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इन लव विथ बिलियनेयर( कॉन्ट्रैक्ट मैरिज ) (भाग-39)





पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि अगली सुबह अवनी जब जागती है तो खुद को ऐसी हालत में देखकर हैरान हो जाती है ...अब आगे ,

अवनी लेटे हुए ही इधर - उधर देखती है और फिर खुद को मुश्किल से उठाते हुए बेड पर बैठ जाती हैं और देखती हैं की  ऋषभ बालकनी में लगे हुए झूले पर ब्लैंकेट से ढक कर सोया हुआ है ....उसे देखकर वो घूरते हुए कहती है,

अवनी - ऋषभ जी .......ऋषभ जी सुनिए ....
( वो बुलाती रहती है पर ऋषभ कोई रिस्पॉन्स नहीं देता तो वो कहती है )
अवनी - ओय ऋषभ ....ऋषभ सुन..दिमाग मत खराब कर ....
(  अवनी को ऐसे बोलते सुन तो ऋषभ उठकर बैठ जाता है और कहता है )
ऋषभ -( हैरानी से ) ये आप किस तरह से बात कर रही थी ......एक बार फिर बोलिए ....??

अवनी - क्या किस तरह से ...( ऊपर देखते हुए ) ..ऋषभ जी ही कहकर बोल रही थी .......

ऋषभ - सच बोलिए ....क्योंकि मैंने कुछ और सुना ....
अवनी -( धीरे से )जो भी सुना सही  ही सुना .........अच्छा पहले ये बताईए की मेरे  हाथ - पैर क्यू बांधे हुए है आपने 
ऋषभ - कुछ नही सो जाइए आप ....अभी सुबह नही हुई है ...
अवनी - मेरे हाथ - पैर खोलिए वरना आपकी रात कर दूंगी ...


( ऋषभ ये सुनकर सीधे  तेजी से रूम में घुसता है और  अवनी के ऊपर झुक जाता है...तो वो हड़बड़ा कर लेट जाती हैं और आंखे बड़ी करके उसे देखने लगती हैं......थोड़ी देर तक उसे ऐसे ही देखती है और पलको को झपका कर कहती है ,)

अवनी - ये ....ये आप क्या कर रहे हैं ?
ऋषभ - सच सच बताइए ...ये रोज  लाते आप जानबूझकर मारती है ना??.
अवनी -( हैरानी से ) अरे कब मारा मैने ??
ऋषभ -( बिना किसी भाव के ) हर रात आप मुझे मारती है .........ये डोमेस्टिक वायलेंस है ....
अवनी - ( मुंह बनाते हुए) बस बस बहुत हो गया....मेरे पैर खोलिए ....

( ऋषभ सीधे खड़ा होता है और जाकर सोफे पर लेट जाता है तो अवनी उसे घूरते हुए कहती है )

अवनी - अरे ....प्लीज मेरे हाथ पैर खोलिए .....
ऋषभ - कोई जरूरत नही है ...अभी सिर्फ 6 बजे है आराम से सोइए....बाद में खोलूंगा ......
अवनी - (घूरते हुए )मै सबको बता दूंगी की आपको लाते मिलती है .....वो भी हर रात .....

( ऋषभ ये सुनकर थोड़ा मुस्कुराता है और अवनी के हाथ पैर खोलकर वही बेड पर लेट जाता है ......पास में बैठी हुई अवनी अपने हाथो को सहलाते हुए कहती है )

अवनी - मन तो कर रहा एक लात मारके गिरा दू ...
ऋषभ - ( आंखे बन्द किए हुए ही ) सोचना भी मत ......वरना उसका अंजाम आपको भुगतना पड़ेगा ..
( वो उसे जीभ दिखाकर लाइट ऑफ करके फिर से सो  जाती है ...)


दूसरी तरफ,

संजना 6 बजे ही उठकर गार्डेन में एक्सरसाइज कर रही होती है ..... देव भी अपने हाथो को स्ट्रेच करते हुए घर से निकलता है और गार्डन में खड़े होकर संजना को देखने लगता है ........संजना अपने में ही लगी होती है की तभी देव को अपनी तरफ ऐसे देखते पाकर  वो ...पीछे मुड़ती है और फिर उसके पास जाकर कहती है,

