Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -02-May-2022 हे मनुष्य !जाग तू

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-हे मनुष्य! जाग तू

हे मनुष्य! जाग तू,
अब हो गया है सवेरा।


देख दुनिया का नजारा,
 हैं तपिश का  उजाला।
देख तू ! मन हो  जाएगा बावरा,
बना तेरी दुनिया में एक नया बसेरा।।
हो वहां एक नया सवेरा।। 

हे मनुष्य! जाग तू,
अब हो गया है सवेरा।

चक चितोर कर रहे  भोर,
कोयल की कूक कर रही शोर।
 पिहू- पिहू कर ,उठा रहा मोर,
मुर्गे ने  दी बाग  चारों ओर।।

हे मनुष्य! जाग तू,
अब हो गया है सवेरा।

चारों तरफ छा रही लालिमा,
लालिमा कर रही है, मन विभूर।
सुबह उठकर बोल अब सुप्रभात,
रोज कर तु व्यायाम।।
सूरज को कर तु नमस्कार,
मन को मिलेगा आराम।।

हे मनुष्य! जाग तू,
अब हो गया है सवेरा।

सूरज की विकरण,
करे आंखों को स्वस्थ।
पूजा पाठ करे ,मन में अमल,
हो जाएगा चित प्रसन्न।।

हे मनुष्य! जाग तू,
अब हो गया है सवेरा।

नयी कलियां खिल गई है,
कलरव कर रही है पक्षियां।
हुआ नयी ऋतु का आगमन,
तू आगे बढ़ने का कर आचमन।

हे मनुष्य! जाग तू,
अब हो गया है सवेरा।

चारों तरफ छाया है प्रभात,
कर मन को अब जागृत।
मन में हो एक आभास,
जिससे हो तुमको विश्वास।।

हे मनुष्य! जाग तू,
अब हो गया है सवेरा।



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13 Comments

Shrishti pandey

03-May-2022 09:21 PM

Very nice

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Abhinav ji

03-May-2022 08:47 AM

Nice

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Swati chourasia

03-May-2022 07:06 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌👌

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