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एडवांस

#शॉर्ट स्टोरी चैलेंज

#सामाजिक–2


"मम्मी, आपको कमला आंटी बाहर बुला रही हैं।," निशु ने किचन में काम कर रही नम्रता से कहा तो वह थोड़ा झल्लाते हुए बोली," अरे यार, तुम्ही पूछ लो न ,क्या काम है, देख नही रही मैं रोटी सेक रही हूं?"
"पूछा था,पर वो बोली आपसे ही काम है।"निशु का जवाब सुनकर नम्रता ने गैस बंद किया और बाहर बर्तन धो रही कमला के पास आ गई।
उसे देखकर उसकी बाई कमला ने विनयपूर्वक कहा, "भाभी , 200 रुपए एडवांस दे दो न।"
"अरे अभी पिछले हफ्ते ही तो तुमने 100 रुपए एडवांस लिए थे ,अब फिर मांग रही । महीना तो पूरा होने दो।"नम्रता को उसे मना करते अच्छा नही लग रहा था पर अभी उसकी नई बर्तन वाली कमला को काम करते अधिक दिन नही हुए, ऐसे में यदि बार बार उसको पैसे दिए तो उसकी आदत न बिगड़ जाए, और इन बाई लोगों का क्या भरोसा एडवांस लेकर भाग गई तो, बस इसी संशय के कारण उसने एतराज़ किया।
"भाभी उस दिन घर मे सब्जी नही थी, तो आपसे 100 रुपए  लिये थे। आज गैस खतम हो गई है, आप बस 200 रुपए दे दो बाकी मैं दीक्षित दीदी से ले लूंगी।आप महीने के 400 रूपये में से काट लेना ।" कमला की बात सुनकर उसको दया आ गई और उसे 200 रुपए दे दिये परन्तु वह ऊपर से कठोर बनी  रही ।

नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली निशु चुपचाप यह सब देख रही थी। उसने अपनी मम्मी से कहा, " मम्मी ये नई आंटी कितना एडवांस मांगती हैं न, आपको बहुत गुस्सा आता होगा। "

बेटी की बात सुन नम्रता ने कुछ सोचते हुए कहा," हम्म, गुस्सा भी आता है, साथ ही एडवांस देते समय लगता है कि क्या पूरे महीने का एडवांस देना उचित है पर जब उसकी परिस्थितियों के बारे में सोचती हूँ कि उसका हसबैंड एक्सीडेंट में एक्सपायर हो चुका है, घर मे दो बच्चे हैं , तो दया आ जाती है और तुम्हें पता है उसकी बड़ी बेटी 11 साल की और बेटा 7 साल का हैं ।"

"तो उनकी फैमिली में कोई और नहीं है, आई मीन अर्निंग करने वाला?" निशु ने आँखें बड़ी करके पूछा तो नम्रता ने न में सिर हिलाया और कहा ," तुम्हारे नानाजी सही कहते थे कि यदि कोई गरीब मदद मांगे तो कोई आगे नहीं आता और मदद के अभाव में परिस्थितियों से मजबूर होकर यदि वो जरूरतमंद  कोई बेईमानी करे, कोई अपराध करे तो इसका जिम्मेदार किसे माना जायेगा, इससे बेहतर तो यह है कि उनकी मदद की जाए। बस यही सोचकर किसी गरीब की   मदद करने से खुद को रोक नहीं पाती।"
" किसी भी स्थिति मे अपराध करना , बेईमानी करना गलत है उसका विरोध तो सभी करते हैं पर इस विषय मे कोई नहीं सोचता कि पैसे की तंगी के कारण भी कई लोग मजबूर होकर अपराध कर देते हैं।"
"एकदम सही बात है मम्मी , सोसायटी में जो भी कैपेबल हैं, अगर वो इसी सोच को फॉलो करें औऱ जरूरतमंदों द्वारा मदद मांगने पर उन्हें निराश न करें,हरसम्भव सहयोग करें, तो मजबूरी के कारण होने वाले क्राइम कम हो सकते हैं।हैट्स ऑफ।" मुस्कुराते हुए यह कहकर निशु ने भी इस सबक को अपने व्यवहार में लाने का निश्चय कर लिया। 

                         प्रीति ताम्रकार 

                       जबलपुर(मप्र)

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13 Comments

Seema Priyadarshini sahay

09-May-2022 05:10 PM

👌👌सुंदर कहानी

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Abhinav ji

09-May-2022 06:44 AM

Very nice👍

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Renu

09-May-2022 12:10 AM

👍👍

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