संजना - ये तुम ...तबसे मुझे क्यों घुर रहे?
देव -( हड़बड़ा कर ) वो ...वो मै देख रहा था की ये चमगादड़ कौनसी एक्सरसाइज कर रही ...
संजना - ( गुस्से में )खिसक लो वरना अगर मेरे हाथो से पिटे तो कोई पहचान भी नही पायेगा ....
देव - क्या है यार जब देखो तो मार - पीट की ही बात करती रहती हो ....
संजना - तो फिर ढंग से बाते करना सीखो ......
देव - ( हाथ जोड़ कर) जी देवी जी ........अच्छा भागने चलोगी ??
संजना -( हैरानी से ) तुम्हारा दिमाग तो ठीक है 
देव - ओह गॉड अब क्या कर दिया मैंने ......?
संजना - ( गुस्से में )मैं भाई को अभी बताती हु जो तुमने कहा ...
देव - एक मिनट ...( सोचते हुए ) कही इस अक्ल की महारानी ने कुछ गलत तो नहीं सोच लिया .......
संजना - क्या हुआ अब तुम्हें...मैं पहले से जानती थी की तुम अच्छे लड़के नही हो .....
देव - बस करिए देवी जी ....में रनिंग पर चलने के लिए कह रहा था ( शांति से )..........
संजना - ओह .......
देव - जी .......अब अगर चलना है तो चले क्या ......( आगे बढ़कर ) वरना मै बुरा लड़का हू..अकेले ही चला जाऊंगा....
संजना - नही रुको मैं आती हु ......

(वो भागकर घर के अंदर जाती है और अपना ट्रैकसुट पहनकर मुस्कुराते हुए बाहर आ जाती है और फिर कहती है )
संजना - भाई को बता दिया है ना ....?
देव - हां सबको मैसेज कर दिया है एंड डोंट वरी आदि भाई को खुद ही बताकर आया हु ....
संजना - ओह ....तब ठीक है ...चलते है अब..

( दोनो फिर निकल जाते है ..... डलहौजी वैसे भी एक पहाड़ी इलाका है तो ...घर कम जंगल ज्यादा है ..चारो तरफ पेड़ - पौधे ही नजर आते है उसे देखकर संजना रुक जाती है और कहती है ,)
संजना - यार हम चलकर जाते है ना ....( हांफते  हुए ) मुझसे और नहीं भागा जायेगा .....
देव - ( हंसते हुए ) मै जानता था की तुम में सिर्फ इतु  सी ही जान है ......फालतू का बस पूरे दिन फेंकती रहती हो 😏 ......
संजना - ( खड़े होकर ) आज मेरे पास मौका अच्छा है ...तुम वही रुको ...आज यही सब काम तमाम कर देती हु ....
( संजना को ऐसे बोलते देख देव हंसते हुए भागने लगता है और उसके पीछे पीछे संजना भी .....)

दूसरी तरफ,

सब लोग अब जग चुके होते है और फ्रेश होकर नीचे हॉल में  ब्रेकफास्ट के लिए बैठे होते है सिवाय आनंद और खुशी के .....थोड़ी देर तक सब लोग इंतजार करते हैं की सब आ जाए तो एक साथ ब्रेकफास्ट करे ....पर आधा घंटा निकल जाता है पर न खुशी आती है ना आनंद .... सीढीओ की तरफ देखते हुए विहान कहता है ,

विहान - आज उस चिरकुट को कुछ ज्यादा ही गहरी नींद आ रही ....
अवनी - आप लोग खाइए ना...वो बाद में आ जाएंगे ....
ऋषभ - हम सब साथ मे खायेंगे .....
अवनी -( मुस्कुराकर ) तो फिर आज दोपहर तक भूखे ही  रहिए.....
ऋषभ - तो ठीक है रह लेंगे .....
अवनी - आप इतनी जिद्दी क्यों बने फिर रहे ....( सभी से ) आप लोग ब्रेकफास्ट कीजिए वरना मै अभी मॉम को कॉल कर दूंगी ...
विहान - भाई आप इंतजार करो ... मैं खा लेता हु ..वैसे भी अगर मॉम को पता चला कि मैं टूटा -फूटा हु तो वो अच्छी खातिरदारी करेंगी मेरी .....

( तभी खुशी सीढ़िओ से उतर कर आती है और कहती है )

खुशी - सॉरी सॉरी ...वो बस मै लेट ...
अवनी - कोई बात नही तुम बैठो अब यहां ....
आदि - आनंद कहा है ??
खुशी - वो अभी भी निद्रा लोक में है ...
आदि -( ऋषभ से हंसते हुए  ) चलो यार उसे स्वपन लोक से धरती लोक पर लाते है ....
अवनी - ये क्या है भाई चलिए आप यहां बैठिए कोई जरूरत नही है देवर जी को परेशान करने की .......
ऋषभ - चलो ...

