वजह
इक वजह है काफी यारो मुस्कुराने के लिए
यूँ तो हज़ारों गम है, दिल को दुखने के लिए
दोस्तों से बोलिये सच झूठ में रखा है क्या
लाख परदे काफी नहीं सच को छुपाने के लिए
गम का दरिया ज़िन्दगी है तो भी यारो क्या हुआ
हौसले को कश्ती बनाओ पर जाने के लिए
डूब जाएंगे भॅवर में तो भी यारो गम नहीं
कुछ गवाना पड़ता है कुछ कमाने के लिए
देखिये ये पत्थरों को चिर कर जो आए है
झरने से दरिया बने सागर हो जाने के लिए
ऐसी ही मस्ती में आशिक़ खुद फ़ना हो जाते है
जैसे परवाना जला है शमा को पाने के लिए
और जो कहते है बुजदिल उनको कहने दीजिए
कौन जाने कितनी हिम्मत चाहिए सर को झुकाने के लिए
तेरे सिजदों में असर जो न हुआ तो क्या 'ग़ुलाम''
ढूँढ ले कोई रहनुमा रास्ता बताने के लिए
हरविंदर सिंह ग़ुलाम
Zakirhusain Abbas Chougule
07-May-2022 02:31 PM
Very nice
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सिया पंडित
06-May-2022 06:48 PM
Shandar
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Ghulam Hazir hai
06-May-2022 08:37 PM
बहुत-बहुत धन्यवाद
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Shnaya
06-May-2022 01:10 PM
👌👏🙏🏻
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Ghulam Hazir hai
06-May-2022 08:36 PM
बहुत-बहुत धन्यवाद
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