अजय

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पल

हम तेरे इश्क पर ऐतबार करते हैं

                कुछ कहें ना कहें तुमसे प्यार करते हैं

अब मौसम हो कोई भी चलेगें साथ तेरे

                 अपनी मूंद आंखें अभी इकरार करते हैं

हर वो पल जिसमें तुम शामिल नहीं

                     हम ऐसी जिन्दगी से इनकार करते हैं

मिले तुमसे जब भी आये जहाँ में

                           हम ये दुआ हर बार करते हैं

मेरे झगडों से ना दिल इतना दुखा

              हम यूं ही झूठ-मूठ की तकरार करते हैं

रूह रतन की बसती जिस्म में तेरे

              ऐलान आज ये सरे बाजार करते हैं

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