लेखनी प्रतियोगिता -01-May-2022 मैं मजदूर हूं ,पर मजबूर नहीं
रचीयता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक- मैं मजदूर हूं
पर मजबूर नहीं
मैं मजदूर हूं
पर मजबूर नहीं
मालिक का सेवक हूं
पर गुलाम नहीं
गरीबी के आगोश में
छाया इस कदर हूं
पर नहीं बनाता किसी की कब्र
मैं मजदूर हूं
पर मजबूर नहीं
जीवन यापन के लिए हूं मैं मजदूर
गरीब ही नहीं होता मजदूर
घर घर में होता है मजदूर
मैं मजदूर हूं
पर मजबूर नहीं
झुक गई मेरी कमर
कमर पर पड़ा बोझ इतना
पर हूं भारत माता का बेटा
धरती के आंचल में सोता
मैं मजदूर हूं
पर मजबूर नहीं
आंखों के नीचे छाया मजबूरी का असर
पर नहीं आती कहने में शर्म
खून पसीना बहा कर करता हूं कर्म
मेरे परिवार के प्रति है यही धर्म
मैं मजदूर हूं
पर मजबूर नहीं
मैं मिट्टी में सोना उगाता
अपने पसीने का में खाता
दिन रात एक करता
फिर परिवार का पेट भरता
मैं मजदूर हूं
पर मजबूर नहीं
अमीरों के ख्वाबों का
होते हैं हम आसार
करते हैं हम उनके सपनों को साकार
फिर मिलता है उनकी मंजिलों को मुकाम
मैं मजदूर हूं
पर मजबूर नहीं
"कर गुजरने की ताकत है हम मैं
मुकाम पाने का साहस है हम मैं
बॉडी बिल्डिंग तो सब बनाते
हम जैसी बिल्डिंग कोई नहीं बनाते"
चलो हम आज सब मिलकर बोलते हैं
मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Shrishti pandey
02-May-2022 09:35 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
02-May-2022 09:20 PM
बेहतरीन मैम
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Punam verma
02-May-2022 07:40 AM
Nice
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