मोटापा

●●●●मोटापा●●●●
जीभ दनादन दंड करें,
पकवान प्रहार प्रचंड करें।
मन, तन का सुध नहीं रखता,
नित क्रिया अविरत अखण्ड करें।
            ऊर्जा प्रचुर उपयोग नहीं,
            ये असंतुलन हैं सही नहीं।
            जब वसा बदन हैं जम जाता,
            मेंढक सा तोंद निकल आता।।
न व्रत-उपवास योगा कसरत,
न श्रम करने की हैं फुरसत।
भोजन पश्चात वारि सेवन,
शय्या धारण की हो हसरत।।
            फिर बहे पसीना साँस फुले,
            और चलना दूभर हो जाता हैं।
            व्याधिग्रस्त काया बेढब,
            हा कहते इसे मोटापा हैं।।
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              स्वरचित मौलिक
            सर्वाधिकार सुरक्षित 
      ✍🏼 चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
    संपर्क संख्या 9470638637
 सुंदरपुर बरजा आरा(भोजपुर)बिहार

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11 Comments

हार्दिक आभार

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Reyaan

06-May-2022 11:33 AM

👌👏

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Renu

06-May-2022 02:57 AM

👍👍

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