(आदि और ऋषभ जाने लगते है ....नीचे खुशी खड़ी होकर हंस रही होती है तो अवनी उसे एक मुक्का मारकर कहती है )
अवनी - तू मुझसे बात मत करना ( घूरते हुए )मेरे देवर की नींद खराब करवा रही ......
खुशी - ओह हो.....पूरी रात मुझे उन्होने परेशान किया उसका क्या ( मुंह फेरकर)....
अवनी - चुप हो जा रामकली  ...( धीरे से )  नील भाई है ......
( पीछे चेयर पर नील अकेला कॉफी पी रहा होता है ......रिया और विहान अपने अपने कमरे में चले गए  होते  हैं .....नील को गुमसुम बैठे देख खुशी कहती है )

खुशी - ये ..नील भाई हमेशा शांत क्यों रहते है ??
अवनी - ( नील को देखकर ) नही पता यार .....अच्छा नैंसी कहा है.....मुझे उससे काम है 
खुशी - मै तो अभी आई नीचे ...मुझे क्या पता ..

( तभी पीछे से नील कहता है ) 

नील - दी वो शायद गार्डन में होंगी ....
( इतना कहकर वो अपने कमरे में चला जाता है .....उसके जाने के बाद अवनी मुस्कुराते हुए कहती है )
अवनी - ये क्या था ?
खुशी - ही ही मुझे नहीं पता .....ये तुम नैंसी से ही पूछ लेना ......

( दोनो फिर वही चेयर पर बैठकर सबका इंतजार करने लगती है ......ऊपर कमरे में आदि और ऋषभ जब पहुंचते है तो देखते है कि आनंद खुद को ब्लैंकेट में लपेटे हुए है और  नींद में ही तकिए को  कसकर पकड़ के कहता है )

आनंद - गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट 😘.….

( सामने खड़े ऋषभ और आदि जब ये नजारा देखते हैं तो..अपने मुंह पर हाथ रखकर हंसने लगते है .....फिर अपनी हंसी को कंट्रोल करके आदि ..आनंद के पास जाता है और मोर पंख से उसके  कानो में हल्का हल्का छूने लगता है .... तो आनंद आंखे बंद किए हुए ही अपने कान पर मारता है और फिर से सो जाता है .......आदि मुस्कुराते हुए फिर से उसके कान पर मोर पंख लगाता है तो आनंद कहता है ,)

आनंद - ( नींद में ही ) देखिए ...खुशी जी मुझे अभी सोने दीजिए ....

( आदि फिर से वैसे ही करता है तो आनंद कहता है )

आनंद -( कंबल से ढक कर ) खुशी जी ...मत करिए परेशान .....वरना आज आप बचेंगी नहीं...

( आदि उसकी इस हरकत पर हंसने लगता है..... तो ऋषभ उसे इशारे से ही चुप होने को कहता है और फिर उसके हाथ से मोर पंख लेकर आनंद के मुंह पर से धीरे से कंबल हटाता है और उसके कानो के ऊपर घुमाने लगता है  ... तो इस बार आनंद आंखे बंद किए हुए ही उठता है और ऋषभ को खींचकर अपनी बाहों में भर लेता है और कहता है ,)

आनंद -( उबासी लेते हुए ) आज आपको बहुत मस्ती चढ़ी हुई है ना .....अभी बताता हु आपको ...

( आदि ये नजारा देखकर हैरान हो जाता है और थोड़ा पीछे खिसक लेता है ...बेचारा ऋषभ ..आनंद को शॉकली  देखता है.... जो उसकी तरफ आंखे बन्द किए हुए ही बढ़ रहा होता है ......ऋषभ हड़बड़ा जाता है और इधर - उधर देखता है की कुछ मिल जाए .......तभी वो पास में पड़े तकिए को उठाता है और आनंद के फेस के पास कर देता है ....जिससे जब तकिया आनंद के फेस से टच होता है तो वो अपने फेस को झुंझलाता है और आंखे खोलकर कहता है ,)
आनंद - अरे यार खुशी............( आंखे बड़ी करके )ऋषभ  भाई आप ...

( ऋषभ खुद को उसकी बाहों से निकालता है भागकर दरवाजे के पास खड़ा हो जाता है .....आदि मुंह पर हाथ रख कर अपनी हंसी  कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा होता है  ...... आनंद उन दोनो को बारी बारी से हैरानी से देख कर कहता है )
आनंद - ये आप दोनो आखिर मेरे रूम में कर क्या रहे??
आदि -( हंसते हुए ) हमने तो कुछ भी नही किया .....पर जो तुम करने वाले थे वो ...( कानो पर हाथ रखकर) हाय राम ......
आनंद -( घूरते हुए ,) आदि भाई आप ..आप चुप रहो ..मै कुछ नही कर था ....
आदि - बेटा जो तुम कर रहे थे वो मैंने अपनी इन दोनो आंखो से देखा ....
आनंद -( घूरते हुए ) लाओ भाई फिर उन आंखों से मै गोटिया खेलूंगा ......

