क्षणिकाएं–३

क्षणिकाएं –३


(१)

परछाइयों के साए जिंदगी पे गहरे हैं
गम के बादल छाए हैं, और हम अकेले हैं।

(२)

आज सुबह से गमगीन बहुत हैं हम
तेरे आने की खुशी जो है ए गम।।

(३)

निकलेगा चांद उस अटारी फिर एक बार
माना छाई है गम की घटा अभी घनघोर।।

आभार – नवीन पहल – ०१.०५.२०२२ 🙏🌹💐

# नॉन स्टॉप 2


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5 Comments

Mahendra Bhatt

29-Sep-2022 03:02 PM

👌👏

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Seema Priyadarshini sahay

02-May-2022 09:31 PM

बेहतरीन

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Renu

02-May-2022 03:39 PM

👍👍

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