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टीचर स्टूडेंड कन्वर्जेशन (हास्य कविता)








टीचर, स्टूडेंट्स से : -



जब तक तुम इस कमरे में हो,
तुम्हारा न कोई मम्मी पापा है
ना ही किसी से कोई रिश्ता नाता है।

स्टूडेंट्स : -

ऐसे तो हमरा, कुछ नही आता है
लेकिन जियरा   डर  जाता है।

देखी के मैथ का कठिन सवाल
कंट्रोल खुद से छूट जाता है।

ऐसे तो हमरा........×2

टीचर :

बच्चो देखो बात पते की बता रहे हैं
तीन बार हो गया, ये चौथी बार समझा रहे हैं

मत करो डंडा उठाने पर मजबूर
पढ़ लो, अभी बहुत प्यार से पढ़ा रहे हैं।

स्टूडेंट्स :

सर जी!
डर के मारे छूटा पसीना दिखे न कोई उपाय
ऐसा रोग लगा है अब, वैध न कुछो बताए
रट रट हम बन गए रट्टू तोता, कुछ समझ न आए
कभी मुर्गा तो कभी गधा और जाने दिए हो क्या क्या बनाए

कभी ये तो कभी वो,  पढ़ने का रोज आता है
फिर भी देखते ही आपको मनवा बड़ा घबराता है

ऐसे तो हमरा, कुछ नही आता है
लेकिन जियरा   डर  जाता है।×3

टीचर :

बेटा सुन लो बात हमारी, कभी मिलेगा न ऐसा टीचर
थोड़ा सा तुम मेहनत कर लो और बना लो फ्यूचर
छोटे - छोटे कुछ नियम हैं सर्वांगासम और चराचर
प्यार से समझो बाते मेरी, कही हो न जाए क्रूएल नेचर

स्टूडेंट्स :

सिम्पल सी स्माइल में भी लगते विलेन टाइप हो
पकड़ के रखते हो हमको, जैसे किया कोई क्राइम हो

गणित, विज्ञान, भूगोल, अंग्रेजी और जाने कितने सब्जेक्ट्स हुए
अरे हमरे माथे पर ओवरलोड है, हमसे न एडजस्ट हुए

कई बहाने और तैयार है लेकिन, आपके सामने भूल जाता है
वैसे तो हम बड़े बहादुर, फिर भी मन बड़ा घबराता है!

सर जी!

ऐसे तो हमरा, कुछ नही आता है
लेकिन जियरा   डर  जाता है। ×3

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11 Comments

Niraj Pandey

09-Jul-2021 09:16 PM

🤣🤣🤣👌👌👌

Reply

Renu Singh"Radhe "

09-Jul-2021 08:04 PM

🤣🤣👌🏻 बहुत खूब

Reply

अजय

09-Jul-2021 03:24 PM

खूब भालो 👍👍

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