( आदि चुप होकर मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर निकल जाता है ....ऋषभ अभी भी दरवाजे पर ही खड़ा होता है ...उसे देखकर आनंद कुछ कहने ही वाला होता है की ऋषभ कहता है )

ऋषभ - जल्दी फ्रेश होकर नीचे आ जाओ और नेक्स्ट टाइम खुशी को पकड़ना मुझे नहीं ......

( ये कहकर ऋषभ वहां से चला जाता है तो आनंद अपना सर पकड़ कर कहता है )
आनंद - अरे जलकुकडे नाक कटवा दी भाई के सामने ....अब भाई को कैसे फेस करूंगा( रोने का नाटक करते हुए )

( फिर वो मुंह लटकाए ही बाथरूम में चला जाता है .....नीचे अवनी और खुशी ....सभी लोगो का इंतजार कर रही होती है ताकि ब्रेकफास्ट कर सके क्योंकि ऑलरेडी बहुत देर हो चुका होता है ....थोड़ी देर बाद सब लोग आकर बैठ जाते है ....ऋषभ जब अपनी चेयर पर आकर बैठता है तो अवनी कहती है )

अवनी - जगा दिया  देवर जी को .....बुला लिया उन्हे निंद्रा लोक से ....फालतू का सबको परेशान करते रहते है....

( ऋषभ कुछ नही कहता है और स्पून को खाने में गोल गोल घुमाने लगता है  तो उसे देखकर अवनी कहती है )

अवनी - ( प्यार से ) ऋषभ जी आप ये क्या कर रहे है ??

( ऋषभ फिर से कोई जवाब नही देता है तो वो घूरते हुए मन में सोचती है ( इनसे तो 10 कोश दूर रहना ही अच्छा है 🙄...कभी कभी हरकते एक शांत हिरण की तरह करते है तो कभी खूंखार भेड़िए की तरह उफ्फ आप है क्या ) फिर भी वो  ऋषभ के बगल वाले चेयर पर बैठ जाती है और प्लेट में खाना भरकर खाने लगती है की.... उसकी नजर सामने सीढ़ी पर  खड़े आनंद पे चली जाती है  जिसे देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है.......खुशी भी खा रही होती है और जब वो आनंद को  देखती है तो उसका खाना गले में अटक जाता है जिससे वो तेज तेज खांसने लगती है ....पास में बैठा हुआ नील उसे पानी देता है और उसकी पीठ सहलाने लगता है ......सब लोग एक दूसरे को हैरानी से देख रहे होते है सिवाय ऋषभ और आदि के ......वो दोनो मस्त मगन खाने में लगे होते है की आनंद भागकर सीढ़ीओ पर से आता है और ऋषभ से कहता है )

आनंद - भाई प्लीज माफ कर दो ना ....वो सब गलती से होने वाला था ...
( ऋषभ कुछ नही कहता है )
आनंद - देखो भाई ....मुझे देखो ...मुझे शर्म आ रही आपको अपना चेहरा दिखाने में इसलिए ऐसे आया हु ......

( ऋषभ खाने पर से नजरे हटाकर आनंद को देखता है तो हैरान हो जाता है क्योंकि उसने अपने पूरे चेहरे को दुप्पटे से ढक रखा होता है और आंखो पर चस्मा ......उसे ऐसे देख विहान कहता है )

विहान - भाई तू ये रंगीला बाबू बनकर क्यों घूम रहा ??
आनंद - दरसल भाई बात ये है की ....
( बीच में ही ऋषभ ) 
ऋषभ - कोई बात नही है ....और तुम जल्दी से ब्रेकफास्ट करो हमे अपनी न्यू डील के बारे में  ऑनलाइन मीटिंग्स करवानी होगी ....
विहान - ओक ब्रो ....

