समय
शीर्षक :- समय
मैं समय हूँ, मैं सदैव,गतिमान रहता हूँ
मैं समय हूँ,मैं प्रतिपल,चालायमान रहता हूँ
मैं सूरज की तरह उगँता,और ढलँता नहीं
मैं हवाओं के संग में,यूँ कभी चलता नहीं
मैं समय हूँ कभी मैं,कहीं पर रूकता नहीं
मैं समय हूँ,कभी कहीं पर झुकता नहीं
मैं समय हूँ,मैं सदैव--------
मैं समय हूँ किसी,नदियाँ का धारा नहीं
उजालो के डर से जो रातों में निकलें
वो कोई चाँद मैं सितारा नहीं
समुन्दर में उठते लहरों से डूबाँ
किसी तिनके का मैं सहारा नहीं
मैं समय हूँ,समय का कहीं पर ठिकाना नहीं
मैं समय हूँ मैं सदैव---------
है भू-भाग पे दबदबा अब मेरा
मुझे देखकर लोग उठतें सदा
सभी के जीवन का मैं सत मार्ग हूँ
है मुझसे सभी,पर मैं किसी का ना हूँ
मैं समय हूँ,मैं सदैव--------
स्वरचित एवं मौलिक रचना
नाम:-प्रभात गौर
पता :- नेवादा जंघई
प्रयागराज
(उत्तर प्रदेश)
Satendra Nath Choubey
11-Jul-2021 12:11 PM
खूबसूरत पंक्तियाँ प्रभात जी
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🤫
11-Jul-2021 12:31 AM
समय को आधार बना एक खुबसूरत रचना
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Niraj Pandey
11-Jul-2021 12:27 AM
वाह👌
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