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बेताबी

आदरणीय मंच को सादर नमन और वंदन 💝💝


                बेताबी



मुझे तेरी बेताबी है
मुझे खुद से बेबाकी है
धीरे धीरे मचल रहा हूँ
मुझे तेरी बेताबी है
आसमान में दोनों मिलकर 
एक संसार बनाते हैं
इन चमकीले तारों से
एक प्यारा स्वर्ग बनाते हैं
मुझे तेरी बेताबी है
मुझे खुद से बेबाकी है
खामोश दिल है 
बेताब धड़कन
सांसें हैं हल्की
बेजान धड़कन
खुद में तुझको ढूंढ रहा हूँ
खुद में तुझको खोज रहा हूँ
मुझको तेरी बेबाकी है
मुझको तेरी बेताबी है
फिर से मिलकर एक बार हम
एक दूजे में खो जाते हैं
भूल के सारी दुनिया दारी 
प्यार को फिर से अपनाते हैं
मुझे तेरी बेताबी है
मुझे खुद से बेबाकी है


             पण्डित विजय की कलम से


         अपना प्यार इस छोटी सी कोशिश को ज़रूर दी जियेगा 

             धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏

   6
5 Comments

lekhak Pandit vijay upraity

06-Jul-2021 10:21 PM

धन्यवाद

Reply

Shehla jawaid

06-Jul-2021 10:04 PM

Bahut khoob

Reply

Shaba

06-Jul-2021 10:03 PM

क्या कहना आपकी बेताबियों का।

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