( आनंद अभी भी ऋषभ को देख रहा होता है की ऋषभ कहता है )
ऋषभ - ये अपना हुलिया ठीक करके आओ...तुम भी मीटिंग में हो ...
आनंद -( खुशी के बगल में बैठकर) मै नही जा रहा मीटिंग अटेंड करना .....( जीभ निकालकर ) दुनिया का सबसे बोरिंग काम .....
( ऋषभ...आनंद को देखता है और फिर खाने लगता है तो खुशी कहती हैं)
खुशी -( आनंद से ) आनंद जी इससे पहले लोग आपको इनविजिंबल मैन समझें आप ये दुपट्टे को  हटाए ...बिल्कुल गुंडे किस्म के लग रहे है ...
आनंद - वाह वाह वाह .... आए दिन मुझे सब ऐसे नाम दे रहे जैसे एक आनंद नहीं बल्कि 10 आनंद हो .…...
विहान - भाई ( उबासी लेते हुए) तेरी बाते बोर करा रही मुझे....
आनंद - हां हां मै ट्विंकी को बुला देता हु सारी बोरियत ही खतम हो जायेगी है ...😏
विहान -( खुश होकर) ऐसा हो सकता है क्या ?
आनंद - उम्मीद भी मत करना ( मुंह फेरकर).....और अब देखना मै क्या करूंगा ...
नील - सॉरी टू से बट हम लोगो को खाते टाइम बात  नही  करनी चाहिए .....

( सब एक दूसरे को देखते है और फिर खाने लगते है ....इसी बीच कोई ये ध्यान नही देता है की संजना और देव  है ही नही ......अवनी ब्रेकफास्ट करके वही सोफे पर जाकर बैठ जाती और कहती है )

अवनी - आप लोगो ने देव और ननद जी को देखा क्या ??
विहान - वो चमगादड़ यही कई कूद रही होगी ( हंसते हुए )......

( सब उसे घूरने लगते है तो वो फिर से अपने काम में लग जाता है ......अवनी सोफे से उठकर पूरे घर में रिया के साथ छानबीन करती है पर ना देव मिलता है ना संजना ....तभी आदि कहता है)

आदि - अरे हां वो दोनों वॉक पर गए है ....
अवनी -( टाइम देखकर ) ये कोई वॉक का टाइम है ...

( वो भागकर सीढ़ीओ से नीचे आती हैं और ऋषभ से कहती है )
अवनी - आप ...आप देव को कॉल कीजिए की वो कहा है ?
( ऋषभ ....अवनी की तरफ देखता है और समझ जाता है की वो परेशान है ... फिर वो.....देव - संजना को कॉल करने लगता  है पर दोनो में से कोई फोन नही उठाता है की तभी नौकर आके कहता है ) 
नौकर - आज आप लोग कही बाहर ना जाएं...क्योंकि मौसम बहुत खराब होने वाला है ......

( नौकर फिर खिड़की खोलकर दिखाता है तो बाहर का नजारा डरवाना होता है  क्योंकि आसमान काले बादलों से घिर रहा होता है और  तभी नौकर कहता है )
नौकर -  पहाड़ी इलाका है तो बारिश की वजह से कभी कभार लैंडस्लाइड जैसी चीजे हो जाती हैं....

( नौकर की ये बात सुनकर सब सुन्न हो जाते है ...तभी ऋषभ का फोन बजता है तो सबकी  नजरे उसकी तरफ हो जाती है .....वो...सबको देखते हुए फोन जेब से निकालता है और स्कीन पर शो हो रहे नाम को देखकर कहता हैं )

ऋषभ - मॉम का फोन है ....मै नही बात कर पाऊंगा ..

( फिर वो आकर फोन अवनी के हाथ में दे देता है और इशारों में ही बात करने को कहता है ....अवनी उसे मुंह पिचकाएं हुए देखती है और कॉल अटेंड करके कहती है )

अवनी - हैलो मॉम ....कैसे हो आप ??
निहारिका जी - मै तो ठीक हु तुम बताओ ....और सब लोग ठीक है ना ??
( अवनी ...विहान की तरफ देखती है और मुस्कुराते हुए कहती है )
अवनी - हां मॉम सब लोग ठीक है ..आपके एक एक बच्चे..........
निहारिका जी - ओह तब ठीक है ....अच्छा आज कही बाहर मत जाना ..मैने न्यूज देखा डलहौजी के मौसम के बारे में .... 
अवनी - जी मॉम
निहारिका जी -  ठीक है ...चलो  बाद में कॉल करूंगी ..अभी मै और तुम्हारे डैड कंपनी जा रहे बाय .....
अवनी - बाय मॉम...

