख जाहिर किया, जिस न्यूज को सुनते ही राजीव  ने उसकी बेटी को होस्टल तक सुरक्षित छोड़ दिया, अब अनुज अपनी लड़की से मिलने होस्टल गया।

रावी के उस दिन होस्टल ना होने पर रावी पर भी शक जा सकता था, भले ही वो छोटी थी, अनुज ऐसा नही चाहता था इसलिए वो प्रिंसपल के पास गया और  बोला
अनुज- सॉरी कल मेरी बेटी से मिलने को मन बहुत हुआ तो मैं बेटी को मिलने आया, उसने जिद किया पापा घूमने चलते है तो मैं उसे घुमाने ले गया था। आपको बताया नही,लेकिन आगे से ध्यान रखूंगा।
प्रिंसपल- आप कहते तो आपको मना कौन करता, वैसे भी आज डांटने का मूड किसका है, राज की मौत की खबर सुनकर दिल दहल गया। पता नही कौन था कमीना जिसने उसकी हत्या कर दी।

(रावी भी बैठी सुन रही थी, रावी को यही लगता था कि उसके पापा ने उसकी हत्या कर दी वो भी मेरे को बचाने के लिए,रावी सोचने लगी कि आज मेरे वो पापा जो हमेशा मेरी जिद पर मुझे डांटते थे, मुझे हमेशा लगता था कि पापा को प्यार है तो अपनी म्यूजिक कंपनी से , अपने कंपनी से जुड़े दोस्तो से, क्योकि जितना वक़्त पापा उनके साथ गुजारते है उसका पाँच प्रतिशत भी हमारे साथ नही गुजारते, आज पापा
ने अपने ऐसे दोस्त की हत्या मेरे कारण की जिससे दूर होने की नही सोचते थे कभी, पापा प्यार तो अपने बच्चों से ही करते है चाहे कुछ भी हो, लव यू पापा, आई लव यु)
अनुज- चले बेटा, तुम्हे तुम्हारे कमरे तक छोड़ देता हूँ।
रावी- (कमरे में पहुंचकर पापा के गले लगकर खूब रोइ)
अनुज- ये तेरे मेरे बीच की बात है अपनी मम्मी को मत बताना।
रावी- (खुद समझदार थी कि ऐसे मौके पर क्या करना चाहिए।) नही बताऊंगी पापा , आज के बाद खुद को भी नही बताऊंगी किसी और को तो छोड़ो।

(ये थी राज की मौत की कहानी, )

राजीव- चलो कोई बात नही ,(जेब से गोली निकाल कर बंदूक में भरते हुए।) जब मौत मेरे हाथों लिखी है तो अनुज की क्या गलती,

राज को चार गुंडे पकड़े हुए थे, राजीव के हाथ मे बंदूक जो अब गोलियों से ठसाठस थी, अनुज और शिला मजबूर, कुछ करते तो गोली चल जाती ।
राजीव- अब बता तेरी क्या आखिरी इच्छा है।
राज- (हँसते हुए) क्या फायदा तू पूरी नही करेगा।
राजीव- अपने दुश्मन पर इतना भरोसा नही।
राज- उस दिन जब तूने मुझसे बाइक रेस की थी उसके बाद फिर मैं तुझे मार रहा था,बड़ा बॉडी बिल्डर था तु, तेरे हाथो में जान थी तब, तू मर्द लगता था, क्या फाइट करता था, सिक्स पैक्स की क्या बात करु मेरे मुक्के का कोई असर नही होता था।, आज तेरे चार आदमी मुझे पकड़े है, और तू हथियार लेकर, इतना कमजोर हो गया चार साल में।
(राजीव को राज की बात पर गुस्सा आया और पास जाकर एक जोरदार मुक्का राज को मारा)
राजीव- सीधा सीधा बोल ना कि तेरे हाथ से मुक्का खाना चाहता हूँ।

(राज को पहले मुक्के में दिव्या की लटकी लाश नजर आयी,)
राज- (अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश करता है) उस दिन मुझे किसी ने पकड़ा नही था राजीव...(चिल्लाते हुए बोला)
राजीव- इतना बड़ा बेवकूफ मैं भी नही हूँ। उस दिन तू अकेला था आज ये दो भी है।
राज- तो इन्हें भेज दे।
राजीव- ये सही बोला, पहले इन्हें ही भेज देता हूँ।( बंदूक से शिला की तरफ गोली चला देता है शिला को अनुज धक्का देता है लेकिन फिर भी शिला के पेट मे गोली लग जाती है और शिला चिल्लाते हुए गिरती है। अनुज शिला को पकड़ लेता है)

