नेहा

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लेखनी प्रतियोगिता -29-Apr-2022

जो उनके रहमों करम पर,

पलें थे कभी,
जो उनके पिछे- पिछे ,
चले थे कभी,
आज उनको ही सता रहे है,
खुद को सरीफ बता रहे है।

जिनका थे वो कभी सहारा बने,
जान से ज्यादा,
सब थे प्यारा बने ,
आज वही आँखे दिखा रहे है,
उनको ही गलत बता रहे है ।

भोले_भाले से वो कुछ सुनते न थे,
अपनों को छोड़ गैड़ो को चुनते न थे,
वही अपने जब ,
पराए हुए,
छटपटाने लगे चोट खाए हुए ।

जिनके बिना दिन वो बिताते न थे,
सबको खिलाए बिना खुद खाते न थे,
वही रहते है मौज बनाए हुए,
उन्हे दिल से बिसराए हुए ।

जो उनके रहमोंकरम पर पले थे कभी,
जो उनके-उनके पिछे_पिछे चले थे कभी,
आज उनकों ही सता रहे है, 
खुद को सरीफ बता

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7 Comments

Shnaya

30-Apr-2022 10:44 PM

Very nice 👍🏼

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PHOENIX

30-Apr-2022 09:26 PM

Nice one.कही कही शब्द गलत छप गये लगते है।

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Punam verma

30-Apr-2022 09:10 AM

Very nice

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