( फिर फोन कट करके वही सोफे पर बैठ जाती है तो आदि कहता है )

आदि - क्या हुआ .. मॉम ने क्या कहा ??
अवनी - यही कहा की आज बाहर मत जाना ...
विहान - ( ऋषभ से ) भाई आज संजना मेरे हाथो से पिटेगी …...
आनंद - ( हंसते हुए ) भाई आप खुद टूटे - फूटे हो उसे क्या तोड़ोगे ..
खुशी -( घूरते हुए )  आप हंसना बंद कीजिए ..
आनंद - जी बीवी जी .....
( खुशी उसे हैरानी से देखने लगती है क्योंकि आज से पहले आनंद ने ऐसे नहीं बोला होता है .........तभी नैंसी कहती हैं )
नैंसी - आप लोग कॉल ट्राई कीजिए ना .....मुझे बहुत चिंता हो रही अपने दोस्त देव की .......
नील - सिर्फ देव की चिंता होती है ....
नैंसी - मेरा मतलब संजना की भी हो रही .....आप लोग कॉल करते रहिए ना ...
( ऋषभ और रिया दोनो लोगो को कॉल करने में लगे होते है )...

*******
दूसरी तरफ

संजना ...देव के पीछे भाग रही होती है उसे मारने के लिए क्योंकि वो पूरे रास्ते उसे चमगादड़ ,चुडैल , बेवड़ी कहके  बोल रहा होता है वो भी जोर जोर से तो रास्ते में घूम रहे लोग उन दोनो को हैरानी से देख रहे होते हैं तो कुछ  हंस भी रहे होते है .....उन्हे देखकर संजना कहती है ,

संजना - देव के बच्चे ...( नाक सिकोड़ते हुए )अब तुम्हे मै बताती हु ....

( ये सुनकर तो देव और  तेज भागने लगता है और पीछे पीछे संजना भी .......देव का ध्यान नही जाता है की वो दौंडते हुए रोड से उतर गया है और सामने गीली मिट्टी पड़ी हुई ....संजना पीछे से ही देख लेती है और उसे रुकने को कहती हैं तो वो हंसते हुए उसे और चिढ़ा कर  भागने लगता है .... तभी उसका पैर गीली मिट्टी पर पड़ता है और वो फिसल कर वही धड़ाम से गिर जाता है .....पीछे संजना जब उसे फिसलते हुए देखती है तो अपनी आंखो को ढक लेती है ...फिर धीरे धीरे हटाकर देखती है की देव मिट्टी में लेटे हुए ही कहरा रहा है ...वो भागकर उसके पास जाती है और कहती है)
संजना - तुम ठीक तो हो ??
देव - ( कहराते हुए ) हाय मेरी कमर …......
संजना - यार जो पूछा है वो बताओ ना .....ठीक हो की नही...?
देव - ( घूरते हुए ) चुप हो जाओ सवालों की पोटली .....( दर्द में ही ) मेरी कमर टूट गई .....
संजना -( खड़े होकर ) सुनो यार .... मै तुम्हे अकेले नही उठा पाऊंगी ......
देव - अरे कोशिश तो करो ....वैसे भी मार कुटाई करके तो सुपरगर्ल बन चुकी होगी ....
संजना -( खुश होकर ) ऐसा क्या .......
देव - हां ..... हां .... हां ..
संजना ,- ठीक है मैं फिर कोशिश करती हु ......

( संजना फिर देव का हाथ पकड़ कर उसे खींचने लगती है तो वो कहता है )
देव - देवी जी .....मेरे पास एक ही हाथ अच्छे से बचा है अभी ....उसे भी उखाड़ फेंकने का प्लान है क्या ,...
संजना - चुप बिल्कुल चुप ...
( फिर वो देव की कमर पर धीरे से हाथ लगाकर उसे उठाने की कोशिश करने लगती हैं...तो देव कहता है)

देव - अरे यार अच्छे से पकड़ो वरना मैं फिर से फिसला 
तो सीधे व्हील चेयर पर पहुंच जाऊंगा ........
संजना - ( घूरते  हुए ) ठीक है .....
( संजना उसे और अच्छे से पकड़ लेती है और बड़ी मस्सकत के बाद उसे खड़ा करके उसका हाथ अपने कंधे पर रख देती हैं और उसकी कमर को पकड़ कर कहती है ,)
संजना - अब हम घर जा रहे...ऑलरेडी दोपहर हो चुकी है ....
देव - हां पर लगता है अब शाम को ही पहुंच पाएंगे .....
संजना - ( शॉकली ) क्यों ???
देव -( दूसरी तरफ मुंह करके) क्योंकि मुझसे चला नही जा रहा ..
संजना - ए तुम्हे चलना होगा ....🙄...( देव को खींचते हुए) चलो ..... चलो जल्दी चलो ....
देव -( घूरते हुए ) मै पहले से ही पंचर हु.. अब और ज्यादा ...कुछ तो रहम करो ....
संजना -( देव को छोड़कर ) ठीक है रहो फिर यही ....कर दिया रहम ....
देव - ( संजना का हाथ पकड़कर) ठीक है ...चलो ...
( संजना मुस्कुराते हुए उसे पकड़ लेती हैं और देव लड़खड़ाते हुए चलने लगता है की उन दोनो के सामने अचानक अंधेरा छा जाता है ....संजना हड़बड़ाकर कर कहती है )
संजना - ये क्या हो रहा...सब जगह अंधेरा कैसे हो गया .....
देव -( आसमान की तरफ देखकर) बारिश होने वाली है .....हमे जल्दी चलना होगा ...
संजना - ( गुस्से में ) मन तो कर रहा तुम्हे अभी  धो दू ...ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है ...
देव -( हैरानी से ) अरे मैने बोला है क्या भगवान से की बारिश करवा दो ....
संजना -  तुम्हारी वजह से हम इतनी दूर आ गए ( घूरते हुए).......
देव - ठीक है सॉरी ....पर अब चलो ......