राज- कुत्ते………(राज से गुस्सा कंट्रोल नही होता है राज को शिला की जगह दिव्या दिखाई देती है, शिला राज को ऐसे देख रही है जैसे आखरी बार देख रही हो, राज को दिव्या का चेहरा शिला में नजर आया, एक बार फिर एक दिव्या उसे मिली थी जिसे वो खोने से डरता था राज ने एक झटका दिया सबको नीचे गिरा दिया और राजीव दूसरी गोली शिला की तरफ चला देता है तो राज खुद आगे से आ जाता है, गोली राज के जाँघ पर लग जाती है । 
राज- (बहुत जोर से चिल्लाता है) दिव्या..आ..आ...
और उठकर राजीव की तरफ भागता है राजीव एक-एक कर तीन बार  गोली और चलाता है लेकिन इससे पहले राज बंदूक पर मुक्का घूमाता है और बंदूक का मुह उसके ही आदमी की तरफ हो जाता है और दो आदमियों को गोली लग जाती है अब राज और राजीव मैं बंदूक की छीना झपटी होती है।  बंदूक नीचे गिर जाता है। राज राजीव का गला पकड़कर उसे पिछे दीवार तक ले जाता है इधर अनुज उन दो आदमियो की पिटाई करता है जो कि कभी खुद मार खाता तो कभी उन आदमियों को मारता।

राजीव ने राज पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिया।
एक तरफ शिला पेट पकड़कर दर्द से कराह रही थी, एक तरफ अनुज उन आदमियो से टक्कर ले रहा था, और एक तरफ चोटिल राज मुक्के खा रहा था
अब थोड़ा बाजी पलटी राज ने राजीव को कुछ मुक्के मारे लेकिन अब राजीव ने राज का गला दबाना शुरु कर दिया।

राज के गले की नली को राजीव ने जोर से दबा दिया राज को घुटन होने लगी, राज ने मुक्के मारना छोड़ दिया और तड़पते हुए अपने गले को छुड़ाने की नाकामयाब कोशिश की, मगर राजीव के हाथो में आज भी वही जान थी, वही गुस्सा था, वही गुरुर । बस उस बार राज ने उसका गुरुर धोके से तोड़ दिया था आज राजीव ने राज जो धोका देने का मौका नही दिया।
अभी राज को अपना गाना याद आ रहा था

      """"""""""जन्नते पुकारती है
      """"""मुझको तो पुचकारती है
       """"""""""ये शमा,   ये शमा..

राज लगभग प्राण को त्यागते हुए सोचने लगा। दिव्या की मौत भी इसने ऐसे ही कि थी, गला दबाकर, बाद में लटकाया था फांसी में, और मेरी भी ऐसे ही हो रही है, वाव...…मतलब उसकी मेरी मौत एक जैसे...क्या बात है राज...राजीव तो जैसे कोई अवतार है, जिसने पहले दिव्या को जन्नत भेजा ,अब सेम तरीके से तुझे भी। एक ही के हाथों, एक ही तरीके से , मुझे दिव्या जरूर मिलेगी।
अब राज की आंखे धीरे से बंद होने लगी, उसे आज फिर दिव्या नजर आयी उन्ही सफेद लहराती लंबी सी चुनर लिए दौड़ते हुए आ रही है और राज के सिर में अपनी चुनर का आँचल रख रही है, कितना सुकून है। ये जिंदगी और मौत के बीच का वक़्त भी सुकून देता है अगर तुम जिंदगी से ज्यादा प्यार किसी और को करो तो,
अचानक गोली चलने की आवाज आई,  और राजीव के हाथों में ढीलापन आ गया। शायद किसी ने राजीव पर गोली चलाई थी, अब राज के आंखों में दिव्या की तस्वीर थोड़ी झिलमिलाहट के साथ गायब होने लगी और उसकी आंख धीरे से खुली  और उसने देखा कि शिला ने एक तरफ अपने पेट को पकड़ा है जहाँ गोली लगी थी दूसरी तरफ बंदूक हाथ मे,
राज को तड़पता देख शीला भी तड़प उठी , राज शीला को जान से भी ज्यादा चाहती थी कोई अपनी जान को कैसे जाते हुए देखता ।  शीला के हाथ मे बंदूक थी और वो बंदूक ताने खड़ी थी दीवार से सटा हुआ राज खड़ा था,  और राजीव जिसके सिर पर गोली चली थी। सिर पर गोली का वार असहनीय होता है जो नर्वस सिस्टम फेल कर देता है।  राजीव ने दोनों हाथों से सिर थामा और धड़ाम से गिर गया।
अनुज नीचे जमीन पर लेटा था और उसे लात मार रहे आदमियों ने देखा कि अचानक परिस्थिति बदल चुकी है । उनका साहब मौत की आगोश में था, वो भी वहाँ से भागने लगे दरवाजे तक ही भागे थे कि पुलिस की पूरी टीम वहाँ आ पहुंची उन दोनों को धर दबोचा और विक्रम हाथ मे बंदूक लिए दौड़कर आया तो देखा राज जिसके जांघ पर गोली लगी थी और शिला जिसके हाथ मे बंदूक थी।  और एक हाथ से शीला अपने पेट से बह रहे खून को रोक रही थी।
अब विक्रम की नजर  तड़प रहे राजीव पर पड़ी।
अनुज बेहोश पड़ा था। विक्रम ने राज और शीला को जल्दी से हॉस्पिटल भिजवाया । और विक्रम को अपने बंदूक से तीन गोली और मारी।और अनुज की तरफ बंदूक तान दिया, उसकी नजर में वो भी खूनी था, फिर विक्रम को याद आया कि राज का खून इसने किया, राज तो जिंदा है। इसलिए उसे कुछ गड़बड़ लगी और उसने उसे गोली ना मारते हुए हथकड़ी पहनाई।
और हॉस्पिटल ले गया क्योकि उसे भी काफी चोट लगी थी।
जहाँ विक्रम खुद चोटिल था हॉस्पिटल से भाग आया था सिर्फ शीला को बचाने, शायद सही वक़्त पर पहुंच गया, वरना हॉस्पिटल ना ले जाने पर राज और शीला को खतरा होता।

