Add To collaction

सांसे

हर एक ख्वाब अधुरी छूट रही है तुमको सूचित हो 
नैनो से नदियां फुट रही है तुमको सूचित हो 
तुम्हे पाकर अचानक रफ्तार जिसकी बढ़ जाती थी 
वो सांसे अब हमी से रूठ रही है तुमको सूचित हो 


राघवेन्द्र मिश्रा

   6
6 Comments

Aliya khan

08-Jul-2021 03:54 PM

Nice

Reply

Seema Priyadarshini sahay

07-Jul-2021 06:44 PM

वाह बहुत बढ़िया

Reply

Niraj Pandey

07-Jul-2021 06:21 PM

वाह👌

Reply