( संजना......देव को गुस्से में पकड़कर आगे बढ़ने ही वाली होती है  की तभी खूब तेज तेज हवा चलने लगती है ......वो देव का हाथ  कसकर पकड़ लेती है और सीधे जाने के बजाए पीछे मुड़कर जाने लगती है ...... तेज हवा के कारण देव अपनी आंखो को ढकते हुए कहता है )

देव - ये तुम पीछे क्यों जा रही हो ...??
संजना - मुझे नहीं पता ...पर आगे गई तो सीधे दोनो ढलान में पहुंच जायेंगे ......
देव - हां तो तुम तो यही चाहती ही हो .....
संजना - बात तो सही है वैसे भी मेरा प्लान है की तुम्हे यही से  धक्का देकर निपटा दू.....
देव - ( आखों को खोलकर ) ए ..मजाक कर रही हो ना...प्लीज ऐसा कुछ मत करना ....
संजना - तो फिर अपनी बक बक बंद करो ....

( देव चुप हो जाता है और संजना के साथ ही चलने लगता है .....दोनो एक दूसरे से कुछ नही कहते पर देव समझ  जाता है की संजना थोड़ी परेशान हो गई है ...तभी वो उसका हाथ छोड़ती है और एक पत्थर पर चढ़ कर इधर - उधर देखने लगती है ...उसे ऐसे करते देख देव कहता है )
देव - ये तुम कर क्या रही हो....?
संजना - बारिश से बचने की कोई जगह देख रही हु....
देव - ( हंसते हुए) हां  देख लो .....कही किसी प्रिंस चार्मिंग ने प्रिंसेस संजना के लिए महल बनवाया होगा इस सुनसान जंगल में ....
संजना - वेरी फनी ....और अब तुम चुप हो जाओ ....मेरा गुस्सा मत बढ़ाओ....

( वो फिर पत्थर पर थोड़ी देर खड़ी रहती है और अपना हाथ नीचे करके कहती है )
संजना - हाथ पकड़ो और ऊपर आ जाओ .....
देव - ए .... मैं नही आ रहा इतना ऊपर ....अगर टूट - फुट गया तो ....
संजना - ( हंसते हुए ) टूटे तो तुम पहले से ही हो ......और अगर किसी जानवर का लंच नहीं बनना तो हाथ पकड़ो और ऊपर आ जाओ ......

( देव मुंह पिचकाता है और धीरे धीरे पत्थरों पर पैर रखकर ....थोड़ा ऊपर हो जाता है और वहां से संजना का हाथ पकड़कर चढ़ने लगता है ......दर्द दोनो को होता है पर संजना पूरी हिम्मत लगाकर उसे ऊपर खींच लेती है और जैसे ही देव पत्थर पर बैठता है वो अपना माथा उसके  के कंधे से टिकाकर बैठ जाती है ......उसकी इस हरकत से वो थोड़ा हैरान हो जाता है और कहता है )
देव - संजना ...तुम ठीक तो हो ??
संजना -( आंखे बन्द किए हुए ही ) हम्म ....
देव - यार सीरियसली सॉरी ....मुझे अगर पता होता की मौसम का ये हाल होगा मै आता ही नही....
संजना -( अपना माथा हटाकर ) चलो .....बहुत आराम कर लिया ....( गुफा दिखाते हुए )वहां पर जितनी जल्दी चल सकते हो ......
देव -( गुफा की तरफ देखकर ) अगर उसमे शेर हुआ तो ??
संजना - तो क्या .....तुम्हे आगे भेज दूंगी ( हंसते हुए )
देव - ओय ....
संजना - अरे आलसी इंसान .....अब चल भी लो .
देव - तुम हो आलसी .....महा आलसी…...
संजना - देव जी दिलोजान से शुक्र गुजार है हम आपके 
....इतने प्यारे नाम देने के लिए ....
देव - वाह तुम मजाक भी करती हो .....
संजना - हां और उसके साथ बक बक करने वालो को पहाड़ी से धक्का भी ....