    """"नमस्कार मैं नीतीश कुमार""""
"""""स्वागत है आपका आज के मुख्य समाचार में"""""
   ● बधाई हो राज का कातिल नही पकड़ा गया।
  सॉरी मेरा मतलब राज का कोई कत्ल हुआ ही नही था, ये एक साजिश थी दिव्या के कातिल राजीव को पकड़ने की।

जी हाँ , दिव्या का कातिल राजीव जिंदा था, और आज पुलिस से मुठभेड़ में विक्रम ने आत्मरक्षा करते हुए उसपर गोली चला दी, विक्रम सर को हमारा सेल्यूट।
राज और शीला दोनो को राजीव ने गोली मारी, लेकिन अब दोनो खतरे से बाहर।

"रेशमा हम से जुड़ी है सीधा प्रसारण में और वो मौजूद है हॉस्पिटल में"
नीतीश- रेशमा जी क्या हाल है।
रेशमा- मैं बिल्कुल ठीक हूँ आप सुनाओ
नीतीश- ओहहो....मैं पूछा हॉस्पिटल में राज के क्या हाल है।
रेशमा- वो बिल्कुल ठीक है, शीला को थोड़ी वक्त लगेगा रिकवर होने में , खून ज्यादा बहने के कारण खून की जरूरत थी अभी एक बोत्तल मेने डोनेट और अभी अंजलि जी उन्हें रक्तदान कर रही है। डॉक्टर का मानना है वो भी जल्दी ठीक हो जाएंगे।
नीतीश- जी बहुत धन्यवाद , आज पूरे देश मे हर्ष का विषय है। दो अपराधी पकड़े गए है और राजीव को मिलाकर कुल तीन लोगों की गोली लगने से मौत।

टीवी बंद करते हुए नीता- देखो ना, ना ही आपके जवाई मुजरिम है ना आपकी बेटी कमजोर और मेरे विक्रम सर का तो कोई जवाब ही नही।
चलो अब हॉस्पिटल चलते है।

एक हफ्ते बाद-

शीला- कुछ सोचा आपने
राज- क्या सोचना है।
शिला- रहने दो आप समझकर भी नाटक करते हो, अब मैं इस काबिल नही तो क्यो जबरदस्ती करना।
राज- जा रही हो। फिर कब मिलोगी।
शिला- मुझे मिलना नही आपसे, अब आप मिलने आओगे तो भी नही मिलूंगी।
राज- मैं सोच रहा था कि मम्मी पापा को बॉम्बे लाऊ और उनकी होने वाली बहु से मिलाऊं। अब वो चाहती नही मिलना

शिला ने इतना सुना ही की मन ही मन खुशी से झूम उठी फिर भी नाराजगी भरे लफ्जो में कहा- तो पहले ऐसे नाटक क्यो किया।
राज- तुम्हारा फुला हुआ मुंह ज्यादा अच्छा लगता है।
शिला- (मुँह को जानबूझकर फूलाते हुए एक उंगली गाल पर रखती है) ऐसे....(फिर खुद ही हँसने लगती है)

राज- नही...ऐसे बोलने के बाद जो स्माइल की वो ज्यादा खूबसूरत थी।

(राज ने शिला को गले लगाते हुए कहा)

कुछ दिन बाद राज और शिला की शादी हुई शादी बहुत धूमधाम से हुई बहुत बड़े स्टार वहाँ मौजूद थे। सबसे रोचक था शादी में संजना का मौजूद होना, जो शादी में खड़ी होकर देख रही थी। उसका एक हाथ अरुण की बाहों में था और ध्यान राज की यादों में...

