Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -10-May-2022 आज मेरी बेटी ससुराल की दहलीज चली

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-आज मेरी बेटी ससुराल की देहलीज चली

आज मेरी बेटी की हुई विदाई,
आज मायके की दहलीज छोड़कर चली।
आज मेरी बेटी ससुराल की दहलीज चली।।

मायके से मर्यादा और संस्कार का पिटारा ले चली,
अब सुन मेरी बेटी ,अब मैं यही कहती,
उस दहलीज की मर्यादा तेरे हाथ में देती।
करना तू हमेशा मर्यादा का पालन,
देना तू सब को सम्मान।
यही करती हूं मैं  तुझसे आस।।

आज मेरी बेटी ससुराल की दहलीज चली।

मांग में सिंदूर सजा कर चली,
सिंदूर नहीं, अपने पति का मान लेकर चली।
आंख में काजल लगा कर चली,
काजल नहीं ,तू तेरे कुल की आन लेकर चली।
हाथ में चूड़ियां बेबसी कि नहीं,
अपने देहलीज के  आत्मसम्मान को लेकर चली।
माथे पर चंदला लगा कर चली,
चांदला नहीं, मन की सुंदरता लेकर चली।

आज मेरी बेटी ससुराल की देहलीज चली।

अब तू अकेली नहीं,
अपने में 'मैं' मर्यादित करके चली।
अपने दहलीज पर हुनर का पर्दा ओढ़ कर चली,
पर्दे में अपनी मर्यादा बांधकर चली।
अपने विचारों से सबकी शान बढ़ाती चली।

आज मायके की दहलीज छोड़ चली,
आज मेरी बेटी ससुराल की दहलीज चली।









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22 Comments

Toshan Churendra 'Dinkar'

11-Jun-2022 09:49 AM

बेहतरीन सृजन बहोत बहोत बधाई

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Shnaya

12-May-2022 03:18 PM

👏👌🙏🏻

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Soniya bhatt

11-May-2022 07:02 PM

👏👏

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