( देव चूप हो जाता है और संजना के कंधे पर हाथ रखकर चलने लगता है ....दोनो झाड़ियों को पार करते हुए  आगे बढ ही रहे होते है  की भरभरा कर बारिश होनी शुरू हो जाती है , बारिश इतनी तेज होती है की उन दोनो का आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है  ......फिर भी एक दूसरे का हाथ पकड़कर आगे बढ़ रहे होते है ... तभी उन्हे किसी चीज की गिरने की आवाज आती है  तो हड़बड़ा जाते है और वही रुक के पीछे मुड़कर देखते है की सामने जो पेड़ खड़ा था वो रोड पर गिरा हुआ है  .....वो  दोनो एक दुसरे को देखते हैं और सुकून की सांस लेकर आगे बढ़ने लगते हैं ...
गुफा अब ज्यादा दूर नहीं होता है ...संजना ...देव का हाथ पकड़कर जल्दी जल्दी चलने की कोशिश करने लगती है  और इस वजह से देव की कमर में दर्द होना शुरू हो जाता है पर वो संजना को देखकर मुस्कुराते हुए उसके साथ जल्दी जल्दी बढ़ने लगता है ......और जैसे ही दोनो गुफा के अंदर घुसते  है उसी टाइम बिजली इतनी तेज आवाज के साथ कड़कती हैं की संजना ....देव को कसकर पकड़ लेती है )

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इधर सब लोग परेशान हो गए होते है ......विहान न्यूज देख रहा होता है ...जिसमे बारिश , लैंडस्लाइड कहा कहां हुई है ....उसकी खबर बता रहे होते है और ये सब  खबर देखकर तो और ज्यादा घबरा जाते है तभी नील सोफे से उठता है और टीवी ऑफ करके कहता है .....

नील -( विहान से ) सॉरी विहान भाई ....पर अगर आपने अब टीवी देखा तो  फोड़ दूंगा .......

( उसका गुस्सा देखकर तो सब उसे देखने लगते है तो आनंद कहता है )

आनंद - ( नील से ) शांत हो जाओ भाई ....

( तभी ऋषभ अपनी जगह से उठता है और ऊपर रूम से  जाकर रेनकोट और कार की चाभी लेकर नीचे आकर कहता है )

ऋषभ - मैं जा रहे हु ...संजना और देव को लाने .... कोई घर से बाहर नहीं जाएगा .....
आदि - तुम अकेले नही जाओगे ....मैं भी चलूंगा ...
ऋषभ - आदि घर पर रहो ...वो ज्यादा जरूरी है .
आनंद - पर भाई .....
ऋषभ - सबका ख्याल रखना और मैं जल्दी वापस आता हु ....

( फिर वो  दरवाजे की तरफ बढ़ने लगता है तो पीछे से अवनी उसका हाथ पकड़ लेती हैं और कहती है )

अवनी - मै भी चलूंगी आपके साथ...
ऋषभ -( अपना हाथ छुड़ाकर ) आप घर पर रहिए ...बाहर मौसम ठीक नही है ....

( इतना कहकर वो  फिर से बाहर जाने लगता तो अवनी आकर सामने खड़ी हो जाती हैं और कहती है )
अवनी - प्लीज मुझे भी चलने दीजिए.....
ऋषभ - अवनी आप बात समझने की कोशिश कीजिए ...अभी आपने न्यूज देखा ना की बाहर मौसम ठीक नही है ....
अवनी - देखा तो आपने भी ना ....मै आपको अकेले नही  जाने दूंगी ....( हाथ पकड़ कर ) चलिए अब ....

( ऋषभ कुछ नही कह पाता है ..दोनो बाहर आ जाते है और ऋषभ उसे कार में बिठाकर घर में जाता हैं और थोड़ी देर बाद गम बूट और रेंकोट लाकर पीछे वाली सीट पर रखकर ...संजना और देव को खोजने के लिए निकल जाता है ).......


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8 Comments

shweta soni

27-Jul-2022 06:40 AM

Nice 👍

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Neha syed

14-May-2022 09:40 PM

👏👏

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Anam ansari

14-May-2022 09:30 PM

Nice

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