""""राज ने डरते हुए कहा- मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ। लेकिन मेरी मौसी कहती है कि तेरे जैसे उसकी जुती के नीचे रहते है।
संजना- सही कहती है तुम्हारी मौसी।
राज- तो क्या हम कभी दोस्त नही बन सकते।
संजना- एक शर्त है। मेरी दोस्त दिव्या से दोस्ती कर लो, अगर कर ली तो हम दोस्त। और अगर दोस्ती नही कर पाए तो मेरे आगे पीछे नजर मत आना।
राज- दोस्ती मुबारक हो आपको।

""""""संजना- अच्छा तो कोई गायक से दोस्ती कर बैठी हो, बॉम्बे से आया है क्या
दिव्या- अरे नही लोकल ही है, लेकिन गाता बहुत अच्छा है।

राज के पहले गाने के बोल जो कि उसने किसी फिल्म का गाया था, तब राज पेशे से गायक नही था,

    """"""जरा सा दिल मे दे जगह तू
        """""जरा सा अपना ले बना...
संजना मंच पर गा रहे राज के गीत उस दिन अपने साथ जोड़ती है और दिव्या अपने साथ और किस्मत किसी और के साथ

      °°°°°°°मैं तेरे मैं तेरे
       °°°°°कदमो में रख दूं ये जहाँ...
     °°°°° मेरा इश्क दीवानगी....
    °°°°°° है नही है नही
     °°°°°°°°आशिक कोई मुझसा तेरा
       °°°°ये मेरी बन्दगी...

उस दिन बॉम्बे से नही आया था लेकिन अब जब भी आता है बॉम्बे से आता है, तब मौसी के कहे कुछ शब्द "तेरे जैसे सौ उसके जूती के नीचे रहते है ने उसका गुरुर बढ़ा दिया, और अपनी खूबसूरती पर घमंड आ गया संजना को, और राज को रिजेक्ट कर दिया उस राज को जिसके नीचे आज दुनिया झूम रही है, और राज में अब भी वही सादगी और भोलापन है, हाँ हालात ने थोड़ा मजबूत बना दिया था।
राज को बेस्ट म्यूजिक सिंगिंग अवार्ड मिलने वाला था मगर उसकी मौत की खबर आई , लेकिन आज उसे उससे भी बड़े अवार्ड से नवाजा गया, उसकी शादी में ही मंच पर आकर एलान करते हुए मिस्टर एच. आर. मित्तल साहब उन्हें अवार्ड देने मंच पर बुलाते है, टीवी में लाइव टेलीकास्ट हो रहा था, दुनिया देख रही थी ।

राज ने अंत मे अपनी इस कामयाबी का क्रेडिट देते हुए कहा
राज- आज मैं जो कुछ भी हूँ। जिसकी वजह से आज में इस कामयाबी को हासिल कर रहा हूँ, इस पुरस्कार पर मुझसे ज्यादा उनका हक है, मेरी जिंदगी एक सामान्य जिंदगी थी, वही बोरियत भरी, खाना पीना सो जाना, नौकरी जाना। मगर मेरे एक गलत फैसले को उसने ही सही राह दिया। अगर उस दिन मैं उससे नही बात करता, और उसकी लाजवाब शर्त को नही मानता तो आज यहाँ नही होता। मैं मंच पर बुलाना चाहूंगा मेरी दोस्त मेरी कामयाबी की चाबी संजना को।
(संजना की आंखों में आँसू थे उसने अरुण से धीरे से हाथ  छुड़ाया आंसू पोछे और मंच पर गयी)
(संजना कुछ नही बोली उसे दो शब्द बोलने को कहा गया लेकिन उसका गला भर आया था, मुश्किल से आँसू रोके थे।
सिर को "ना" में हिलाया और अवार्ड को लेते हुए मंच से नीचे उतर आयी,

 
    ■■■■★★★★THE END★★★★■■■■


सहृदय धन्यवाद - सन्तोष भट्ट "सोनू"


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9 Comments

Punam verma

02-Sep-2022 11:44 AM

Very nice

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Abhinav ji

23-Aug-2022 07:46 AM

Very nice story

Reply

Seema Priyadarshini sahay

28-Apr-2022 08:30 PM

आप तो हमारे लिए प्रेरणा हैं संतोष सर। बहुत बेहतरीन।👌👌

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santosh bhatt sonu

29-Apr-2022 01:43 PM

Shukriyaa apka

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