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व्यक्तित्व

मैं  अपने  काम  पर नज़र रखता हूँ  
कब मैं मोहल्ले की ख़बर रखता हूँ 

झूटी शान  शौकत देखी मेहलों में 
प्यार भरा  छोटा  सा घर रखता हूँ 

आता नहीं मुझ को यूँ बातें बनाना 
सच्चे अल्फ़ाज़ का असर रखता हूँ 

दिल जीते हैं उल्फ़त व मोहब्बत से 
नहीं  आसतीन  मे ख़ंजर  रखता हूँ 

ता उम्र पीता रहा मैं ग़मों की शराब 
जला हुआ ही सही जिगर रखता हूँ 

छुपा ले जो अपने सीने में सब कुछ 
अपने अंदर ऐसा  समंदर रखता  हूँ 

जिस पे लगते ही रहते हैं मीठे समर 
अपने आँगन में ऐसा शजर रखता हूँ 

शायद उस के सोने से मुझे भी आये 
नींद ऐ शब् के लिए बिस्तर रखता हूँ 

करूँ क्यों गिला अपने ख़ुदा से 
खुश हूँ जैसा भी मैं मुक़द्दर रखता हूँ...!!!

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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

29-Apr-2022 09:53 PM

बहुत खूब

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Swati chourasia

29-Apr-2022 01:24 AM

बहुत खूब 👌

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Simran Bhagat

28-Apr-2022 11:53 PM

Nice

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