Priyanka06

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लेखनी कहानी -27-Apr-2022 लकड़ी की वार्तालाप

रचीयता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-लकड़ी की वार्तालाप
छोटे से जंगल में पड़ी थी मैं
बेकाम सी थी मैं
क्या! काम आऊंगी मैं
 
आया एक दिन ऐसा
मुझे जंगल से ले गया  व्यक्ति
पूछा मैंने उस व्यक्ति से
क्या करोगे मेरा

मैं तो एक सुखी, बेकार सी हूं
 कहा उस व्यक्ति ने
हे लकड़ी! देख तुझे क्या बनाता हूं मैं
लकड़ी ने देखा, बना उसका नया आकार

पूछा लकड़ी ने तुमने मुझे क्या बनाया
खुश हुई लकड़ी, मिला एक नया नाम

फिर से पूछा लकड़ी ने
कौन हो तुम

व्यक्ति ने कहा, हूं मैं एक नाविक
कहां लकड़ी ने रचनाकार हो तुम मेरे

दिखाऊंगा तुम्हें मैं जग सारा
बैठ नाव में नाविक
पकड़े हाथ उसका
चला एक रहा पर

कितनी कश्तियों से टकराया
आए होंगे कितनी तूफान

फिर भी नाविक नाव को लेकर
पहुंच गया अपनी मंजिल

नाविक ने नाव को दिखाया जग सारा
कहां लकड़ी ने मिली मुझे मंजिल
पूरा हुआ लक्ष्य मेरा।

सप्ताह की पांचवी कविता

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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

28-Apr-2022 08:24 PM

बहुत खूबसूरत

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Renu

28-Apr-2022 10:42 AM

👍👍

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Zainab Irfan

27-Apr-2022 09:03 PM

Very nice 👍🏼

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